सर्दियों में सांस की बीमारियों से बचने के लिए ये उपाय अपनाए जा सकते हैं: 

 

 

वैसे तो सर्दी का मौसम बहुत ही सुहाना लगता है खाने पीने की छूट होती है इस मौसम में तरह - तरह के भोजन बनाये और खाये जाते हैं | सर्दियों के महीने साल का एक खास समय हो सकते हैं,  कई लोग त्यौहारों का आनंद लेते हैं और परिवार और दोस्तों के साथ नए साल का जश्न मनाते हैं। किन्तु , यह कुछ लोगों के लिए चिंता और तनाव का कारण भी बन सकता है क्योंकि  सर्दियों में कुछ लोगों को सांस लेने में समस्या होती है।

 

 

सर्दियों में सांस की बीमारियों से बचने के लिए ये उपाय अपनाए जा सकते हैं: 

 

 

 

 

इसके पीछे यह कारण है कि सर्दियों के मौसम में तापमान गिर जाता है और हवा शुष्क हो जाती है, जिससे नमी और आर्द्रता का स्तर कम हो जाता है। इससे वायुमार्ग में जलन और कसाव हो सकता है, जिसे ब्रोंकोस्पाज्म कहते हैं, जिसके परिणामस्वरूप सांस लेने में कठिनाई होती है और सांस फूलने लगती है।

 

सर्दियों में हम सभी अपने घरों को गर्म रखने की कोशिश करते हैं। लेकिन जब हम बाहर निकलते हैं, तो ठंडी और शुष्क जलवायु हमारे शरीर को प्रभावित कर  सकती है। तापमान में आने वाली तेज़ बदलाव फेफड़ों में ऐंठन और बेचैनी पैदा करता है  जिससे सांस लेने में काफी मुश्किल हो जाता है।

 

 

सर्दियों में सांस की बीमारियों से बचने के लिए ये उपाय अपनाए जा सकते हैं: 

 

 

 

 

 इस लेख के द्वारा हम सर्दियों के मौसम में होने वाली श्वांस संबंधी समस्याओं पर नजर डालेंगे और उनका प्रबंधन कैसे किया जाए यह भी जानेंगे :

आमतौर पर सर्दियों के मौसम में श्वसन समस्याओं में सर्दी, फ्लू, ब्रोंकाइटिस, निमोनिया जैसी बीमारियां शामिल हैं। सर्वप्रथम आप यह जान लें कि सर्दियों के मौसम में अस्थमा, सीओपीडी या क्रोनिक ब्रोंकाइटिस का प्रबंधन करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। अगर किसी को घरघराहट, खांसी, थकावट या सांस लेने में कठिनाई हो रही है, तो इसके लिए उपचार लेना अति आवश्यक है।

 

1. सामान्य सर्दी

 

सर्दी भले ही मनभावन मानी जाती हो किन्तु इस मौसम में दो सौ से ज़्यादा अलग-अलग तरह के वायरस सर्दी का कारण बन सकते हैं, जिनमें से सबसे आम राइनोवायरस है। सर्दी के दौरान सर्दी-जुकाम से कई तरह की समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं, जैसे कि कंजेशन, गले में खराश, छींक आना, नाक बहना या नाक बंद होने के साथ ही लगातार खांसी होना।

 

 

आमतौर पर सर्दियों के मौसम में श्वसन समस्याओं में सर्दी, फ्लू, ब्रोंकाइटिस, निमोनिया जैसी बीमारियां शामिल हैं।

 

 

 

2. फ्लू

 

सर्दी के साथ साथ इस मौसम में अगर आपको बुखार, सिरदर्द, थकान, दर्द, मतली या उल्टी के लक्षण भी दिख रहे हैं, तो आप फ्लू से जूझ रहे हैं। इन्फ्लूएंजा ए, बी और सी वायरस इस बीमारी के मुख्य कारक होते हैं।

 

3. ब्रोंकाइटिस

 

अगर आपको सर्दियों में सांस लेने में तकलीफ होती है, तो यह ब्रोंकाइटिस का संकेत हो सकता है।फेफड़ों में हवा के प्रवेश से होने वाली श्वसन जलन ब्रोंकाइटिस का कारण बन सकती है । क्रोनिक और तीव्र ब्रोंकाइटिस सर्दी के समान लक्षण पैदा कर सकते हैं, लेकिन वे अधिक तीव्र होते हैं। आम लक्षणों में छाती में जमाव, कफ वाली खांसी, सांस लेने में कठिनाई और सीटी बजना शामिल हैं। 


 

4. निमोनिया

 

ठंढ  के मौसम में निमोनिया के लक्षण बढ़ सकते हैं और स्थिति और खराब हो सकती है। बिगड़े हुए निमोनिया के लक्षणों में उथली और तेज़ साँस लेना, साँस फूलना और बुखार शामिल हो सकते हैं।

