अगर पुलिस एफ .आई .आर रजिस्टर नहीं करती है तो हम क्या कर सकते है ?
जब भी एक आम नागरिक के साथ कोई अपराध होता है उस अपराध को राज्य तक पहुंचाने का पहली अधिकार एफआईआर ही है जिसे वह अपने निकटतम पुलिस स्टेशन या पुलिस अधिकारी को करता है| किसी तरह के आपराधिक घटना होने पर सबसे पहले हर व्यक्ति पुलिस में जानकारी दर्ज कराता है, इस दर्ज जानकारी को फर्स्ट इनफार्मेशन रिपोर्ट (First Information Report) यानी एफआईआर कहा जाता है|
हम आये दिन सुनते और देखते है की जब हम पुलिस के पास एफ .आई .आर दर्ज करवाने जाते है तो कई बार पुलिस एफ .आई .आर नहीं करती है और हमको वापस आना पड़ता है, या बार - बार पुलिस थाने के चक्कर लगाना पड़ता है और पुलिस बार - बार एफ .आई .आर दर्ज करने से मना करती है,इसका कारण मुख्य रूप से ये है की भारतीय दंड प्रक्रिया के अनुसार अपराधो को दो भागो में बाँटा गया है -
संज्ञेय अपराध – एफ.आई.आर दर्ज केवल संज्ञय अपराध में ही होता है| या दूसरे शब्दों में जब अपराध की प्रकृति गंभीर होती है| जैसे -
1. भारतीय दंड संहिता की धारा 302(हत्या)|
2. भारतीय दंड संहिता की धारा 304बी (दहेज हत्या) |
3. भारतीय दंड संहिता की धारा महिला सम्बन्धी वाद जैसे 354, 376 आदि |
4. भारतीय दंड संहिता की धारा 379 (चोरी )
संज्ञेय अपराध में 3 साल से उपर की सजा होती है कुछ अपवादों को छोड़ कर |
असंज्ञेय अपराध – इस में ऐसी अपराध को राका गया है जिसकी प्रक्रति गंभीर नहीं होती है ,सीधे शब्दों में ऐसे अपराध जिस में सजा तीन साल से कम होता है |और ऐसे अपराध में पुलिस न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा निर्देशित होता है ,पुलिस बिना वारंट के बिना किसी को गिरफ्तार नहीं कर सकती है|
अगर आपको लगता है आपकी वाद में एफ .आई .आर दर्ज होना चहिए तो आप निम्न कदम ले सकते है -
आप अपने शिकायत की लिखित एक प्रति पुलिस के उच्च अधिकारी के पास देते है ,वो आप डाक द्वारा भी भेज सकते है| अगर फिर भी आपका एफ .आई .आर दर्ज नहीं होता है तो आप मेट्रो पोलिटन मजिस्ट्रेट के पास आवेदन कर सकते है | दंड प्रक्रिया संहिता की धारा १५६(3) के तहत मजिस्ट्रेट पुलिस को अन्वेषण का आदेश कर सकता है और एफ .आई .आर दर्ज करने का आदेश दे सकती है|