क्या भारतीय न्यायालयों में कॉल रिकॉर्डिंग स्वीकार्य है?

 

 

आज के युग में तकनीक हमारे जीवन के हर पहलू में व्याप्त है, यह सवाल कि क्या भारतीय न्यायालयों में कॉल रिकॉर्डिंग स्वीकार्य है, विशेष रूप से भारत के सर्वोच्च न्यायालय की जाँच के अंतर्गत, विशेष रूप से प्रासंगिक है। वैसे तो भारत में ऐसे साक्ष्य की स्वीकार्यता को नियंत्रित करने वाला कानूनी ढाँचा अति सूक्ष्म है, जिसके लिए भारत संघ द्वारा निर्धारित विभिन्न कानूनों, न्यायिक व्याख्याओं और प्रक्रियात्मक मानदंडों की व्यापक समझ की आवश्यकता होती है।

 



 

क्या करें जब पुलिस एफ .आई .आर रजिस्टर करने से मना करें ?

अगर पुलिस एफ .आई .आर रजिस्टर नहीं करती है तो हम क्या कर  सकते है ?

 

जब भी एक आम नागरिक के साथ कोई अपराध होता है  उस अपराध को राज्य तक पहुंचाने का पहली अधिकार एफआईआर ही है जिसे वह अपने निकटतम पुलिस स्टेशन या पुलिस अधिकारी को करता है|  किसी तरह के आपराधिक घटना होने पर सबसे पहले हर व्यक्ति पुलिस में जानकारी दर्ज कराता है, इस दर्ज जानकारी को फर्स्ट इनफार्मेशन रिपोर्ट (First Information Report) यानी एफआईआर कहा जाता है| 
 

 

 

सीनियर सिटीजन एक्ट के तहत भरण पोषण संबंधी सुरक्षा प्रदान की गई है|

 

अगर कोई व्यक्ति किसी सीनियर सिटीजन का देखभाल कर रहा होता है , और उस सीनियर सिटीजन या अपने पैरेंट्स का पूर्णतया परित्याग करता है तो उसका ये कार्य दंडनीय अपराध होता है।

 

सीनियर सिटीजन के अधिकार को और अधिक कारगर बनाने के लिए जिसमें माता - पिता और बुजुर्ग नागरिक के कल्याण तथा भरण पोषण तथा सुरक्षा प्रदान की जा सके senior citizen act 2007 लाया गया। जिसे भारत मे 29/12/2007को लागु किया गया है।

भारत मे मातृत्व अवकाश के नियम और अवधि

 

 

भारत में मातृत्व अवकाश की अवधि और मातृत्व अवकाश का प्रकार को हम इस प्रकार भी दर्शा सकते है:- 

 

नौकरी मे महिला की  सुरक्षा  सुनिश्चत करने  और महिला के आर्थिक अधिकारों की रक्षा हेतु,   मातृत्व अवकाश अधिनियम का गठन 1961 मे किया गया है। यह कंपनी द्वारा  अपनी महिला कर्मचारी को प्रदान की जाना वाली ऐसी सुरक्षा है जो उनको बिना किसी तनाव या दबाव अपने  मातृत्व कर्त्तव्य को पूरा करने की प्रेरणा देता है। 

 

 

 

 

आईपीसी, सीआरपीसी और साक्ष्य अधिनियम की जगह नए आपराधिक कानून विधेयक |

बीएनएस के तहत अब कुछ और बदलाव किये गए हैं| इन विधेयकों की कुछ खास बातों का जिक्र किया जिसका नीचे उल्लेख्य किया गया है।

 

मृत्यु कालिक कथन का भारतीय साक्ष्य अधिनियम

मृत्यु कालिक कथन का भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872   में बहुत ही  महत्वपूर्ण धाराओं में से एक माना गया  है। मृत्यु कालिक कथन की अवधारणा ये है ,कोई भी मरने वाला व्यक्ति मरते समय झूठ नही बोलता है। मृत्यु कालिक कथन एक ऐसा कथन है, जिसको अदालत में क्रॉस नही किया जा सकता है। ,यह एक ऐसे व्यक्ति द्वारा दिया जाता है जो मरने वाले व्यक्ति से सुनता है और अदालत में पेश करता है ,फिर भी अदालत द्वारा ये ग्राहय होती है। अधिनियम की धारा 32 में 8 ऐसी स्थिति की चर्चा की गई है, जिसमे साक्षी के अदालत में पेश नहीं होने पर भी उनको कथन को अदालत में साक्ष्य के रूप में पेश किया जा सकता है , धारा 32 में वैसे लोगो के कथन

CCTV footage क्या एक मूक गवाह है?

CCTV footage का भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा में महत्वपूर्ण स्थान है। सीसीटीवी फुटेज के द्वारा आरोपी की पहचान होती है इसलिए हम भारतीय साक्ष्य अधिनियम ने व्यक्ति की पहचान की बुनियादी अवधारणा को बताने की कोशिश करते हैं और इसलिए हम भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 9 के संदर्भ में  आरोपी की पहचान का महत्व के बारे मे  भी चर्चा कर रहे है। अगर कोई घटना ऐसे जगह पर होती है जहा का  सीसीटीवी फुटेज नही मिल पाता है और यदि आरोपी की पहचान भी नही होती है, तो  टी. आई .पी. का सहारा लिया जाता है इसलिए आवश्यक ये होगा की  हम टी आई पी को समझे ।

 

मुस्लिम लॉ के अंतर्गत महिला तलाक के लिए नियम जो भारत में लागू है।

एक प्रजातांत्रिक देश है और यहां पर विभिन्न धर्म के लोग रहते हैं ।किसी देश में कोई कानून लागू होता है वह उस देश में चली आ रही प्रथाओं और समाज को ध्यान में रखकर बनाया जाता है, हमजानते हैं कि भारत में विभिन्न धर्म के लोग रहते हैं और उनकी मान्यताएं भी अलग-अलग हैं इसलिए विभिन्न धर्मों के लिए विभिन्न तरह के विवाह और तलाक के नियम भारत में मौजूद हैं । यहां पर हम केवल मुस्लिम महिला अगर अपने पति से तलाक लेनी के लिए क्या कर सकती है इस पर चर्चा करते है।हम ये जानते है की मुस्लिम विवाह एक कॉन्ट्रैक्ट है इसलिए इसे खत्म भी किया जा सकता है,जिसे तलाक कहते है । मुस्लिम तलाक के बारे में पैगंबर मोहम्मद साहब ने

यौन अपराध से बच्चों के संरक्षण के लिए कानून ?

यौन अपराध से बच्चों का संरक्षण देने के लिए  2012 में पोक्सो अधिनियम लागू किया गया। बढ़ते हुऐ बाल यौन शोषण के अपराध से निपटने के लिए सरकार ने एक विशेष कानून बनाया है जिस नाम रखा गया पोक्सो अधिनियम !