भगवान विष्णु ने धर्म की रक्षा करने के लिए हर काल में अवतार लिए हैं किंतु उनके 10  प्रमुख अवतार माने गए हैं, भगवान विष्णु के दस अवतारों की पौराणिक एवं प्रामाणिक कथाएं सनातन धर्म की मान्यताएं और विज्ञान के तर्कों  के पूरक हैं. भगवान श्री हरि के दस अवतार मानव सभ्यता के विकास के क्रम को दर्शाते हैं.

1. मत्स्य अवतार 

भगवान विष्णु का पहला अवतार मत्स्य के रूप में हुआ, मछली मानव जीवन की उत्पत्ति को दर्शाते हैं,क्योंकि जीवन का आरंभ जल से हुआ था. पुराणों में वर्णित है कि सृष्टि को प्रलय से बचाने के लिए भगवान ने मत्स्य अवतार लिया था . सतयुग में राजा सत्यव्रत नदी में स्नान करके अर्घ्य दे रहे थे कि उनकी अंजुली में एक छोटी सी मछली आ गई. राजा उसे वापस नदी में डाल रहे थे तो मछली ने राजा से प्रार्थना की- राजन मुझे नदी में मत डालिए, यहाँ बड़ी मछलियों से मेरे जीवन को भय है. मुझे अपने आवास पर रख लें. राजा ने मछली की बात मानी और कमंडल में ले जाकर घर में एक पात्र में रख दिया. मछली कुछ ही समय में पात्र से बड़ी हो गई. राजा ने उसे सरोवर में रखा मछली सरोवर से बड़ी हो गई, राजा ने नदी में मछली को डाला तो मछली का आकार बहुत बड़ा हो गया. राजा समझ गए कि ये कोई सामान्य मछली नहीं है और मछली से उसके वास्तविक रूप में आने की प्रार्थना की-राजा की प्रार्थना सुन साक्षात चारभुजा धारी भगवान विष्णु प्रकट हुए और उन्होंने कहा कि यह मेरा मत्स्य अवतार है. भगवान विष्णु ने राजा से कहा सुनो राजा सत्यव्रत! आज से सात दिन बाद पृथ्वी पर प्रलय आएगा तब मेरी प्रेरणा से एक नौका तुम्हारे पास आएगी. तुम सप्तऋषि, औषधियों, बीजों और मनुष्य के सूक्ष्म शरीर को लेकर उस नौका में बैठ जाना, जब तुम्हारी नाव डगमगाने लगेगी तब मैं मत्स्य के रूप में तुम्हारे पास आऊंगा. उस समय तुम वासुकी नाग द्वारा उस नौका को मेरे सींग से बांध देना. उस समय प्रश्न पूछने पर मैं तुम्हे उत्तर दूंगा, जिससे मेरी महिमा जिसे परब्रह्म कहते हैं तुम्हारे  हृदय में प्रकट हो जाएगी. समय आने पर भगवान विष्णु ने राजा सत्यव्रत को तत्वज्ञान का उपदेश दिया, जो मत्स्य पुराण नाम से प्रसिद्ध है.

2. कच्छप अवतार

श्री हरि का  दूसरा अवतार कच्छप अवतार है. मानव विकास के क्रम में कछुआ समुद्र से जमीन की ओर बन रहे जीवन को दिखाता है. इसकी कथा इस प्रकार है-एक बार महर्षि दुर्वासा ने देवराज इंद्र को श्राप देकर श्री हीन कर दिया था. इंद्र भगवान विष्णु के पास गए तो श्री हरि ने उनको समुद्र मंथन करने को कहा. देवराज इंद्र समुद्र मंथन के लिए तैयार हो गए. समुद्र मंथन करने के लिए मंदराचल पर्वत को मथानी एवं नागराज वासुकी को रस्सी की तरह इस्तेमाल किया गया. देवता और दानवों ने अपना मतभेद भुलाकर मंदराचल को उखाड़ लिया और उसे समुद्र की ओर ले चले लेकिन वह अधिक दूर तक नहीं जा सके यह देखकर भगवान विष्णु विशाल कछुआ का रूप धारण कर समुद्र में मंदराचल के आधार बन गए. भगवान के कछुआ रूपी विशाल पीठ पर मंदराचल तेजी से घूमने लगा इस तरह समुद्र मंथन संपन्न हुआ.

