किस कारण से इस वर्ष पड़ेगी प्रचंड ठण्ड आप भी जाने |
साल 2024 में भारत के कई राज्यों में भारी बारिश हुई थी। पहाड़ों के साथ ही मैदानी इलाकों में भी बारिश का भयानक मंजर देखा गया था। कई राज्यों में तो बाढ़ जैसे हालात उत्पन्न हो गए। बारिश के पहले भीषण गर्मी से उत्तर भारत को निवासी को अच्छी खासी परेशानी झेलनी पड़ी थी। मई-जून में राजस्थान के कई इलाकों के साथ दिल्ली का पारा भी 50 डिग्री को पार कर गया था। इस वर्ष जैसे हम भीषण गर्मी और मूसलाधार बारिश से परेशान रहे हैं वैसे ही अब ठंड भी लोगों को परेशान करने वाली है। विश्व मौसम संगठन यानी डब्ल्यूएमओ ने संभावना जताई है कि इस साल कड़ाके की ठंड पड़ेगी। डब्ल्यूएमओ का कहना है कि कड़ाकी की ठंड की वजह ला नीना प्रभाव होगा।
डब्ल्यूएमओ का कहना है कि भारत के उत्तरी भागों में कड़ाके की ठंड पड़ेगी। गौर करने वाली बात ये भी है कि इस साल न केवल ठंड सामान्य से ज्यादा होगी बल्कि सर्दियों के मौसम की अवधि भी बढ़ेगी। डब्ल्यूएमओ के अनुसार, साल के अंत तक 60 प्रतिशत संभावना है कि ला नीना स्थितियां और मजबूत हो जाएगी जिससे देश के उत्तरी भागों में सामान्य से अधिक ठंडी पड़ सकती है।
ऐसा पाया गया है कि जिन सालों में ला नीना की स्थिति बनती है, तब देश के उत्तरी हिस्सों और खासतौर से उत्तर पश्चिम और उससे सटे मध्य भाग में तापमान सामान्य से काफी नीचे होता है| ऐसा माना जा रहा है कि इस साल हमने भारी बारिश और भीषण गर्मी का सामना किया ठीक वैसे ही अब ठंड परेशान करेगी। विश्व मौसम संगठन ने संभावना जताई है कि ला नीना प्रभाव के कारण इस साल सामान्य से ज्यादा ठंड पड़ेगी। उत्तर भारत में सर्दियों की अवधि भी बढ़ेगी।
IMD के अनुसार, इस साल देश में सामान्य से 8% अधिक बारिश हुई है। मौसम विभाग का यह भी कहना है कि इस साल कड़ाके की ठंड पड़ सकती है। IMD का कहना है कि उत्तर भारत, खासकर दिल्ली-एनसीआर और आसपास के क्षेत्रों में इस बार कड़ाके की ठंड पड़ने की संभावना है।कड़ाके की ठंढ होने का मुख्य कारण ला नीना के इसी महीने एक्टिव होना माना जा रहा है | इसी वजह से दिसंबर और जनवरी के महीने में कड़ाके की ठंड पड़ने की संभावना जताई गई है। ला नीना की वजह से आमतौर पर तापमान में बहुत गिरावट आती है। सर्दियों में अधिक बारिश भी ला नीना के एक्टिव होने के कारण ही होती है ।
IMD के दावों के अनुसार दिसम्बर महीने में सघन हिमपात होने की संभावना व्यक्त की है , जिसके प्रभाव से उत्तरी-पश्चिमी हवाएं मैदानी क्षेत्रों की तरफ तेजी से बढ़ेंगी। इसकी संभावना 11-12 दिसंबर के बाद है। इस बीच न्यूनतम तापमान में धीरे-धीरे गिरावट आने की बात कही गयी है , फिर भी यह सात डिग्री के आसपास स्थिर रहेगा। किंतु सात-आठ दिसंबर के आसपास जम्मू-कश्मीर के पहाड़ों में पश्चिमी विक्षोभ की स्थिति बन रही है, जिसके प्रभाव से सघन हिमपात होगा।