कैविएट याचिका का प्रावधान सिविल प्रक्रिया संहिता 1908 में धारा 148A में किया गया है।कैविएट शब्द लैटिन भाषा से लिया गया है जिसका मतलब है जागृत होना ।जब किसी को इस बात का डर होता की विपक्षी पार्टी बिना सूचना दिए हुए उसके खिलाफ कोर्ट में वाद डाल सकती है और बिना आपको नोटिस किए कोर्ट से ऐसा आदेश पारित करवा सकता है जिससे सीधे सीधे आपके हितों का नुकसान होता है,तो आप कोर्ट में कैविएट की याचिका कोर्ट में लगा सकते है।ऐसा करके आप आप कोर्ट द्वारा सूचना पाने का अधिकार पा जाते है। दूसरे शब्दों में,कैविएट एक प्रकार का सूचना है जो एक वादी द्वारा कोर्ट को दी जाती है की जिसमे ये कहा जाता है कोर्ट आवेदन कर्
कानूनी उत्तराधिकार प्रमाण पत्र और उत्तराधिकार प्रमाण पत्र के बीच अंतर ।
कानूनी उत्तराधिकार प्रमाण पत्र और उत्तराधिकारी प्रमाण पत्र दोनों पूरी तरह से अलग हैं।
यदि परिवार का मुखिया या परिवार के किसी सदस्य की मृत्यु हो जाती है तो मृतक का अगला प्रत्यक्ष कानूनी उत्तराधिकारी जैसे पत्नी /पति/पुत्र /बेटी /माता/ पिता आदि उत्तराधिकार प्रमाण पत्र के लिए आवेदन कर सकते हैं, इस प्रमाण पत्र का उपयोग बिजली के कनेक्शन, टेलीफोन का कनेक्शन, पट्टा हस्तांतरण हाउस टैक्स, बैंक खाता, आईटी रिटर्न ,दाखिल करने आदि के हस्तांतरण के उद्देश्य से किया जाता है।
रिट याचिका क्या है?
रिट एक लिखित आदेश होता है जो किसी भी सरकारी संस्था के कार्य को करने के लिए अथवा किसी कार्य को ना करने के लिए न्यायालय द्वारा दी जाती है। इसका वर्णन भारत के संविधान के मूल अधिकार के भाग 3 में संविधान के अनुच्छेद 32_35 में मूल अधिकारों का वर्णन किया गया है।
रिट के प्रकार:______
(1) बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका (Habeas corpus)
सड़क दुर्घटना होने पर किन किन बातों का ध्यान रखें।
आज की भाग दौड़ भरी जिंदगी में दुर्घटना होने की संभावनाएं बढ़ गई हैं ।हमारी जरा सी भी असावधानी मानो हादसा को न्योता देती है,और कभी कभी हम दूसरों की गलती से शिकार हो जाते हैं।ऐसे मे कुछ बातों का ध्यान रखकर हम परेशानी से बच सकते हैं यदि चोट ज्यादा ना लगी हो तो तत्काल कुछ बातों का ख्याल रखते हुए कुछ आवश्यक कदम उठाए जैसे की दुर्घटना की सूचना पुलिस और इंश्योरेंस कंपनी को दें।ये मूल बात निम्न है___
* अपने वाहन को तुरंत रोक दें ।
* 100 नंबर या 112 इमर्जेसी हेल्प लाइन पर कॉल करे और दुर्घटना के बारे में जानकारी दे।
*कार की हजर्ड लाइट को ऑन कर दे।
यदि पत्नी के भरण पोषण का आवदेन कोर्ट में देने पर पति इसको कैसे कम या नहीं देगा।
हमारे देश पति को अपनी पत्नी का भरण पोषण का उत्तरदायित्व दिया गया है ,इसलिए देश की विधि ने भी कानून बना कर पत्नी को अपने पति से भरण पोषण पाने का अधिकार दिया है, मुख्य रूप से पत्नी अपने पति से भरण-पोषण का आवेदन सीआरपीसी 125 के अंतर्गत करती है ।
लोक अदालत क्या है।
लोक अदालत का शाब्दिक अर्थ है जनता की अदालत। लोक अदालत एक ऐसा मंच है जहां पर ऐसे मामले जो न्यायालय में लंबित है या ऐसे मामले जो अभी अदालत में मुकदमे के रूप में नहीं आए हैं पर उन विषयों में दो बातों के बीच विवाद की शुरुआत हो चुकी है या जो आगे चलकर विवाद बन सकती है उसको सौहार्दपूर्ण ढंग से निपटाए जाते हैं अर्थात दोनों पक्षों के बीच उत्पन्न हुए विवादों का समाधान लोक अदालत में कराया जाता है।
दूसरे शब्दों में लोक अदालत को हम इस प्रकार भी परिभाषित कर सकते हैं ____
तलाक और न्यायिक सेपरेशन में क्या अंतर है?
हिन्दू धर्म में विवाह को एक संस्कार माना गया है ,इसलिए हिन्दू धर्म में कहीं भी तलाक की चर्चा नहीं की गई है ,लेकिन समय आगे बढ़ता रहा है और बदलाव भी आता गया इसलिए आगे चलकर पूरे भारत में हिन्दू धर्म के लोगो के ऊपर जो विवाह कानून लागू हुआ है उसे हम हिन्दू विवाह अधिनियम 1955 कहते है ।
भारत में कॉपीराइट कि प्रक्रिया और उसका महत्व
भारत जैसे वकासशील देशों में copyright को लोग ज्यादा महत्व नहीं देते है या अनिवार्य नहीं है पर ये तब तक तो अच्छा होता जब तक कि आपके द्वार किसी भी प्रकार उत्पादित वस्तु या कला ने अपनी प्रसिद्धि ना पा ली है पर जब उस नाम काफी फैल जाता है तो कोई दूसरा company उसको उसी नाम से बाज़ार में बेचने लगता है या दावा पेश करे कि उस वस्तु का copyright उसके पास है ,तो आप विवादों में पर सकते और इन सब विवादों से बचने के लिए copyright अधिनियम का सहारा हम लेते है और कॉपीराइट करवा सकते है।
चेक बाउंस होने पर क्या कदम उठाए।
जैसे जैसे समाज का विकास विकास होता रहा वैसे सबसे पहले वस्तु विनिमय प्रणाली आई उसके बाद पैसों का आदान-प्रदान होने लगा फिर बैंक बने और चेक द्वारा भुगतान किया जाने लगा,जब कोई व्यक्ति कोई ऋण लेते है तो वह उस लिऐ गए ऋण को चुकाए गा इसके लिए चेक जारी करते है,या जब कोई वस्तु खरीदते है तो भी चेक जारी करते है ।
और जब यही चेक बाउंस होता है तो इसे एक अपराध माना गया है जो व्यक्ति या प्राप्त करते हैं उस रास्ते पर नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट की धारा 138 के अधीन कानूनी कार्यवाही होती है जिसके तहत व्यक्ति को 2 साल तक का कारावास या जुर्माना दोनों से दंडित किया जा सकता है।
Plea Bargaining का आवेदन क्या होता है।
किसी भी अपराधी को उसके द्वारा किए गए अपराध के लिए दंड का विधान है ,वो या तो कारावास या जुर्माना या दोनो रूप में दिया जा सकता है ।कारावास या सरल या कठोर हो सकता है। किसी भी अपराधी को कानून के तहत अपराध के लिए दोषी ठहराये जाने और अपराध की सजा कम करने के लिए सौदेबाजी करने की अनुमति है।
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