3. वराह अवतार

भगवान विष्णु का तीसरा अवतार हुआ वराह के रूप में. यानी मानव विकास के क्रम में जीवन भूमि पर आने के बाद जंगल की तरफ जाकर जंगली जानवरों के रूप में विकसित हुआ. धर्म ग्रंथों के अनुसार भगवान विष्णु का तीसरा अवतार वराह के रूप में था. वराह अवतार से जुड़ी कथा इस प्रकार है- पुराने समय में हिरण्याक्ष ने पृथ्वी को समुद्र में छुपा दिया था तब ब्रह्माजी के नाक से भगवान विष्णु वराह रूप में प्रकट हुए. भगवान के इस रूप को देखकर सभी देवी देवताओं और ऋषि-मुनियों ने उनकी स्तुति की सब के आग्रह पर भगवान वराह ने पृथ्वी को ढूंढना शुरू किया और अपनी नथुने की सहायता से पृथ्वी का पता लगा लिया और समुद्र के अंदर जाकर अपने दांतों पर रखकर वह पृथ्वी को बाहर ले आए. जब हिरण्याक्ष  ने यह देखा तो उसने भगवान विष्णु के वराह रूप को युद्ध के लिए ललकारा, दोनों में बहुत युद्ध हुआ अंत में भगवान विष्णु ने हिरण्याक्ष  का वध कर दिया इसके बाद भगवान वराह ने अपने खुर से जल को स्तंभित कर उस पर पृथ्वी को स्थापित कर दिया.

4. नरसिंह अवतार

श्री हरि नका चौथा अवतार नरसिंह अवतार है.  जंगली जीवों में जब थोड़ी सी बुद्धिमानी आ गई तो वह आधे जानवर और आधे मनुष्य के रूप में प्रकट हो गए. भगवान विष्णु ने नरसिंह अवतार लेकर दैत्यों के राजा हिरण्यकश्यप का वध किया था. इस अवतार की कथा यह है- दैत्यों का राजा हिरण्यकश्यप अपने आप को भगवान से अधिक बलशाली मानता था उसे मनुष्य, देवता, पशु-पक्षी,न दिन में, न रात में,न धरती पर, न आकाश में, न अस्त्र से,न शस्त्र से मरने का वरदान प्राप्त था. उसके राज में भगवान की पूजा निषेध थी. उसका पुत्र प्रहलाद बचपन से ही भगवान विष्णु का परम भक्त था. जब यह बात हिरण्यकश्यप को पता चली तो वह बहुत क्रोधित हुआ और अपने पुत्र को समझाने का प्रयास किया किंतु प्रह्लाद ने नहीं माना तो हिरण्यकश्यप ने उसे मृत्युदंड दे दिया. हर बार भगवान विष्णु के चमत्कार से प्रहलाद की जान बचाई गई. हिरण्यकश्यप की बहन होलिका जिसे अग्नि से ना जलने का वरदान प्राप्त था वह प्रहलाद को लेकर धधकती हुई अग्नि में बैठ गई तब भी भगवान विष्णु की कृपा से प्रहलाद बच गए और होलिका जल गई. आखिर हिरण्यकश्यप प्रहलाद को मारने ही वाला था तब भगवान विष्णु ने नरसिंह का अवतार लेकर खंभे से प्रकट होकर अपने नाखूनों से हिरण्यकश्यप का वध कर दिया.

5. वामन अवतार

भगवान विष्णु के पांचवें अवतार के रूप में वामन देवता प्रकट हुए यानी नृसिंह के माध्यम से मानवीय रूप में आने वाले जीव बौने मनुष्य के रूप में जन्म लेने लगे.

सतयुग में प्रहलाद के पौत्र वैद्यराज बलि ने स्वर्ग लोक पर अधिकार कर लिया .सभी देवता इस विपत्ति से बचने के लिए भगवान श्री हरि के पास गए तब भगवान विष्णु ने कहा कि मैं स्वयं देवमाता अदिति के गर्भ से उत्पन्न होकर तुम्हें स्वर्ग का राज्य दिलाऊंगा. कुछ समय बाद भगवान विष्णु ने वामन का अवतार लिया.

एक बार जब राजा बलि यज्ञ कर रहा था तब वामन रूप में भगवान विष्णु  यज्ञशाला गए और राजा से तीन पग धरती दान में मांगा. बलि के गुरु शुक्राचार्य भगवान की लीला समझ कर वामन को दान देने से मना कर दिए लेकिन बलि भगवान वामन को तीन पग धरती दान देने का संकल्प चुके थे. भगवान वामन ने विशाल रूप धारण कर एक पग में धरती दूसरे पग में स्वर्ग लोक नाप लिया जब तीसरा पग रखने के लिए कोई स्थान नहीं बचा तो बलि ने भगवान वामन को अपने सिर पर पैर रखने को कहा बलि के सिर पर पैर रखने से वह सुतल लोक पहुंच गया .बली की दानवीरता देखकर भगवान ने उसे सुतल लोक का स्वामी भी बना दिया .इस तरह वामन भगवान ने देवताओं की सहायता कर उन्हें स्वर्ग लोक वापस दिया.

