हम अकसर ऐसा सुनते है वो अदालत मे अपने दिए गए बयान से मुकर गया है , तथा कई बार बूझकर झूठा सबूत अदालत में पेश करते है ,कभी कभी गवाह ऐसा इसलिए करते है जिसके विपक्ष में वह गवाही दे रहे है वो व्यक्ति बहुत ही शक्तिशाली हो राजनीति और आर्थिक दृष्टि से जिसके कारण गवाह डर जाते है और अपने बयान से मुकर जाते है जिसके कारण केस खराब हो जाता है और पीड़ित के साथ न्याय नहीं हो पाता है ,जैसा कि जेसिका लाल murder केस में जिसमे श्यान मुंशी समेत कई कई गवाह मुकर गए थे ऐसे कई मामले देखने को मिलते हैं जिनमें गवाहों के मुकदमे पर उनके खिलाफ कार्यवाही की अनुशंसा की जाती है इसलिए आवश्यक यह है की अदालत में झूठ बोलने पर क्या कार्यवाही हो सकती है उसको हम जाने।
गवाह के मुकरने का मतलब:______
मुकरने वाले गवाह यानी होस्टाइल विटनेस का मतलब मतलब होता है ऐसा गवाह जिस ने पुलिस के सामने कुछ अलग बयान दिया है और अदालत में वह कुछ अलग बयान दे रहा है उसका बयान पुलिस के सामने उसके द्वारा दिए गए बयान को सपोर्ट नहीं कर रहा। अदालत में शपथ लेकर झूठ बोलने के मामले में दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ सजा का प्रावधान है। पुलिस जब किसी मामले की छानबीन करती है तो वहां मौजूद वहां व्यक्ति या किसी या किसी ऐसे व्यक्ति को गवाह बनाती है जिसके बारे में उसे लगता है कि उसे वहां हुई घटना के बारे में जानकारी है। गवाह की सहमति से पुलिस सीआरपीसी की धारा 161 के अधीन उसका बयान दर्ज करती है , आवश्यक नहीं है कि 161 के बयान पर गवाह का साइन हो लेकिन यदि उस गवाह के सामने किसी वस्तु की रिकवरी होती है जो कि उसके से संबंधित है तो रिकवरी के मेमो पर गवाह के सिग्नेचर लिए जाते हैं।
अगर पुलिस को ऐसा लगने लगता है कि कोई गवाह अपने दिए बयान से मुकर सकता है तो वह उस गवाह का बयान धारा 164 भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता के अधीन मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज करवा सकता है। 164 में बयान देने के बाद अपनी गवाही को बदलना आसान नहीं होता है फिर भी इन सभी बयानों के बाद भी ट्रायल कोर्ट के समक्ष दिया गया बयान ही मान्य होता है ,ट्रायल कोर्ट देखती है गवाह झूठ तो नहीं बोल रहा है। अगर अदालत को ऐसा लगता है कि गवाह सच बोल रहा है फिर यदि वह बयान पुलिस के बयान से भी मेल नहीं खाता है तो वह कोर्ट में स्वीकार्य होता है, लेकिन जब अदालत को यह लगता है कि गवाह शपथ लेकर झूठ बोल रहा है तो वह उसके खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुशंसा कर सकती है।
यदि कोई गवाह पुलिस या मजिस्ट्रेट के सामने अपने दिए गए बयान से मुकर जाता है तो वह होस्टाइल गवाह माना जाता है और उसका इस तरह अपने बयान से मुकर जाना केस पर बहुत ही बुरा असर डालती है, सरकारी गवाह मुकर जाता है तो सरकारी वकील उसके साथ क्रॉस कर सकते हैं और सच्चाई निकालने की कोशिश करते हैं और इस प्रक्रिया में अदालत देखती है की कौन से ऐसे गवाह हैं जिन्होंने जानबूझकर अदालत से सच्चाई छुपाई है या झूठ बोला है ऐसे गवा के खिलाफ अदालत में cr.p. कि धारा 340 के अधीन शिकायत दर्ज की जाती है ।और उनको आईपीसी की धारा 193 के अधीन मुकदमा चलाया जाता है जिसमे 7साल तक के सजा के साथ आर्थिक सजा भी दे सकती है।