हम अकसर ऐसा सुनते है वो अदालत मे अपने दिए गए बयान से मुकर गया है , तथा कई बार बूझकर झूठा सबूत अदालत में पेश करते है ,कभी कभी गवाह ऐसा इसलिए करते है जिसके विपक्ष में वह गवाही दे रहे है वो व्यक्ति बहुत ही शक्तिशाली हो राजनीति और आर्थिक दृष्टि से जिसके कारण गवाह डर जाते है और अपने बयान से मुकर जाते है जिसके कारण केस खराब हो जाता है और पीड़ित के साथ न्याय नहीं हो पाता है ,जैसा कि जेसिका लाल murder केस में जिसमे श्यान मुंशी समेत कई कई गवाह मुकर गए थे ऐसे कई मामले देखने को मिलते हैं जिनमें गवाहों के मुकदमे पर उनके खिलाफ कार्यवाही की अनुशंसा की जाती है इसलिए आवश्यक यह है की अदालत में झूठ बोलने पर
अपील और रिवीजन की अपराधिक मामलों में उपयोगिता और प्रक्रिया।
अपराधिक न्याय प्रणाली में शामिल प्रक्रियाओं का इसमें शामिल लोगों के जीवन पर काफी प्रभाव पड़ता है, विशेषकर वे अधिकार जो भारत के संविधान के तहत लोगों को दिए गए हैं। जैसे कि राइट टू लाइफ और पर्सनल लिबर्टी। हमारे संविधान भी ये मानता है की कभी-कभी न्याय करने में गलती हो सकती है, और उसका यह भी कहना है किसी के भी साथ अन्याय ना हो अगर किसी के साथ अन्याय होता है तो न्याय प्रणाली के बहुत सारे उद्देश्य पराजित हो जाते हैं। इस बात को ध्यान में रखते हुए 1973 दंड प्रक्रिया संहिता संहिता में कई प्रावधान किए गए है।
अदालत में सजा के बाद क्या कदम उठाए जा सकते हैं।
सजा के बिंदु पर दोषी को सुनने के बाद अदालत सजा के बाद दोषी को या तो परिवीक्षा पर रिहाई का आदेश दे सकते हैं,पर ऐसा हर तरह के अपराध में नहीं होता है कि अभियुक्त अभियोजन की परिवीक्षा पर रिहाई का आदेश दे सकती हैं, पर ऐसा हर तरह के अपराध में नहीं होता है कि अभियुक्त अभियोजन की परिवीक्षा की छूट या रियायत का हकदार हो।
कभी-कभी अपराध की सजा बहुत ही कम होती है या अपराधी के सुधरने की की स्थिति होती है तो कोर्ट सजा प्राप्त व्यक्ति को इस हिदायत और चेतावनी के साथ छोड़ दी है कि भविष्य में वह अपने इस कृत्य को दोबारा ना करें।
सीनियर सिटीजन एक्ट के तहत भरण पोषण संबंधी सुरक्षा
सीनियर सिटीजन के अधिकार को और अधिक कारगर बनाने के लिए जिसमें माता _पिता और बुजुर्ग नागरिक के कल्याण तथा भरण पोषण तथा सुरक्षा प्रदान की जा सके senior citizen act 2007 लाया गया। जिसे भारत मे 29/12/2007को लागु किया गया है।
इस एक्ट में यह कहा गया है की ऐसा व्यक्ति जिसकी उम्र 60साल या उससे अधिक हो और वह व्यक्ति अपना भरण पोषण करने मे समर्थ नहीं हो या अपने स्वामित्व वाली संपत्ति से अपना भरण पोषण करने में असमर्थ हो ,इस अधिनियम के तहत रख रखाव या भरण पोषण का खर्चा अपनी संतान से पाने का हकदार होगा।(sec.5)
रेल या मेट्रो यात्रा के दौरान यदि कोंई घटना होती है तो किस जगह शिकायत करनी चाहिए|
कंडक्टर,कोच attendants या फिर रेलवे पुलिस को देना चाहिए ,इन सब अधिकारीयों के पास FIR फॉर्मेट होता है,इनके पास FIR लिखने का अधिकार भी होता है,किसी भी अपराध जो की रेल यात्रा के दौरान हुआ हों उसकी सुचना बिना बिलंब उपरोक्त अधिकारी में से को दे देना होता है,नहीं तो आप ने सुचना देने में क्यों देरी की इसका कारण कोर्ट में आपको बताना होगा |
किसी समान के चोरी होने पर हमे क्या करना चाहिए
जब हमारा कोंई समान चोरी हों जाता है या गुम हों जाता तो सबसे पहेले हमें इसकी सुचना वहाँ के पुलिस थाना में की जनि चाहिए क्योंकि अगर आप ऐसा नहीं करते है तो ऐसा संभव है की कोंई आपका जरुरी डॉक्यूमेंट का गलत इस्तेमाल कर ले आपके साथ कोंई अपराधिक घटना हों जाए,या वो आपके डॉक्यूमेंट का उपयोग करके कोंई अपराधिक काम न कर ले,और उस डॉक्यूमेंट का डुप्लीकेट पाने के लिए भी उस विभाग में आपको अपने पुलिस रिपोर्ट देखानी पड़ती है तभी आपको नया डॉक्यूमेंट प्राप्त होता है |
धर्म परिवर्तन कैसे करे |
धर्म परिवर्तन कैसे किया जाइये ,भारत में ये एक विचारणीय मुद्दा है,आम –तौर पर धर्म परिवर्तन लोंग तब करते है जब वो अन्तर जातीय विवाह करते है,ऐसा जब वो करते है तो मंदिर के पुजारी या मस्जिद के मौलवी एक सर्टिफिकेट बना देते है और मान लिया जाता है उनका अब धर्म परिवर्तन हों गया है,या व्यक्ति किसी धर्म में अपनी आस्था होने के करण जाता है | भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत धर्म परिवर्तन का अधिकार निहित है | जब कभी आप धर्म परिवर्तन के लिए जाते है तो आपको एक शपथ –पत्र देना होता है जिसमे ये लिखा होता की मै -------अपना नाम पुत्र /पुत्री पिता का नाम अपना पूरा पता और उम्र लिखना होता है ,साथ ही साथ ये भी
अगर पुलिस एफ .आई .आर रजिस्टर नहीं करती है तो हम क्या कर सकते है ?
हम आये दिन सुनते और देखते है की जब हम पुलिस के पास एफ .आई .आर दर्ज करवाने जाते है तो कई बार पुलिस एफ .आई .आर नहीं करती है और हमको वापस आना पड़ता है, या बार –बार पुलिस थाने के चक्कर लगाना पड़ता है और पुलिस बार –बार एफ .आई .आर दर्ज करने से मना करती है,इसका कारण मुख्य रूप से ये है की भारतीय दंड प्रक्रिया के अनुसार अपराधो को दो भागो में बाँटा गया है ------
संज्ञय अपराध – एफ.आई.आर दर्ज केवल संज्ञय अपराध में ही होता है| या दूसरे शब्दों में जब अपराध की प्रकृति गंभीर होती है |जैसे –
1 भारतीय दंड संहिता की धारा 302(हत्या)
क्या सावधानी बरते जब आप कोंई जमीन खरीदने जाए
जब हम किसी अचल सम्पति जैसे जमीन या घर को ख़रीदने जाते है तो कुछ सावधानी बरतनी चाहिए जिसके लिए मुख्य रूप से निम्न दस्तावेज़ को देखलेना चाहिए -------------
1 .जमीन का वो दस्तावेज़ जिसमे की जमीन के बारे में सब कुछ साफ –साफ लिखा हो,जमीन का लोकेशन क्या है, उसके चारो तरफ क्या है जैसे –आगे सडक पीछे ,दाये, और बाये क्या है |
2 जमीन की क्षेत्र –फल दस्तावेज़ पर लिखा होना चाहिए और जितना जमीन आप खरीद रहे हों उतना आपके दस्तावेज़ में लिखा होना चाहिए |
3 जमीन के दस्तावेज़ में नाम भी साफ होना चाहिए |
दहेज को रोकने के लिए भारतीय कानून
भारत मे प्राचीन काल से ही बेटी को शादी के समय या बाद में माता पिता द्वारा भेट में उपहार या अपना परिवार बसाने के लिए चल और अचल संपत्ति देने का प्रचलन रहा है ,जिसने धीरे धीरे दहेज का रूप ले लिया। जिसको पूरा करना लड़की के मां बाप का कर्तव्य बन गया और लड़के के घर वालो का अधिकार हो गया फिर दिन ब दिन लड़की की हालत बद्तर हो गई।शादी के समय लड़की के माता पिता दहेज को लेकर परेशान होना तय हो गया और लालची लोगो की दहेज की प्यास दिन ब दिन बढ़ती जाती है और शादी से लेकर और बाद तक लड़की को ताने और मारा पीटा जाने लगता फिर इन सब से तंग आ जाती है।इन सब से लड़की को बचाने के लिए भारतीय दंड संहिता की धारा ४९८ ए म
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