6. परशुराम अवतार

अब विकास के क्रम में अपना अस्तित्व बनाए रखने के लिए मनुष्य को औजार की आवश्यकता भी पड़ी तो भगवान विष्णु ने परशुराम के रूप में अवतार लिया .भगवान परशुराम जी के पास हथियार के रूप में कुल्हारी भी थी. हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार परशुराम भगवान विष्णु के प्रमुख प्रमुख अवतारों में से एक थे. हरिवंश पुराण के अनुसार- प्राचीन समय में माहिष्मती नगरी पर क्षत्रिय कृत्य वीर्य अर्जुन सहस्त्रबाहु का शासन था वह बहुत अभिमानी तथा अत्याचारी राजा था. एक बार अग्निदेव ने उसे भोजन कराने का आग्रह किया तब सहस्त्रबाहु ने घमंड में आकर कहा कि आप जहां चाहे भोजन प्राप्त कर सकते हैं हर स्थान पर मेरा ही राज है. तब अग्निदेव ने वनों को जलाना शुरू किया एक वन में ऋषि आपाव तपस्या कर रहे थे अग्नि ने उनके आश्रम को भी जला डाला जिससे क्रोधित होकर ऋषि ने सहस्त्रबाहु को श्राप दिया कि भगवान विष्णु परशुराम के रूप में जन्म लेंगे और ना सिर्फ सहस्त्रबाहु का ही बल्कि समस्त क्षत्रियों का सर्वनाश करेंगे इस प्रकार भगवान विष्णु ने भार्गव कुल में महर्षि जमदग्नि के पांचवें पुत्र के रूप में जन्म लिया.

7. राम अवतार

जब धरती पर मनुष्यों की भीड़ बढ़ गई तो राजा प्रजा और समाज का ताना-बाना भी बुनने की आवश्यकता हुई .ऐसे में भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में अवतार लिया जो कि प्रजा के लिए मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में उभरे.

त्रेता युग में राक्षस राज रावण का बहुत आतंक था. देवता भी उससे डरते थे. उसके विनाश के लिए भगवान विष्णु ने राजा दशरथ के यहां माता कौशल्या के गर्भ से पुत्र के रूप में जन्म लिया. इस अवतार में भगवान विष्णु ने अनेक राक्षसों का वध किया और मर्यादा का पालन करते हुए अपना जीवन यापन किया. पिता के कहने पर वनवास गए वनवास भोगते समय राक्षस राज रावण उनकी पत्नी सीता का हरण कर ले गया. सीता की खोज में भगवान लंका पहुंचे वहां भगवान श्री राम और रावण का घोर युद्ध हुआ .रावण को मारकर श्री राम ने देवताओं को भय से मुक्त किया था.

8. कृष्ण अवतार

धरती पर विकास होता गया प्रभु श्रीराम के बाद भगवान विष्णु ने श्री कृष्ण के रूप में अवतार लिया. भगवान श्री कृष्ण का जन्म कारागार में हुआ था. उनके पिता का नाम वासुदेव और माता का नाम देवकी था .भगवान श्री कृष्ण ने इस अवतार में कई चमत्कार किए और दुष्टों का सर्वनाश किया. कंस का वध भी भगवान श्रीकृष्ण ने ही किया. श्रीकृष्ण एक कूटनीतिज्ञ, राजनीतिज्ञ और प्रेमी बनकर उभरे. उन्होंने समाज के नियमों का आनंद लेते हुए सिखाया की सामाजिक ढांचे में रहकर कैसे विकसित हुआ जा सकता है. किस प्रकार  खुद को एवं परिवार को आनंदित किया जा सकता है. महाभारत के युद्ध में अर्जुन के सारथी बने और दुनिया को गीता का ज्ञान दिया.

9. महात्मा बुद्ध अवतार

महात्मा बुद्ध विष्णु के नौवें अवतार हैं. भगवान बुद्ध का जन्म 563 ईसा पूर्व लुम्बिनी, नेपाल में इक्ष्वाकु क्षत्रिय कुल में हुआ था. उनका नाम सिद्धार्थ था. उनके पिता शुद्धोधन और माता महामाया थी. उनकी पत्नी का नाम यशोधरा था तथा उनके पुत्र का नाम राहुल था. भगवान बुद्ध ने धरती पर व्याप्त आडम्बर एवं हिंसा को समाप्त करने के लिए एक नए धर्म की स्थापना की जो बौद्ध धर्म कहलाया. बौद्ध धर्म का आधार अहिंसा है.

10. कल्कि अवतार

विष्णु के दसवें अवतार कल्कि के रूप में आएंगे जो कि कलयुग में पाप का अंत करेंगे. श्रीमद्भागवत पुराण और कल्कि पुराण के अनुसार भगवान कल्कि का अवतार कलयुग की समाप्ति और सतयुग के संधिकाल में होगा. माना जाता है कि यह भगवान विष्णु  का अंतिम अवतार होगा. यह अवतार 64 कलाओं से युक्त होगा पुराणों के अनुसार उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले के शंभल नामक स्थान पर विष्णुयशा नामक तपस्वी ब्राह्मण के घर भगवान कल्कि  पुत्र रूप में जन्म लेंगे. कल्कि देवदत्त नामक घोड़े पर सवार होकर संसार से पापियों का विनाश करेंगे और धर्म की पुनर्स्थापना करेंगे उसके बाद पुनः सतयुग का प्रारंभ होगा.