जब हमारा कोंई समान चोरी हों जाता है या गुम हों जाता तो सबसे पहेले हमें इसकी सुचना वहाँ के पुलिस थाना में की जनि चाहिए क्योंकि अगर आप ऐसा नहीं करते है तो ऐसा संभव है की कोंई आपका जरुरी डॉक्यूमेंट का गलत इस्तेमाल कर ले आपके साथ कोंई अपराधिक घटना हों जाए,या वो आपके डॉक्यूमेंट का उपयोग करके कोंई अपराधिक काम न कर ले,और उस डॉक्यूमेंट का डुप्लीकेट पाने के लिए भी उस विभाग में आपको अपने पुलिस रिपोर्ट देखानी पड़ती है तभी आपको नया डॉक्यूमेंट प्राप्त होता है |
जब हम ऐसा कोंई इनफार्मेशन पुलिस को देते है तो पुलिस उसको रजिस्टर्ड जिसको की डेली डायरी रजिस्टर्ड (डी.डी.आर) कहा जाता है |आपका ये अधिकार है की आपको उस डी .डी .आर की एक प्रति पुलिस द्वारा नि :शुल्क दिया जाए ,इसको कभी-कभी एन.सी .आर रिपोर्ट भी बोलते है |
जब कभी हमे ये सुचना मिलता है की हमारा चोरी हुआ हुआ सामान किसी व्यक्ति के पास है तो हम इसका तुरंत आवेदन कोर्ट में एप्लीकेशन द्वारा करते है ,ये आवेदन हम करते है किसी डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट या मजिस्ट्रेट या फर्स्ट क्लास मजिस्ट्रेट के पास लगाते है |और उसके बाद संबंधित मजिस्ट्रेट सर्च वार्रेंट जारी करते है साथ ही ये भी आदेश देते है कोंई भी ऐसा अधिकारी जो की हवलदार से उच्चे पद पर हों सर्च के लिए जायेगा |
अब वह पुलिस अधिकारी अपने सर्च वारंट के आधार पर आपे समान को प्राप्त करता है या रिकवर करता है और इसकी सुचना संबंधित अधिकारी को देता है |
एक बार जब प्रॉपर्टी को पुलिस अधिकारी रिकवर या जप्त कर लेते है तब दावेदार संबंधित अधिकारी के पास आवेदन करके अपने प्रॉपर्टी या डॉक्यूमेंट को पा सकता है | (धारा -94 भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता )
अब हमारा जो डॉक्यूमेंट या पेपर या प्रॉपर्टी चोरी हुआ हों या खो गया था ,वो केश प्रॉपर्टी बन चूका है इसलिए उसको पाने के लिए हमे इसके लिए आवेदन करना होता है मजिस्ट्रेट के पास और अपने आवेदन के साथ हमे कोर्ट में अपनी प्रॉपर्टी के ओरिजिनल पेपर कोर्ट को दिखाना होता है कोर्ट के सन्तुष्ट होने पर कोर्ट प्रॉपर्टी को छोड़ने का आदेश देती है|(धारा -451 भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता)