भारत जैसे वकासशील देशों में copyright को लोग ज्यादा महत्व नहीं देते है या अनिवार्य नहीं है पर ये तब तक तो अच्छा होता जब तक कि आपके द्वार किसी भी प्रकार उत्पादित वस्तु या कला ने अपनी प्रसिद्धि ना पा ली है पर जब उस नाम काफी फैल जाता है तो कोई दूसरा company उसको उसी नाम से बाज़ार में बेचने लगता है या दावा पेश करे कि उस वस्तु का copyright उसके पास है ,तो आप विवादों में पर सकते और इन सब विवादों से बचने के लिए copyright अधिनियम का सहारा हम लेते है और कॉपीराइट करवा सकते है।
साहित्य प्रकृति , कलात्मक कार्यों ,फिल्म , नाटकीय कार्यो या विभिन्न प्रकार के कार्यों जैसे मशीनरी या कोई कंप्यूटर ऐप ,मोबाइल ऐप आदि के मूल कार्यों के रचनाकारों को कानून द्वारा दी गई बौद्धिक संपदा संरक्षण को कॉपी राइट कहा जाता है।
भारत में copyright कानून रचनात्मक कार्यों और विचारों कि अभिव्यक्ति को कार्यों की तुलना में सुरक्षित करता है। Copyright संरक्षण की अधिनियम की धारा 13 के तहत साहित्य के कार्यों कलात्मक कार्यों के लिए कॉपी राइट संरक्षण है।
Copyright अधिनियम की धारा 14 के आधार पर कॉपी राइट के मालिक अनन्य अधिकारों का एक समूह होते है। एक बार किसी को copyright मिल जाने पर केवल मालिक उसका उपयोग कर सकता है या ऐसे व्यक्ति इसका उपयोग कर सकते है,जब उसे copyright प्राप्त स्वामी द्वारा उन्हें ये अधिकार प्रदान किया जाता है।
कुछ अधिकारो मे, अनुकूलन का अधिकार ,जनता से संवाद का अधिकार ,प्रकाशन का अधिकार ,अनुवाद करने का अधिकार ,दतक ग्रहण का अधिकार आदि शामिल है।
साहित्य ,कला ,संगीत ,नाटक,ध्वनि रिकॉर्डिंग और फ्लिमो के सभी मूल कार्यों को copyright संरक्षण की आवश्कता होती है। यहां मूल का मतलब ये कोई काम किसी अन्य स्रोत से कॉपी ना किया गया हो।कॉपी राइट सुरक्षा तब शुरू होती है,जब रचनाए काम करती है। copyright संरक्षण वैकल्पिक होता है,इसका पंजीकरण इस लिए किया जाता है, उत्पादक अपने द्वारा निर्मित वस्तु को अधिक सुरक्षा प्रदान करवा सकते हैं।
भारत में भारत में कॉपीराइट को पंजीकृत कराने की प्रक्रिया----
आवेदन करना-कॉपीराइट पंजीकरण में पहला कदम है आवेदन करना,आवेदन का कार्य लेखक या लेखक के अधिकृत एजेंट या कॉपीराइट के किसी दावेदार द्वारा या तो शारीरिक रूप से या अधिकारिक रूप पर ई फाइलिंग सुविधा के माध्यम से किया जाता है कार्यालय की वेबसाइट है(copyright.gov.in) कार्यालय के पते पर पंजीकृत डाक के माध्यम से भी भेज सकते हैं।यदि कई कार्य है और प्रत्येक को पंजीकृत कराने की आवश्यकता है तो प्रत्येक विशेष कार्य के लिए कॉपीराइट रजिस्ट्रार के पास एक अलगआवेदन देना होगा। भुगतान करने के लिए एक शुल्क होता है प्रत्येक प्रकार के कार्य का शुल्क भी अलग अलग होता है आवेदन की शुल्क सीमा 5000से 40000 के बीच का होता है आवेदक डिमांड ड्राफ्ट के माध्यम से या वेबसाइट पर उपलब्धि भुगतान के माध्यम से भी कर सकते हैं आवेदन के लिए जरूरी दस्तावेज होने चाहिए अन्यथा रजिस्ट्रेशन नहीं होगा।
