भारत में मातृत्व अवकाश की अवधि और मातृत्व अवकाश का प्रकार को हम इस प्रकार भी दर्शा सकते है:-
नौकरी मे महिला की सुरक्षा सुनिश्चत करने और महिला के आर्थिक अधिकारों की रक्षा हेतु, मातृत्व अवकाश अधिनियम का गठन 1961 मे किया गया है। यह कंपनी द्वारा अपनी महिला कर्मचारी को प्रदान की जाना वाली ऐसी सुरक्षा है जो उनको बिना किसी तनाव या दबाव अपने मातृत्व कर्त्तव्य को पूरा करने की प्रेरणा देता है।
भारत में मातृत्व अवकाश अधिनियम 1961 मे लागू किया गया। जिसमें 2017 मे संशोधन किया गया है। इसके द्वारा नियोक्ता अपनी कंपनी में काम करने महिला कर्मचारी के लिए मातृत्व अवकाश के समय पर उनके लिये अवकाश देती है, और भुगतान भी करती है। इस दौरान उनको अपने काम के सुरक्षा देती है, साथ ही साथ आर्थिक सुरक्षा प्रदान करती हैं।
भारत मे maternity leave की नीति ?
भारत में मातृत्व अवकाश एक दीर्घकालीन भुगतान अवकाश है जो किसी संगठन मे काम करने वाली महिला गर्भवती हो दिया जाने वाला होता है यह एक अनिवार्य अवकाश है जो संगठन द्वारा किसी कामकाजी गर्भवती महिला को प्रसव से पहले और बाद मे दी जाती है।
भारत मे मातृत्व अवकाश नीति के बारे मे कुछ महत्वपूर्ण बिंदु नीचे दिए गए है -
* सभी गर्भवती महिलाओं को जहां पर वह काम कर रही होती है, कंपनी द्वारा पहले और दूसरे बच्चे के लिये 26 सप्ताह का मातृत्व अवकाश प्राप्त होती हैं। इनमे से वो अपने बच्चे के जन्म से पहले 8 सप्ताह तक कि छुट्टी ले सकती हैं।
* तीसरी या बाद की गर्भावस्था के लिए 12 सप्ताह तक छुट्टी ले सकते हैं।
*गोद लेने वाली मात्रा में 12 सप्ताह के मातृत्व अवकाश के लिए पत्र है जो उसे दिन से शुरू होती है जिस दिन उनके नवजात शिशु उन्हें सौंपा जाता है।
*चिकित्सा समाप्ति या आकस्मिक गर्भपात के मामलो में एक महिला कर्मचारी 12सप्ताह का मातृत्व अवकाश ले सकती है हालांकि इस मामले में गर्भपात का चिकित्साप्रमाण होना आवश्यक है।
*इसके अलावा मांग और उसके बच्चे के स्वास्थ्य और स्थिति के आधारपर अतिरिक्त भुगतान वाली छुट्टियां भी दी जा सकती है।
*यह भी ध्यान देना दिया जाना चाहिए कि महिला कर्मचारी को मातृत्व अवकाश लाभ से इनकार करने पर नियोक्ता को कारावास सहित कुछ गंभीर कानूनी दंड का भी विधान है।
मातृत्व अवकाश अधिनियम 1961
भारत में मातृत्व अवकाश के प्रावधान को 1961में पारित कर मातृत्व लाभ के तहत परिभाषित किया गया है। इसने द्वारा देशमें महिला कर्मचारियों के लिए मातृत्व अवकाश के प्रायोजकता पात्रता और लाभों के लिए बहुत अधिक आवश्यक नींव रखी है।
मातृत्व अधिनियम का मुख्य उद्देश्य महिला कर्मचारियों को अपनी और अपने नवजात बच्चों की देखभाल करते समय नौकरी की सुरक्षा प्रदान करना है।
मातृत्व लाभ अधिनियम में सुधार के लिए 2017 में मातृत्व अवकाश अधिनियम 1961 में संशोधन किया गया है ।इस संशोधन द्वारा मातृत्व अवकाश नीति में कई बदलाव लाए गए है जिसमे छुट्टी की अवधि को 12 सप्ताह से (3महीने) से से बढाकर 26 सप्ताह ,(6महीना) किया गया है।गोद लेने वाली मां के लिए भी मातृत्व अवकाश का प्रावधान किया गया है।
मातृत्व अवकाश के विस्तारित अवधि: -
1961 के मातृत्व अवकाश अधिनियम के द्वारा अवकाश को 12 सप्ताह या 3 महीने के लिए रखा गया था जिसको 2017 के संशोधन में किया गया जिसको बाद में 6महीने कर दिया गया है।
सभी गर्भवती कर्मचारी अपनी अपेक्षित डिलीवरी तिथि से 8 सप्ताह पहले और अपने बच्चों को जन्मदेने के बाद 18 सप्ताह तक छुट्टी ले सकती है।
गोद लेने वाली या गोद देनेवाली माता के लिए मातृत्व अवकाश के नियम: - मातृत्व लाभ अधिनियम में संशोधन में उनमहिला कर्मचारी को शामिल किया गया है जो 3 महीनेसे कम उम्र के बच्चों को गोद लें रही होती है।यही नियम सरोगेट मदर पर भी लागू होता है इसमें छुट्टी की अवधि आवेदक को बच्चा सौंपने के दिन से ही शुरू हो जाता है।
भारत में मातृत्व अवकाश के लिए पात्रता: -
भारत में मातृत्व अवकाश नीति सभीनिजी और सार्वजनिक क्षेत्र के संगठनमें काम करने वालीसभी में महिलाओं पर लागू है। 10 से अधिक कर्मचारीवाले निजी कंपनियां,सरकारी संगठनों, कारखाने, बंद आदिमें काम करनेवाली महिला कर्मचारी मातृत्व अवकाश पाने की हकदार हैं।
मातृत्व लाभअधिनियम स्वरोजगार करने वाली महिलाओं और 10 से कम कर्मचारी वाली फॉर्म मेंकाम करने वाली महिलाओं पर लागू नहीं होताहै। किसी कंपनी मे मातृत्व अवकाश के लिए पात्र होने के लिए महिला को बच्चेकी जन्म अपेक्षित तिथि की अवधि से 12महीने की अवधि में कम से कम 160 दिन का काम करना होगा।
मातृत्व अवकाश के क्या लाभ हैं?
मातृत्व अवकाश और मां और उसके बच्चे केअच्छे स्वास्थ्य औरखुशहाली लेकर आया जो एक मां के लिए वरदान साबित हुआ है। हालांकि या काफी मात्रा में मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक चुनौतियों के साथ होता है। गर्भावस्था केअंतिम समय में काम करना किसी भी गर्भवती स्त्रीके लिए काफी कठिन हो जाता है, ऐसी स्थिति मेंकाम करना किसी गर्भवती महिला और उसके गर्भस्थ शिशु के लिए हानिकारक भी हो सकता है इसलिए ऐसे समय में काम नहीं करने की अनुसंशा की जाती है। इसलिए भी मातृत्व अवकाश महत्वपूर्ण हो जाता है। मातृत्व अवकाश मूल और प्राथमिक लाभ यह सुनिश्चित करना है की मां और उसके बच्चे का स्वास्थ्य अच्छा हो। इसके द्वारा महिलाकर्मचारियों को अपने ऊपर और साथ में उस बच्चे के अपर ध्यान देने में मदद करती है जिस नए जीवन को दुनिया मे ला रही है।
बेहतर कर्मचारी प्रतिधारण - कंपनी की मातृत्व अवकाश नीति पहली शर्त में से एक है जिसे ज्यादातर महिलाएं संगठन में शामिल होने से पहले देखती है,इतना ही नहीं मातृत्व अवकाश नीति का अभाव कर्मचारियों के छुट्टी के पीछे एक प्रमुख कारण हो सकता है। महिला कर्मचारियों को मातृत्व अवकाश का लाभ प्रदान करके नियुक्ति विश्राम हासिल करते हुए और उद्योग में अपने प्रतिष्ठा में सुधार करते हुए अपने कर्मचारी प्रति धारण दर को बढ़ा सकते हैं।
कानूनी पालन: - भारत के मातृत्व लाभ अधिनियम के अनुसार 10 से अधिक कर्मचारी वाले प्रत्येक नियोक्ता या कंपनी को गर्भवती कर्मचारी को मातृत्व अवकाश नीति की पेशकेश करनी होगी। यदि कोई नियोजक इस अधिनियम के अधीन हकदारकिसी महिला को मातृत्व लाभ की कोई राशि देने में असफल रहता है या ऐसी महिला को इस अधिनियम के उपबंधो के अनुसार काम से अनुपस्थित रहने के दौरान या उसके कारण सेवामुक्त या बर्खास्त करता है तो वह कानून के अनुसार कम से कम 3 महीने और अधिकतम 1वर्ष के कारावास के दंड को प्राप्त करेगा, साथ ही साथ जुर्माने के स्वरूप में कम से कम 2हजार या अधिकतम 5हजार रुपए का दंड दिया जा सकता है।ये दंड न्यायालय लिखित रूपमें अभी लिखित किए जानेवाले पर्याप्त कारणों से, करवास के बदले में कम अवधि के लिए कारावास या जुर्माना दे सकती है।
