रिट एक लिखित आदेश होता है जो किसी भी सरकारी संस्था के कार्य को करने के लिए अथवा किसी कार्य को ना करने के लिए न्यायालय द्वारा दी जाती है। इसका वर्णन भारत के संविधान के मूल अधिकार के भाग 3 में संविधान के अनुच्छेद 32_35 में मूल अधिकारों का वर्णन किया गया है।

       रिट के प्रकार:______

(1) बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका (Habeas corpus)

    Habeas corpus एक लैटिन से लिया गया जिसका मतलब होता सशरीर उपस्थित करना। इस याचिका को तब दायर किया जाता है जब किसी व्यक्ति को  पुलिस   नजर बंद कर लेती है और उसको अदालत में पेश नहीं करती है तो ऐसे में उस व्यक्ति के परिवार के सदस्यों द्वारा अदालत में याचिका दी जाती है ।इस याचिका में पीडीत का अदालत में होना अनिवार्य नहीं होता है।

(2) परमादेश याचिका (Mandamus) mandamus  शब्द लैटिन भाषा से लिया गया है जिसका अर्थ है आदेश किसी भी कार्य को करने के लिए दिया गया आदेश।   इसकी याचिका सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय में तब दी जाती है जब कोई सरकारी संस्था न्यायालय निगम आदि अपनी ड्यूटी सही से नहीं करती है या फिर अपने कार्यों को करने में नाकाम हो जाती है ऐसी स्थिति में परमादेश याचिका उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय में दी जाती है और अदालत  द्वारा  आदेश दिया जाता है । पर ये आदेश देश के राष्ट्रपति और राज्यपाल के विरुद्ध नहीं हो सकता है।

(3). उत्प्रेषण लेख याचिका (certiorari) इस याचिका में उच्चतर न्यायालय अधीनस्थ न्यायालय से किसी वाद के बारे में जो उस अधीनस्थ न्यायालय में चल रहा होता है उसकी समीक्षा के लिए डॉक्यूमेंट को मांग सकता है।

          इसका तात्पर्य नहीं है उच्चतर न्यायालय  अधीनस्थ न्यायालय के विरुद्ध  अपना निर्णय देता है, ऐसा आदेश उच्चतर न्यायालय तक जारी होता है जब किसी वाद  का स्थानांतरण होता है।

(4). अधिकार पृच्छा याचिका (Quo warranto) अधिकार पृच्छा शब्द का अर्थ होता है  प्रश्न करना ।इस याचिका द्वारा किसी भी सरकारी अधिकारी से यह प्रश्न करना है कि उसने किसी  नियुक्ति या फिर पद किस लिए रोक कर रखा है, इसके लिए भी  सर्वोच्च न्यायालय या उच्चतम न्यायालय के पास याचिका देकर उस व्यक्ति के विरुद्ध अधिकार पृच्छा जारी किया जाता है, जब व्यक्ति ऐसे पद को धारण करता है जिस पद को धारण करने के लिए उसके पास कोई अधिकार नहीं होता है। जैसे नौकरी आदि ।

(5). प्रतिषेध (prohibition). का शाब्दिक अर्थ है मना करना इस याचिका में  उच्चतर न्यायालय द्वारा अपने अधीनस्थ न्यायालय के विरुद्ध जारी किया जाता है।

        यदि किसी व्यक्ति को ऐसा लगता है की उसके किसी मौलिक अधिकार का हनन हो रहा है तो वह रिट याचिका उच्च न्यायालय या उच्च न्यायालय में दे सकता है ।इसके लिए वह वकील की मदद भी ले सकते हैं ।