किसी भी अपराधी को उसके द्वारा किए गए अपराध के लिए दंड का विधान है ,वो या तो कारावास या जुर्माना या दोनो रूप में दिया जा सकता है ।कारावास या सरल या कठोर हो सकता है। किसी भी अपराधी को कानून के तहत अपराध के लिए दोषी ठहराये जाने और अपराध की सजा कम करने के लिए सौदेबाजी करने की अनुमति है।

              आपराधिक प्रकिया संहिता में 2005 में संशोधन किया गया ,संशोधन के अनुसार अभियुक्तों के खिलाफ लगाए गए आरोप के संबंध मे है जिस में या कहा गया है अभियुक्त  सजा के बिंदु पर भी याचिका में प्रवेश कर सकता है   वो कैसे उसमे आवेदन कर सकता है  कब और किन अपराध मेआवेदन कर सकता है ये सब  भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता में 265A से 265L तक में वर्णित है ।

         सौदेबाजी का आवेदन जब अभियुक्त पेश करता है ,तो अभियोजन पक्ष उसका उपयोग कही और नही कर सकता है । चार्ज सौदेबाजी के मामले में एक अभियुक्त को कम चार्ज के लिए दोषी करार दिया जाता है जिसके परिणाम स्वरूप सजा में कमी होती है।

              सजा के मामले में, अभियुक्तों को कम या विकल्प के प्रवेश का आश्वासन दिया जाता है ।दूसरे शब्दों में विकल्प सजा दी जाती है, यदि वह अपना अपराध स्वीकार करता है, जिसके बारे में राज्य या शिकायतकर्ता या पीड़ित  अदालत में अपना असंतोष प्रगट करते है तो अदालत पीड़ित पक्ष से उनके और संतोष का कारण जानती है और उस असंतोष को कम करने के लिए अभियुक्त से क्षति पूर्ति जुर्माने लेकर  करवाती  है ।

      Plea bargaining को क्यों चुना जाता है _________

 वास्तव में मुकदमे के समापन और अपराधिक मामले के फैसले में लंबा समय लगता है; मामले को निपटाने देरी होने में कई  कारक योगदान करते है। जल्दी,आसान और सस्ती परीक्षण के लिए plea bargaining की अवधारणा पेश की गई है। जब किसी अभियुक्त plea bargaining का आवदेन कोर्ट द्वारा स्वीकार कर लिया जाता है  तो मामले का संतोषजनक निपटारा किया जा सकता है।

1. अदालत पीड़ित को मुआवजा देती है और अभियुक्त को अच्छे आचरण की परिवीक्षा पर या नसीहत देने के बाद यह अपराधियों के परिवीक्षा के प्रावधानों के तहत काम करने के लिए या किसी अन्य कानून के लागू होने के समय के लिए छोड़ देते हैं।

2. अभियुक्त को परिवीक्षा  पर रिहा करके या ऐसे किसी भी कानून का लाभ प्रदान करना जैसा कि मामला हो।

3. अभियुक्त को ऐसी न्यूनतम सजा के आधे हिस्से में भेजकर जहां न्यूनतम सजा प्रदान की गई है।

4. आरोपी को सजा के एक चौथाई हिस्से की सजा दी या बढ़ाई जा सकती है।

Plea Bargaining के क्या लाभ हो सकते है_____

जैसा कि ऊपर उल्लेख किया गया है की दलील देने के मामले में अभियुक्त को कम शुल्क के साथ आरोपित किया जाएगा आरोप में कटौती का अर्थ है, अपराध की गंभीरता में कमी। इस तरह अभियुक्त को हल्के साक्ष्य के साथ दंडित किया जा सकता है। यदि आरोपी हिरासत में है उसकी याचिका के स्वीकृति के परिणाम स्वरूप उसे जमानत पर रिहा किया जा सकता है, परिवीक्षा पर भी छोड़ा जा सकता है , जमानती की आवश्यकता नहीं होती है, और अभियुक्त अपना समय और पैसा तथा अदालत के चक्कर लगाने से भी बच जाता है।

                यह दर्शाता है कि यदि आप पर आरोप लगाया गया है और आपने वास्तव में अपराध किया था, तो आप अभी भी सजा के बिंदु पर अपने अपराध को स्वीकार करते है तो वाद मेंplea bargaining का आवेदन कर  सजा से माफी के  मामले में लाभान्वित हो सकते हैं।

Plea bargaining से पीड़ित को क्या लाभ मिलता है______

      एक घायल या पीड़ित व्यक्ति के साथ जब अपराध होता है तो उसे कुछ मानसिक शारीरिक और आर्थिक क्षति पहुंचती है साथ ही साथ उसे बार-बार पुलिस स्टेशन तथा अदालतों के भी चक्कर काटने पड़ते हैं जिसमें उसे समय तथा धन और मानसिक कष्ट होता है। कभी-कभी एक गवाह को अपने बयान की रिकॉर्डिंग के लिए अदालत में अपील करनी होती है। विभिन्न कारक गवाह के अपने बयान की पुनरावृति के बिना मामलों के स्थगन में योगदान करते हैं। दलील देने के मामले में, पीड़ित को अदालत में बार-बार की गवाही से गवाह के रूप में या अदालत में बार बार के सवालों से छूटकारा मिल जाता है।

         आमतौर पर एक आपराधिक मुकदमा को निपटाने के समय पीड़ित को मुआवजे के बिंदु पर कोर्ट का आदेश सुनने के लिए नही बुलाया जाता है,लेकिन जब plea bargaining का दलील जब कोई अभियुक्त पेश करता है तो उसको निपटाने के लिए अदालत पीड़ित को हुए नुकसान के लिए पीड़ित को कोर्ट में बुलाती है और पीड़ित उस में भाग लेते हैं। चोट या नुकसान के बारे में अपनी बात को कहना और उसके लिए पीड़ित को मुआवजा दिया जाता है, कई बार पीड़ित को  यह पता होता है की plea bargaining उसका उपयोग किया जा रहा है पर अदालत का चक्कर उसको बार बार नही लगाना   होगा जिससे उसको मानसिक शारीरिक और आर्थिक क्षति से मुक्ति मिलेगी वो plea bargaining के लिए मान जाते है।

                    Plea bargaining का आवेदन कैसे दिया जाता है_______

         जब अभियुक्त का बाद कोर्ट में लंबित होता है और अभियुक्त plea bargaining की अर्जी कोर्ट में दाखिल करता है अर्जी के साथ ही affidavit  भी देता है। जिसमें यह कहा जाता है कि वह अपनी मर्जी से अर्जी दे रहा है उसे अपने द्वारा किए गए अपराध की प्रकृति और सजा की सीमा की समझ है।

            Plea Bargaining अर्जी तब नहीं दी जा सकती है जब अभियुक्त को पहले अदालत द्वारा किसी ऐसे मामले में दोषी ठहराया गया हो जिसमें उस पर एक ही अपराध का आरोप लगाया गया हो इसके अलावा जहां मृत्यु या आजीवन कारावास यह 7 साल से अधिक के कारावास की सजा का प्रावधान किया गया है ।औरत और बच्चो के अपराध में plea bargaining का आवेदन नहीं दिया जा सकता है।ऐसा कोई भी आवेदन विचारणीय नही है, निसंदेह जहां एक अपराध देश की स्थिति की सामाजिक आर्थिक परिस्थितियों को प्रभावित करता है या इसके खिलाफ प्रतिबंध किया गया है। 14 वर्ष से कम उम्र का बच्चा इस तरह का कोई भी आवेदन दाखिल नहीं कर सकता है।