आजकल की दुनिया डिजिटल हो चुकी है जिसके परिणामस्वरूप डिजिटल पेमेंट्स का चलन बहुत तेजी से बढ़ा है | हर व्यक्ति कैश रखने की बजाय डिजिटल पेमेंट्स को ही प्राथमिकता देते हैं| मोबाइल ऐप की सुविधा के साथ डिजिटल पेमेंट्स आसान होते हैं और इसमें अगले व्यक्ति तक पैसे पहुँचने में ज्यादा समय भी नहीं लगता| इससे ग्राहकों के बीच डिजिटल पेमेंट्स की लोकप्रियता बढ़ी है और लोगों की कैश पर निर्भरता भी घटी है|
इसके साथ ही ऑनलाइन धोखाधड़ी सहित तमाम साइबर अपराधों की संख्या में भी काफी वृद्धि हुई है ,रिपोर्ट में बताया गया है कि वित्तीय वर्ष 2017 और वित्तीय वर्ष 2020 के बीच ऑनलाइन भुगतान से जुड़े फ्रॉड के कुल 140,471 मामले सामने आये है, इसमें कुल 589.14 करोड़ रुपयों की धोखाधड़ी की गयी है|
डिजिटल भुगतान धोखाधड़ी क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड और इन्टरनेट बैंकिंग से बड़े पैमाने पर की जाती है| किन्तु अगर हम और आप सचेत रहें तो धोखेबाजों का शिकार बनने से बचा जा सकता है| डिजिटल लेनदेन के दौरान ऑनलाइन फ्रॉड से बचने के लिए कुछ जरुरी टिप्स बताएं गए है :
फिशिंग : यह किसी की जरुरी जानकारियां चुराने का सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाला तरीका है| आपको एक ईमेल भेजा जाता है, जिसे देखकर लगता है कि वो किसी बड़ी कंपनी की तरफ भेजा गया है| इसमें कोई लिंक या अटैचमेंट होते हैं, जिसे आपको डाउनलोड करना होता है| उस लिंक पर क्लिक करते ही या फाइल को डाउनलोड करते ही स्कैमर्स को आपकी सारी डिवाइस और डेटा का एक्सेस आसानी से मिल जाता है| इसलिए हमेशा यह ध्यान रखें कि किसी ईमेल के लिंक पर क्लिक करने के पहले आप चेक कर लें कि वह ईमेल फर्जी तो नहीं है|
KYC के नाम पर ठगी : जब से डिजिटल पेमेंट्स के लिए ऑनलाइन वॉलेट के लिए KYC जरूरी किया गया है तब से साइबर क्रिमिनल ने लोगों को अपना शिकार बनाने के लिए दूसरे रास्ते निकाल रहे हैं | आपको उनके तरफ से एक टेक्स्ट मैसेज भेजा जायेगा जिसमें एक लिंक होता है ,आपसे अपनी केवायसी को अपडेट करने के लिए इस लिंक पर क्लिक करने को कहा जायेगा , लिंक पर क्लिक करने के बाद आपसे आपके बैंक अकाउंट की जानकारी या क्रेडिट कार्ड डिटेल मांगी जाती है| कई बार आपको ओटीपी भी दिया जाता है| ये जानकारियां देते ही आपके अकाउंट से पैसा निकल जाता है | इसलिए कहीं भी पेमेंट करने से पहले हमेशा यह जांच कर लें कि जो लिंक आपको मिला है वह कितना सही है| बैंक के ऑफिशियल नोटिस या वेबसाइट के अलावा किसी पर भरोसा बिल्कुल न करें|
लोन के नाम पर फेक ऑफर : लोन के नाम पर आपको गलत बातें भेषबना कर साइबर ठग इस तरह के फ्रॉड को अंजाम देते हैं , इसके द्वारा बहुत कम इंटरेस्ट रेट पर लोन देने का प्रलोभन दिया जाता है , वे आपकी क्रेडिट हिस्ट्री भी नहीं देखते हैं| वे ऑफर को इस तरह से पेश करते हैं कि ग्राहक को लगता है यह उसके लिए सही है| लोन अमाउंट के डिस्बर्समेंट के लिए वे आपसे प्रोसेसिंग फीस की मांग एडवांस में करते हैं | अगर आप उनकी डिमांड के अनुसार पैसे का पमेंट नहीं करते हैं तो कॉल का जवाब देना बंद कर देते हैं| कई बार वे ग्राहक के साथ भरोसेमंद रिश्ता कायम करने के लिए बड़े बैंक का नाम लेते हैं| ऐसे में आपके लिए आवश्यक है किआप बैंक के ऑफिशियल नोटिस या वेबसाइट के अलावा किसी पर भी भरोसा नहीं करें |
आप ऐसे किसी व्यक्ति के कहने पर आपको लोन के लिए किसी वेबसाइट पर अपनी जरूरी जानकारियां बिल्कुल भी नहीं देनी है| ठगी की जाँच करने के लिए आप उनकी वेबसाइट की जांच - पड़ताल करें | आप इस बात पर नजर दें कि उनकी वेबसाइट ‘HTTPS’ की जगह सिर्फ ‘HTTP’ से तो शुरू नहीं हो रही है | आप वेबसाइट के फिजिकल एड्रेस, ई-मेल एड्रेस और फोन नंबर भी वेरिफाई कर सकते हैं| अगर आप स्मार्ट डिजिटल दुनियां के हिस्सा हैं तो आपको ठगों को भी स्मार्टली संभालना आना चाहिए |
पेमेंट करने वाले बहुत-से मोबाइल ऐप उपलब्ध हैं मगर, आप यह ध्यान रखें कि ऐप वही इस्तेमाल करें, जिससे यूजर्स की रेटिंग ज्यादा हो , ऐप प्ले स्टोर से ही डाउनलोड करें और ऐसे करने से पहले भी उसके वेरिफाइड बैज को जरूर चेक करें, और उसके बाद ही ऐप को डाउनलोड करें | नेट बैंकिंग या ऑनलाइन पेमेंट के लिए ज्यादातर ऐप आपकी सिक्योरिटी से समझौता कर सकते हैं हैं |
आप जब भी डिजिटल पेमेंट्स करें हमेशा सावधानी के साथ करें , किन्तु अगर फिर भी आपके साथ किसी तरह का ऑनलाइन फ्रॉड हो जाता है तो आप तुरंत पुलिस या खासकर साइबर क्राइम सेल को इसकी शिकायत करें | इसकी शिकायत नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल पर भी की जा सकती है | या आप हेल्पलाइन नंबर 1930 पर भी कॉल कर सकते हैं|
अभी तक तो नेशनल हेल्पलाइन नंबर की शुरुआत 7 राज्यों में की जा चुकी है , ये राज्य हैं छत्तीसगढ़, दिल्ली, मध्य प्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश | कुछ ही समय बाद या आने वाले दिनों में इस नंबर को अन्य राज्यों में भी लागू किये जाने की संभावना है | जिन राज्यों में पहले से ही कोई हेल्पलाइन नंबर एक्टिव था वहां साइबर अपराधियों से अब तक 1.85 करोड़ रुपये से अधिक रिकवर किए जा चुके हैं| ऐसी उम्मीद की जा रही है ,कि सरकार की इस पहल से ऑनलाइन धोखाधड़ी के शिकार लोगों को काफी राहत मिल सकेगी|