यदि कोई नियोजक इस अधिनियम या इसके अधीन अन्यंत्र कोई दंड उपबंधित नहीं है, कारावास से जो एक वर्ष तक हो सकेगा,या जुर्माने से जो 5 हजार रुपए तक हो सकेगा या दोनों प्रकार के अदालत दे सकती है।
यदि नियोजक मातृत्व लाभ या किसी अन्य राशि के भुगतान से संबंधित किसी उपबंध का हो और ऐसा मातृत्व लाभ या राशि पहले से वसूल नहीं की गई वहां न्यायालय इसके अतिरिक्त ऐसे ऐसे मातृत्व लाभ या राशि को इस प्रकार वसूल करेगा मानव व जुर्माना हो और इसका भुगतान उसे व्यक्ति को करेगा इसका लाभ पाने का हकदार होगा।
स्वस्थ कार्य जीवन संतुलन को बढ़ावा देना: - मातृत्व अवकाश का एक और उल्लेखनीय लाभया है कि यह एक महिला कर्मचारी के व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन के बीच एक स्वस्थसंतुलन को बढ़ावा देता है।इसके द्वारा वो अपने पेशों के लगी रहती है जिसके कारण वो अपने बच्चे की देखभाल भी स्वस्थ ढंग से कर पति है।इसका सब से बड़ा लाभ ये है की मातृत्व अवकाश जैसे प्रावधान महिला कर्मचारियों को परिवारनियोजन के कारण अपना करियर छोड़ने से भी बचाता है।
सकारात्मक कार्यसंस्कृति को बनाए रखने में मदद करता है: - अपना समर्थन देकर मातृत्व अवकाश नियोक्ता को एक सकारात्मक कार्यवातावरण को बढ़ावा देने में सक्षम बनाता है। जहां प्रत्येक कर्मचारीको संगठन के लिए एक संपत्ति के रूप मे देखा जाता है।
भारत में मातृत्व अवकाश की अवधि और मातृत्व अवकाश का प्रकार को हम इस प्रकार भी दर्शा सकते है:-
मातृत्व अवकाश के प्रकार मातृत्व अवकाश की अवधि
प्रसव पूर्व 8 (सप्ताह)
प्रसवोतर छुट्टी 18(सप्ताह)
कुल कल मातृत्व अवकाश 26(सप्ताह)
(दो बच्चोंके जन्म तक) कुल मातृत्व अवकाश 12(सप्ताह)
( तीसरे या बाद के बच्चे केजन्म तक) 12(सप्ताह) के लिए छुट्टी
गर्भपात या चिकित्सा समाप्ति 12(सप्ताह) के लिए छुट्टी
गोद लेने या आयुक्त करने वाली माताओं के लिए छुट्टी 12(सप्ताह)
मातृत्व अवकाश के दौरान यह माता को नियोक्ता से वित्तीय मुआवजा प्राप्त करने का अधिकार देता है। मातृत्व अवकाश का लाभ या सुनिश्चित करना है कि जब कोई महिला काम नहीं कर रही तो उसे आर्थिक रूप से कोई संघर्ष नहीं करना पड़े।
भारत में मातृत्व अवकाश नीति , नीति में भुगतान का अधिकार निम्नलिखित आधारों पर तय होता है:-
पात्रता: - प्रत्येक महिला जो मातृत्व अवकाश के लिए पत्र है उसे नियुक्ति या संबंधित सरकारी एजेंसी से वित्तीय मुआवजा प्राप्त करने का अधिकार है। इस मुहावरे का उद्देश्य एक महिला को छुट्टी के दौरान उसकी मानसिक आय का एक हिस्सा देना है ताकि उसे किसी भी वित्तीय तनाव का सामना न करना पड़े।
भुगतान की दर: - मातृत्व अवकाश के दौरान वित्तीयमुआवजा कर्मचारी के काम से अनुपस्थित रहने से पहले के औसत दैनिक वेतन की दर से प्रदान किया जाता है। अक्सर वित्तीय लाभ महिला की औसत दैनिक कमाई का एक प्रतिशत होता है।
कानूनी आदेश: - मातृत्व अवकाश में भुगतान का अधिकार अक्सर भारतीय श्रम कानून और अन्य नियमों द्वारा समर्थित होता है । इस प्रकार नियोक्ताओं को कानून का पालन करना और मातृत्व अवकाश पर कर्मचारियों को आवश्यक भुगतान करना अनिवार्य है।
मातृत्व अवकाश के लिए आवश्यक नियम निम्न है: -
