राहुल द्रविड़ एक ऐसे क्रिकेटर के रूप में जाने जाते हैं जिसने क्रिकेट को सच में भद्र पुरुषों का खेल बनाया. बचपन से ही विकेट पर टिके रहना द्रविड़ की खासियत थी. वो जल्दबाजी में गलत शॉट खेलकर शायद ही आउट होते थे. राहुल द्रविड़ का जन्म 11 जनवरी 1973 को इंदौर में हुआ था. द्रविड़ का पूरा नाम राहुल शरद द्रविड़ है. जब भारतीय क्रिकेट में सचिन तेंदुलकर और सौरव गांगुली जैसे धुरंधर बल्लेबाज थे उसी दौर में राहुल द्रविड़ मजबूत तकनीक से भारतीय टीम में बने हुए थे. जब विश्व क्रिकेट टेस्ट मैच की जगह एक दिवसीय को तरजीह दे रहा था उस दौर में अपेक्षाकृत धीमा खेलने वाला राहुल द्रविड़ टीम का स्थाई सदस्य था तब आप राहुल द्रविड़ की योग्यता का अंदाजा लगा ही सकते हैं.
राहुल द्रविड़ ने 1996 में इंग्लैंड के खिलाफ अपने टेस्ट करियर की शुरुआत की. अपने पहले ही टेस्ट मैच में राहुल द्रविड़ ने 267 गेंदों पर 95 रनों की पारी खेली. लॉर्ड्स के मैदान में इसी मैच से सौरव गांगुली ने भी अपने करियर की शुरुआत की थी. सौरभ गांगुली ने पदार्पण मैच में शतक लगाया था. इस मैच में 95 रन बनाने वाले राहुल द्रविड़ चर्चा का विषय इसलिए भी बने क्योंकि आउट होने पर उन्होंने अम्पायर के फैसले का इन्तजार भी नहीं किया और पवेलियन की तरफ लौट गए.
टेस्ट में जगह बनाए जाने के बाद भी राहुल द्रविड़ को एकदिवसीय में मौका नहीं मिल रहा था पर 1999 के विश्व कप में उन्हें टीम में जगह मिली और विश्व कप के तीसरे मैच में द्रविड़ ने फिर सौरभ गांगुली के साथ साझेदारी कर 127 गेंदों में 145 रन की ताबरतोड़ पारी खेली और एकदिवसीय टीम में भी अपना स्थान पक्का किया.
राहुल द्रविड़ विकेट बचाना जानते थे, उनमे गजब का धैर्य था, विकेट पर घंटो टिके रहना उन्हें पसंद था. जब भी वो अपनी गलती से आउट होते परेशान होते थे और कठोर प्रैक्टिस करते थे. अपने दौर में महान खिलाडियों के बीच रहकर यह विनम्र खिलाड़ी क्रिकेट में तकनीक को एक अलग ही स्तर पर ले गए. सचिन तेंदुलकर को क्रिकेट का भगवान कहा जाता है पर तकनीकी रूप से खेलने पर सचिन भी द्रविड़ के कायल हैं.
राहुल द्रविड़ का ‘द वाल’ बन जाना
वैसे तो राहुल द्रविड़ को ‘द वाल’ नाम एक एड एजेंसी ने दिया था. रीबॉक के एक एड के लिए भारतीय खिलाड़ियों को अलग-अलग नाम देना था. ऐसे में एड एजेंसी में काम कर रहे नीमा नामचू और नितिन बेरी ने राहुल द्रविड़ को 'द वॉल' नाम दिया था. हालाकि इस एड में बाकी खिलाड़ियों के नाम को भुला दिया गया पर राहुल द्रविड़ को ‘द वाल’ ही कहा जाने लगा जैसे कि ये उनका ही पर्याय हो.
साल 2001 में कोलकाता के ईडन गार्डन के मैदान पर खेले गए बॉर्डर-गावस्कर सीरीज के मैच की पहली पारी में ऑस्ट्रेलिया ने 445 रन का बड़ा स्कोर खड़ा किया था. भारत की पहली पारी 171 रन पर सिमट गई.भारत को फॉलो ऑन खेलना पड़ा. इसके बाद राहुल द्रविड़ और वीवीएस लक्ष्मण ने जो पारी खेली वो ऐतिहासिक है. दूसरी पारी में भारत के 232 रन पर चार विकेट गिरने के बाद इन दोनों ने मोर्चा संभाला. लक्ष्मण ने 281 और द्रविड़ ने 180 रनों की पारी खेली. दोनों के बीच 376 रन की रिकॉर्ड साझेदारी हुई थी. 101.4 ओवर तक इन दोनों ने बल्लेबाजी की थी. इसके बाद भारत ने 657 रन पर अपनी दूसरी पारी घोषित की. ऑस्ट्रेलिया को जीत के लिए 384 रनों का लक्ष्य मिला, लेकिन भारतीय स्पिनर हरभजन सिंह ने छह विकेट लेकर ऑस्ट्रेलिया को 171 रन पर आउट कर दिया. यह मैच इतिहास के सबसे रोमांचक मैचों में एक मान जाता है. अजेय ऑस्ट्रेलिया को हराने का कारनामा राहुल द्रविड़ और लक्ष्मण ने किया था. हरभजन सिंह ने भी उम्दा गेंदबाजी की थी. इस मैच के बाद राहुल द्रविड़ सच में ‘द वाल’ बने और लक्ष्मण को वैरी वैरी स्पेशल कहा गया.
