जीका  वायरस के होने का क्या कारण है? 

आमतौर पर जीका वायरस एक मुख्य प्रजाति के एडिज  मच्छर के काटने से होता है | इसी मच्छर के काटने से  डेंगू और चिकनगुनिया के वायरस भी फैलते हैं | यह संक्रमण अक्सर  उष्णकटिबंधीय (ट्रॉपिकल) और उपोष्णकटिबंधीय (सब-ट्रॉपिकल) क्षेत्रों में ज्यादा होता है।यह मच्छर वैसे तो पूरी दुनियां में  पाया जाता है किन्तु इसकी  पहचान अफ्रीका की जीका घाटी में सर्वप्रथम 1947 को  हुई थी ,उसके बाद इस संक्रमण के मामले विश्व के कई हिस्सों में  देखने को मिला | रिसर्च से यह पता चला है की यह मच्छर जब किसी संक्रमित व्यक्ति को काटता है तो यह वायरस मच्छर के अंदर चला जाता है और फिर जब ये मच्छर किसी अन्य व्यक्ति को काटता है तो उसके खून मे  इसका संक्रमण चला जाता है | एडीज मच्छर अक्सर   दिन में ही  काटते हैं, जो सुबह और दोपहर/शाम के दौरान चरम पर होते हैं। इसके अलावा और भी कई कारण  से यह संक्रमण फ़ैल सकता है जिसमें से प्रमुख कारणों का उल्लेख्य  किया गया है |यह भी देखने में आया है कि जीका वायरस  ,पहले से संक्रमित गर्भवती   स्त्री से गर्भावस्था के दौरान उसके शिशु को भी हो सकता है , यौन संपर्क-असुरक्षित सेक्स भी इस  वायरस के लिए जिम्मेदार है । जीका वायरस से  संक्रमित व्यक्ति या यदि कोई  व्यक्ति जो जीका वायरस के प्रकोप वाले क्षेत्र में रहता है या यात्रा कर चुका है, उन से सेक्स से दूर रहने या सभी यौन गतिविधियों के दौरान कंडोम का उपयोग करने से दूसरा साथी जीका होने की संभावना को कम कर सकता है | एक और मुख्य कारण से जीका वायरस का संक्रमण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में होने का संभावना रहता है अगर संक्रमित व्यक्ति रक्तदान करे और वह रक्त  जिस भी व्यक्ति को दिया जायेगा उसे जीका वायरस से संक्रमित होने की संभावना होगी | 

यह  है मुख्य कारण जिस से जीका  वायरस फैलता है आगे इससे बचाव और लक्षण  के बारे में  कुछ खाश बातों का उल्लेख्य किया जा रहा है :

 

जीका वायरस संक्रमण के लक्षण और जटिलताएं

 

जीका वायरस से संक्रमितों के लोगों में ज्यादातर कोई खाश लक्षण जल्दी पता नहीं चल पाता है या यूँ कहें की  केवल 20% लोगों में ही लक्षणों का अनुभव होता है, और या  लक्षण प्रायः  हल्के ही  होते हैं। इसके लक्षण लगभग संक्रमितों में  2 से 7 दिनों तक रहते हैं ,वह लक्षण हैं :

हल्का या ज्यादा बुखार 

कई बार सरदर्द ज्यादा भी हो सकता है 

 संक्रमितों में शक्ति की कमी के कारण प्रायः कमजोरी का अनुभव होता है 

मांसपेशियों और जोड़ों में भी  दर्द होते रहता है 

और जीका वायरस से संक्रमितों की लाल आंख हो जाती हैं | 

हलके लक्षण के साथ ही यह जानलेवा संक्रमण नहीं है,प्रायः यह देखा गया है कि 

जीका वायरस  के संक्रमण से अस्पताल में भर्ती होने की जरुरत नहीं पड़ता और  न ही इससे  मृत्यु का भय रहता  है। वैसे तो अधिकांश लोग जटिलताओं के बिना ही ठीक हो जाते हैं, लेकिन गुइलेन-बैरे सिंड्रोम जैसी न्यूरोलॉजिकल जटिलताओं के कुछेक मामले सामने आए हैं, यह एक ऑटोइम्यून बीमारी जो मांसपेशियों की कमजोरी और पक्षाघात का कारण बन सकती है।