Copyright रजिस्ट्रेशन के लिए मुख्य दस्तावेज है-----
1. यदि एक प्रकाशित काम है तो काम के तीन प्रतियां।
2.और यदि यह प्रकाशित काम है तो पांडुलिपियों की के दो ड्राफ्ट की आवश्यकता होगी।
3.यदि आप अपना काम किसी एजेंट या वकील से करवा रहे हैं तो आपको पावर ऑफ अटॉर्नी या वकालतनामा की आवश्यकता होगी।
यदि काम आवेदक का नहीं है तो आवेदक को काम के संबंध में एक प्राधिकरण प्रस्तुत करना होगा। आवेदन करने वाले व्यक्ति का नाम पता राष्ट्रीयता ईमेल फोन नंबर के साथ-साथ उस भाषा के बारे में जानकारी भी देनी होगी जिस पर काम किया गया है जहां पर आवेदक किसी वस्तु का मूल लेखक नहीं है वहां लेखक का पूर्ण विवरण होना चाहिए मूल लेखक के मृत होने की स्थिति में आवेदक को लेखक की मृत्यु की तारीख भी प्रस्तुत करनी होगी। उन मामलों में जहां काम पहले ही प्रकाशित हो चुका है ,जिस वर्ष पहली बार प्रकाशन किया गया था वह भी लिखना पड़ेगा ।यदि बाद में प्रकाशन विभिन्न देशों में किए गए हैं तो ऐसे प्रकाशनों की वर्ष और देश की जानकारी प्रस्तुत की जानी है।के लिए जरूरी दस्तावेज होने चाहिए अन्यथा रजिस्ट्रेशन नहीं होगा।जब उसके सभी दस्तावेज रजिस्ट्रार को भेज दिए जाते हैं तो आवेदक को एक नंबर प्राप्त हो जाता है।
ट्रेंड मार्क कार्यालय से अनापत्ति प्रमाण पत्र की आवश्यकता होती है यदि बिक्री के लिए किसी उत्पाद पर काम किया जाना है।
उसके बाद आवेदन और उसके साथ संलग्न सभी दस्तावेज की जांच की जाती है आवेदक को रजिस्टार से जब नंबर मिल जाने पर न्यूनतम 30 दिन की प्रतीक्षा अवधि होती है।प्रस्तुत आवेदन की जांच और समीक्षा करने के लिए 30 दिन की अवधि आमतौर पर कॉपीराइट के कार्यालय द्वारा उपयोग की जाती है। इन 30 दिन के अंदर जो भी आपत्तियां उत्पन्न हो सकती है की समीक्षा की जा सकती है यदि कोई आपत्ति नहीं करता है तो कमा कॉपीराइट कार्यालय और परीक्षण आगे की बढ़ जाते हैं और कॉपीराइट आवेदन में किसी भी विसंगति की तलाश कर सकते हैं यदि कोई गलती नहीं पाई जाती है और आवेदन के साथ सभी प्रासंगिक दस्तावेज और जानकारी प्रदान की जाती है तो यह सुन विसंगतियों का मामला माना जाता है और आवेदक अगले चरण के साथ आगे बढ़ने की अनुमति प्राप्त कर लेता है।
जब प्रतीक्षा अवधि के दौरान कोई आपत्ति उठाई जाती है तो तो आवेदक को इसकी सूचना पत्र द्वारा दी जाती है, ताकि आवेदक आपत्ती का जवाब दे सके और विरोधी पक्ष के द्वारा किए गए दावे को पंजीकरण अधिकारी द्वारा खारिज करवा सके। उसके बाद आवेदन विसंगतियों को जांच के लिए आगे बढ़ता है।यदि एक भी विसंगति पाई जाती है तो आवेदक को पत्र द्वारा ये सूचित किया जाता है आपके जवाब के आधार पर पंजीकरण अधिकारी एक सुनवाई आयोजित करता है और फिर उसका हल करता है,और फिर आवेदन copyright के अगले चरण में जाता है।
कॉपी राइट का पंजीकरण ----
कॉपी राइट का अंतिम चरण अब आता है,जब प्रतिलिपि अंततः पंजीकृत होती है।इस चरण में पंजीकरण अधिकारी अधिक प्रलेखन की मांग कर सकते है।यदि पंजीकरण अधिकारी आवेदक द्वारा किए गए कॉपी राइट के दावे से पूरी तरह संतुष्ट हो जाती है तब रजिस्ट्रार ऑफ copyright ke विवरण को copyright के रजिस्टर में दर्ज करते और आवेदक को पंजीकरण कप प्रमाण -पत्र जारी कर दिया जाता है।कॉपी राइट का पंजीकरण तभी माना जाता जब आवेदक को रजिस्टार ऑफ कॉपीराइट से (आर ओ सी) मिल जाता है।
Copyright के पंजीकरण का लाभ __
कॉपी राइट का पंजीकरण अनिवार्य नहीं है, हालांकि ये कुछ लाभ के साथ आता है और आपके कॉपीराइट को पंजीकृत करवाना हमेशा उचित होता है। पंजीकृत करना हमेशा उचित होता है। पंजीकृत कॉपीराइट मालिक को मौद्रिक नुकसान से बचाता है।इसका सबसे बड़ा लाभ ये यह है कि यह मौद्रिक प्रवृत्ति के नुकसान को रोकता है जो मूल्य कार्य की पायरेटेड प्रतियो से उत्पन्न होता है।किसी कॉपीराइट के उल्लंघन के कार्य को पायरेसी कहा जाता है और भारत में हर एक नुक्कड़ पर पायरेटेड सामग्री मिल सकती है। किताबे सिनेमा वीडियो गेम कपड़े आदि देश के सबसे अधिक पर्यटक समान है।ना केवल इनका उत्पादन घटिया तरीके से किया जाता है बल्कि इनसे मूल कॉपीराइट धारकों को भारी वित्तीय हानि भी होती है।
कॉपीराइट धारक को कानूनी संरक्षण देता है_
एक पंजीकरण टैगप्रकाशित कार्य को सुरक्षा कवच देता है।कॉपीराइट दर्ज करना अनिवार्य नहीं है लेकिन जब विवाद उठने पर मूल धारक को अपने पक्ष रखने और अपने आप को सही साबित करना बेहद मुश्किल हो जाता है। कॉपीराइट विवाद कानून को अदालत में निपटाया जा सकता है।एक बार जब कोई कॉपीराइट पंजीकृत हो जाता है और उत्पाद का एक पर्यटन या 1 थिअरी कृत प्रतिरूप बाजार में आ जाता है तो नए निर्माता पर या साबित करने के लिए उसका उत्पाद मूल्य उत्पाद से भिन्न क्यों है इस बात को अदालत में देना होता है।
कॉपीराइट का पंजीकरण एक आधिकारिक मुहर है जो कॉपीराइट एक्ट के अंतर्गत आता है।या इस प्रकार सुनिश्चित करता है कि अनाधिकृत तरीके से आपके काम का उपयोग करने की कोशिश करने वाले किसी और को अस्वीकार कर दिया जाएगा क्योंकि वह जानते हैं कि आप कॉपीराइट के मालिक हैं ।या मूल्यवान समय और धन बचाता है क्योंकि एक बार जब आपके पास किसी काम के लिए पंजीकृत कॉपीराइट होता है तो एक सरल लीगल नोटिस किसी ऐसे व्यक्ति को भेजा जा सकता है जो कि आपके काम को अवैध रूप से कॉपी कर रहा है।
यह प्रतिष्ठा की रक्षा करता और प्रतिष्ठा पढ़ाता है , मूल काम को संरक्षण के माध्यम से यह सुनिश्चित करता है कि निर्माता या लेखक की प्रतिष्ठा सुरक्षित है।उदाहरण के लिए यदि किसी लेखक पर फर्जी काम या संबंध काम करने का आरोप लगाया जाता है तो वह तुरंत रिकॉर्ड के माध्यम से दिखा सकते हैं काम उनके लिए एक महत्पूर्ण था और उनके पास मूल प्रति है, या अक्सर उनके लिए भी प्रतिष्ठा का विषय होता है कि एक निश्चित कार्य उनके द्वारा किया गया है और कॉपीराइट रजिस्ट्रार द्वारा मान्यता प्राप्त है।
कॉपीराइट सुरक्षा की वैधता_
आमतौर पर कॉपीराइट को 60वर्ष तक मान्यता प्राप्त होती है। मून साहित्य नाट्य संगीत और कलात्मक कार्यों के मामले में लेखक की मृत्यु के बाद के वर्ष से 60 वर्ष की अवधि की गणना की जाती है। फिल्म रिकॉर्डिंग तस्वीरों प्रकाशन सरकार के कार्यों और अंतरराष्ट्रीय संगठन के कार्यों के मामले में 60 वर्ष की अवधि को प्रकाशन की तिथि से गिना जाता है कॉपीराइट के 60 साल के कार्यकाल की समाप्ति पर कार सार्वजनिक डोमेन के होंगे और कोई भी बिना अनुमति मांगे उन्हें पुनः प्रस्तुत कर सकता है।
जब कोई व्यक्ति कॉपीराइट कार्य का उल्लंघन करता है तो उससे कॉपीराइट अधिनियम की धारा 63 के तहत अपराध माना जाता है जिसमें न्यूनतम सजा ₹50000 का साथ में 6 महीने का कारावास भी हो सकता है। ऐसे मामलों में जहां कॉपीराइट का उल्लंघन हुआ है यहां होने की संभावना है कोई भी पुलिस अधिकारी जो एक सब इंस्पेक्टर के पद से नीचे नहीं होना चाहिए, लगता है कि यह चीजें पायरेसी से हैं तो वह बिना वारंट के उसको जप्त कर सकता है, क्योंकि मूल प्रतियां की पायरेटेड होती है।
बिना अनुमति के भी कॉपीराइट का उपयोग किया जा सकता है पर इसके लिए विशेष शर्तों के तहत भारत में कॉपीराइट का कानून अनुसंधान, अध्ययन ,आलोचना ,समीक्षा और समाचार रिपोर्टिंग के लिए मालिक की अनुमति के बिना कॉपीराइट कार्य का उपयोग करने की अनुमति देता है। कालेज और स्कूलों में काम का उपयोग करता हो तो उपयोगकर्ता के हितों की रक्षा के लिए कॉपीराइट का आनंद लेने वाले के कार्यों के विशिष्ट उपयोग के संबंध में कुछ छूट निर्धारित की गई है।
कॉपीराइट पंजीकरण अपने सामाजिक और आर्थिक मापदंड में अधिक प्रगति के लिए समाज में रचनात्मकता और वैज्ञानिक स्वभाव को प्रोत्साहित करने के लिए एक आवश्यक कदम है। रजिस्टार आफ कॉपीराइट के साथ एक कॉपीराइट दर्ज कराना मालिक को इसे पुणे पेश करने का अधिकार प्रदान करता है काम को अनुकूलित करने का अधिकार और काम को वितरित करने का अधिकार भले ही या कागज पर आसान लगता हो पर या एक जटिल प्रक्रिया होती है जिसमें 20 से 12 महीने तक का समय लग जाता है। या हमेशा सलाह दी जाती है कि कॉपीराइट पंजीकृत हो क्योंकि रचनात्मक अधिकारों की रक्षा में लंबा रास्ता तय करता है आपके काम को सुरक्षा देता है प्रतिष्ठा दिलाता है जो कि अक्सर एक मृत्यु के बाद तक भी जीवित रहता है।