राहुल द्रविड़ की उपलब्धियाँ
- 1998 में उन्हें अर्जुन पुरस्कार मिला.
- 1999 में उन्हें 1999 के विश्व कप के सीएट क्रिकेटर होने का पद मिला.
- 1999 विश्व कप में लगातार दो शतक बनाने वाले वो पहले भारतीय बने. विश्व कप 1999 में कुल 461 रन बनाकर सीरीज में सर्वाधिक रन बनाने वाले क्रिकेटर बने.
- वर्ष 2000 में उन्हें विस्डेन क्रिकेटर ऑफ द ईयर 2000 के रूप में नामांकित किया गया था.
- 2004 में उन्हें सर गारफील्ड सोबर्स ट्रॉफी विजेता (आईसीसी प्लेयर ऑफ़ द इयर के लिए सम्मानित) का सम्मान मिला.
- 2004 में उन्हें “आईसीसी प्लेयर ऑफ द ईयर” के लिए सम्मानित किया गया.
- उन्होंने 2004 में पद्म श्री पुरस्कार भी प्राप्त किया.
- उन्हें 2004 ही में आईसीसी टेस्ट प्लेयर ऑफ द ईयर और उसी वर्ष एमटीवी यूथ आइकन के रूप में नामांकित किया गया था.
- 2006 में उन्हें अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट काउंसिल की टेस्ट टीम का कप्तान बनाया गया था.
- उन्होंने 2011 में देव आनंद के साथ एनआईडीटीवी इंडियन ऑफ द ईयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड प्राप्त किया था.
राहुल द्रविड़ के बारे में कुछ रिकार्ड्स
- द्रविड़ ने भारतीय क्रिकेट टीम के लिए लगातार 93 टेस्ट मैचों (पाँच दिवसीय) में खेलने का रिकॉर्ड बनाया।
- राहुल द्रविड़ सभी टेस्ट खेलने वाले देशों के खिलाफ शतक बनाने वाले पहले बल्लेबाज हैं
- राहुल द्रविड़ ने गैर – विकेट कीपर के रूप में टेस्ट क्रिकेट मैचों में अधिकतम कैच लेने की उपलब्धि भी हासिल की है।
- द्रविड़ पहले ऐसे बल्लेबाज हैं जिन्होंने नंबर 3 पर खेलते हुए 10,000 रन बनाए
- लगातार 120 वनडे मैचोंमें शून्य पर ना आउट होने का रिकॉर्ड भी इनके नाम है
- 24 नवंबर 2011 को द्रविड़, सचिन तेंदुलकर के बाद टेस्ट मैच क्रिकेट में 13,000 रन बनाने वाले दूसरे अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर बन गए
- द्रविड़ 18 अलग-अलग बल्लेबाजों के साथ 80 से अधिक शतकीय साझेदारी का हिस्सा रहे हैं और सचिन तेंदुलकर के साथ 19 शतकीय साझेदारी का हिस्सा रहे हैं जो एक अद्वितीय उपलब्धि है
- राहुल द्रविड़ ने अन्तर्राष्ट्रीय टेस्ट क्रिकेट में 55 बार बोल्ड होकर ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान एलन बॉर्डर के 53 बार बोल्ड होने के रिकार्ड को भी तोड़ दिया था
- 14 दिसंबर 2011 को, ऑस्ट्रेलिया के कैनबरा में ब्रेडमैन ओरेशन में भाषण देने वाले यह दुनिया के पहले गैर – ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर बने
राहुल द्रविड़ के नाम से चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर एक दीवार है जिस पर तीन शब्द कमिटमेंट, क्लास और कंसिसटेंसी लिखे हैं. ये तीनों शब्द राहुल द्रविड़ के व्यक्तित्व को बताते हैं. राहुल द्रविड़ जैसे समर्पित क्रिकेटर के बारे में एक लेख में सब कुछ लिख पाना संभव ही नहीं है. इनकी क्रिकेट जीवन पर दो किताबें भी लिखी गई है राहुल द्रविड़ - एक जीवनी वेदाम जयशंकर द्वारा लिखा गया है जबकि ए नाईस गाय हू फिनिश्ड फर्स्ट देवेन्द्र प्रभुदेसाई के द्वारा लिखा गया है.