(1) संगठन द्वारा मातृत्व अवकाश पर कर्मचारियों को पूरा वेतन देना अनिवार्य है जिस दर पर वेतन का भुगतान किया जाता है उसकी गणना उसकी छुट्टी कीअवधि से पहले के तीन महीने के दौरान उसके वास्तविक दैनिक वेतन के आधार पर हो।
(2) संगठन द्वारा किसीमहिला को उसके प्रसव; गर्भपात,या गर्भावस्था के मेडिकल के खत्म होने के 6 सप्ताह के बाद तक नहीं रखना होता है,जो कम से कम 6सप्ताह की होनी चाहिए।
(3) मातृत्व अवकाश से लौटने के बाद किसी महिला को संगठन में अपनी स्थिति बहाल करने में मदद करने के लिए नियुक्ताओं के पास क्रेच की सुविधा होनी चाहिए।
(4) गर्भवती कर्मचारी का विशेष ख्याल रखा जाए। उन्हें स्वच्छ वाशरूम, आरामदायक बैठने की जगह, साफ पेयजल आदि जैसी आवश्यक सुविधाएं प्रदान की जानी चाहिए।
(5,) संगठन द्वारा गर्भवती कर्मचारी को कठिन कार्य नहीं देना चाहिए या उनको अपेक्षित डिलीवरी तिथि के कम से कम 10 सप्ताह पहले उन्हें लंबे समय तक काम पर नहीं लगाना चाहिए।मां और बच्चे की सुरक्षा और भलाई सुनिश्चित करना बेहद महत्पूर्ण है।
(6) यदि कोई कर्मचारी मातृत्व अवकाश के बाद काम करने में असमर्थ है तो उसे अतिरिक्त छुट्टियां प्रदान की जा सकती है। या आपसी सहमति से होनी चाहिए।
(7) संगठन मातृत्व अवकाश पर रहने वाले कर्मचारियों को नौकरी से नहीं निकल सकता है ऐसा करना दंडनीय अपराध माना जाएगा।
(8) मातृत्व अवकाश पर जाने से पहले गर्भवती को नियोक्ता कानूनी नोटिस का मातृत्व अवकाश आवेदन देना होगा डिलीवरी के बाद कंपनीमें दोबारा शामिल होने पर भी यही नियम लागू होगा।
कंपनी द्वारा सामना की जाने वाले मातृत्व अवकाश के चुनौतियां: -
मातृत्व अधिनियम माता और उनके शिशू के हित में बनाया गया है। क्या वास्तव में सरकार द्वारा उठाया गया एक सराहनीय कदम है। जिसे प्रत्येक कंपनी को अवश्य अपनाना चाहिए।
सीमित संसाधन - एक ही समय में कई कर्मचारियों को मातृत्व अवकाश देते समय संसाधनों की कमी नियुक्ताओं के सामने आने वाले सबसे बड़ी चुनौती है ; विशेष रूप से छोटे पैमाने की कंपनियों और नियुक्ताओं और उन लोगों के लिए खर्च है जिन्होंने अभी-अभी अपना परिचालन शुरू किया है।
उच्च कर्मचारी ड्रॉप ऑफ़ दर: - जो नियोक्ता अपनी महिला कर्मचारी को मातृत्व अवकाश का लाभ नहीं देते हैं उन्हें अपने कर्मचारियों को बनाए रखने और उनके और नईप्रतिभाओं को काम पर रखने के लिए संघर्ष करना पड़ता है । अधिकांश महिला आवेदक ऐसे संगठन में काम करना पसंद करतेहैं जो गर्भावस्था के दौरान उनको मातृत्व अवकाश का लाभ और नौकरी की सुरक्षा प्रदान करती है। कभी-कभी छुट्टियां और अतिरिक्त भक्तों के मामले में गर्भवती कर्मचारियों पर विशेषध्यान देना अन्य कर्मचारी को परेशान कर सकता है।
अंत में भारत में मातृत्व अवकाश नीति मातृत्व लाभ अधिनियम तहत बनाई गई है या महिला कर्मचारियों को उसकी गर्भावस्था गर्भपात या प्रसवोतर पुनर प्राप्ति के दौरान आवश्यक सहायता प्रदान करता है। यह ना केवल मातृत्व अवकाश पर अनुपस्थिति के दौरान कर्मचारियों को नौकरी की सुरक्षा सुनिश्चित करता है बल्कि यह भी सुनिश्चित करता है कि उन्हें वित्तीय मुआवजा प्रदान करके उन पर कोई वित्तीय बोझ ना पड़े। मातृत्व अवकाश का प्रावधान नियोक्ता लिए अपने कर्मचारियों का विश्वास और सम्मान हासिल करने के साथ साथ अपने कर्मचारी प्रति धारण दर मे भी सुधार की अनुमति प्रदान करता है।