 

 

ठंढ  के मौसम में निमोनिया के लक्षण बढ़ सकते हैं और स्थिति और खराब हो सकती है।

 

 

 

 

 

5. काली खांसी

 

काली खांसी एक असाधारण संक्रामक श्वसन रोग है इसके लक्षण सर्दी के मौसम में ज्यादा देखे जाते हैं। कई व्यक्तियों को यह एक तीव्र और लगातार खांसी के रूप में अनुभव होता है जिसके बाद एक विशिष्ट "हूप" ध्वनि के साथ जोर से सांस अंदर खींची जाती है।

 

6. साइनसाइटिस

 

जब सर्दी लगती है, तो साइनस - नाक के मार्ग के आस-पास की जगहें - सूज जाती हैं और बलगम से भर जाती हैं। यह जमाव ही संक्रमण का कारण होता है, जिसे साइनसाइटिस के रूप में जाना जाता है , जिससे बहती या भरी हुई नाक और तेज़ सिरदर्द हो सकता है।

 

7. अस्थमा

 

ठंड के मौसम में सांस लेने की समस्या शुष्क हवा के कारण और भी बदतर हो जाती है, जिसके परिणामस्वरूप वायुमार्ग में जलन और सूजन हो जाती है।

अस्थमा एक ऐसी बीमारी है जो फेफड़ों के मार्ग को प्रभावित करती है।  इससे खांसी, घरघराहट, सांस की तकलीफ और सीने में जकड़न जैसे सामान्य लक्षण दिखाई देते हैं।  

 

 

अस्थमा एक ऐसी बीमारी है जो फेफड़ों के मार्ग को प्रभावित करती है।  इससे खांसी, घरघराहट, सांस की तकलीफ और सीने में जकड़न जैसे सामान्य लक्षण दिखाई देते हैं।  

 

 

 

सर्दियों में शरीर में बलगम का उत्पादन बढ़ जाता है, जो सामान्य से अधिक गाढ़ा और चिपचिपा हो जाता है। इससे संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है और अस्थमा के लक्षण और भी खराब हो सकते हैं ।

 

ठंड के मौसम में अपने फेफड़ों की सुरक्षा के लिए इन उपायों को आजमाएं :

 


 

अगर आप श्वास संबंधी किसी बीमारी से जुझ रहे हैं तो ठण्ड के मौसम में बाहर कम ही निकले किन्तु अगर आप ठंड के मौसम में बाहर जा रहे हैं, तो आप पूरी तरह अपने शरीर को गर्म रखने के लिए ढेर सारी परतें पहनें, और ठंडी हवा को अपने फेफड़ों में जाने से रोकने के लिए अपने चेहरे पर स्कार्फ़ या मफलर जरूर लपेटें।

 

 

अपने चेहरे पर स्कार्फ़ या मफलर जरूर लपेटें।

 

 

 

सर्दी में यथासंभव अपने रहने की जगह को साफ और स्वच्छ रखें - हवा में पालतू जानवरों की रूसी, धूल और फफूंद की मौजूदगी बढ़ने के कारण, आप सुनिश्चित करें कि आपका घर अच्छी तरह से इन जोखिमों को झेल के उपयुक्त बना हुआ है। इसके अलावा संक्रमण के जोखिम को कम करने के लिए नियमित रूप से अपने हाथ को धोना न भूलें।

अगर आपको सांस लेने में दिक्कत हो रही है सर्दी के मौसम में  दौड़ने या जॉगिंग जैसी कठोर बाहरी गतिविधियों से बचें। इनसे आप थका हुआ महसूस कर सकते हैं और सांस लेने में भी कठिनाई हो सकती है। 

 

 

 

गाजर और लाल शिमला मिर्च अस्थमा के लक्षणों से राहत दिलाने और फेफड़ों के स्वास्थ्य को बढ़ाने में फायदेमंद हैं।

 

 

 

पौष्टिक आहार का सेवन करें साथ ही खूब सारा तरल पदार्थ पिएं - संतुलित आहार और पर्याप्त मात्रा में पानी आपके श्वसन तंत्र को बहुत लाभ पहुंचा सकता है। गाजर और लाल शिमला मिर्च अस्थमा के लक्षणों से राहत दिलाने और फेफड़ों के स्वास्थ्य को बढ़ाने में फायदेमंद हैं।

 

इन उपायों को अपनाने के साथ ही जिन लोगों को सांस लेने में कठिनाई हो रही हो, उन्हें डॉक्टर के निर्देशानुसार दवा लेनी चाहिए तथा ठंड के महीनों में इन्हेलर हमेशा साथ रखना चाहिए|