जीका वायरस संक्रमण के उपचार और रोकथाम की कुछ मुख्य बिंदु :

जीका वायरस के संक्रमण का कोई खाश उपचार अभी तक नहीं प्राप्त हो पाया है । संक्रमण के लक्षणों का इलाज किया जा सकता है – जैसे , आपका डॉक्टर या फार्मासिस्ट बुखार और सिरदर्द के लिए एसिटामिनोफेन लेने की सलाह दे सकता है, साथ ही आपको ठीक होने में मदद करने के लिए आराम और तरल पदार्थ भी दिया जा  सकता है।जो प्रायः साधारण बुखार के लिए बताया जाता है |जीका वायरस के संक्रमण होने पर  इबुप्रोफेन या नेप्रोक्सन, जैसी दवाओं के उपयोग से बचना  चाहिए  जब तक कि डेंगू से इंकार नहीं किया जाता है। डेंगू एक ऐसा संक्रमण है जो समान लक्षणों का कारण बनता है और यह मच्छरों से भी फैलता है।अभी तक  इस संक्रमण से बचने के लिए कोई टीका उपलब्ध नहीं हो पाया है न ही कोई खाश प्रकार के उपचार के बारे में कुछ जानकारी ही मिली है इसलिए बेहतर यही है कि जब आप जीका वायरस से प्रभावित क्षेत्रों की यात्रा कर रहे हों तो मच्छरों द्वारा काटे जाने से बचने की कोशिश करें| इसके लिए आप को कुछ खाश एहतियात बरतना चाहिए जैसे आप हल्के रंग की, पूरी  बाजू वाली, ढीली-ढाली, लंबी पैंट और   शर्ट साथ ही अपने सर को बचने के लिए  टोपी पहनें।इसके साथ ही आप अपने कपड़ों, जूतों, कैंपिंग गियर और बेड नेटिंग पर पर्मेथ्रिन भी लगाया करें । आप चाहे तो इसमें पहले से मौजूद पर्मेथ्रिन से बने कपड़ों का उपयोग भी कर सकते हैं  ।जूते मौजों का प्रयोग ही करें , सैंडल या चप्पल पहनने से बचें।

रात को सोते समय बिस्तर और पालने पर मच्छरदानी का प्रयोग करना उचित रहेगा ।छोटे बच्चों में मच्छरों के काटने की रोकथाम पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए।

गर्भवती स्त्री के लिए कुछ खाश निर्देश दिए गए  हैं, अगर कोई गर्भवती है या  गर्भवती होने की योजना बना रही हैं , तो उनको प्रभावित क्षेत्रों की यात्रा करने से बचने के बारे में  सोचना चाहिए । किन्तु यदि  यात्रा को रोका नहीं जा सकता हो तब  जीका वायरस संक्रमण और जन्म दोषों से जुड़े जोखिम के बारे में स्वास्थ्य देखभाल प्रदाताओं से जानकारी हासिल करना आवश्यक है  । गर्भवती स्त्री का साथी प्रभावित क्षेत्रों में रह चुका है या यात्रा कर चुका है, तो गर्भवती स्त्री को अपने स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता से बात करना चाहिए ,वे  जीका वायरस को रोकने के लिए जरुरी कदमों के बारे में  जानकारी दे  सकते हैं जैसे कि कंडोम का उपयोग करना या गर्भवती होने पर सेक्स से परहेज करना।

बचाव का सबसे महत्वपूर्ण तरीका है कि आप जीका वायरस ले जाने वाले मच्छर की उत्पत्ति पर ही पाबन्दी लगाने का उपाय कर लें | ऐसा माना जाता है की ये मच्छर आमतौर पर घरों में और हमारे आसपास रहते हैं और खड़े पानी में प्रजनन करते हैं जो जानवरों के बर्तन, फूल के बर्तन और इस्तेमाल किए गए ऑटोमोबाइल टायर जैसे कंटेनरों में जमा हो जाते हैं।आप हर  सप्ताह  कम से कम एक बार, मच्छरों की आबादी को कम करने में मदद के लिए  पानी के हरेक   स्रोत को खाली कर के सूखा दिया करें ।