भारत में गोद लेने की प्रक्रिया बहुत ही पुरानी है ,हमारे वेदों में भी इसकी चर्चा की गई है,गोद लेने की प्रक्रिया के लिए हिन्दू दतक अधिनियम और रखरखाव 1956 बनाया गया इसके अनुसार इसके अन्तर्गत सभी हिन्दू , जैन, बौद्ध और सिख के लोग गोद ले सकते है।

             इसके लिए को मुख्य सरकारी केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण या सी . ए. आर. ए जब आप  इस पर registration करते है तब ये सारी प्रक्रिया को शूरु करता है ,इसके लिए इसने कुछ मानक बनाया है कि कौन कौन बच्चा को गोद ले सकते है -

*जो लोग बच्चे को गोद लेने को तैयार हो वे  बालिग हो दिमागी और  शारीरिक रूप से स्वस्थ हो।

*कोई भी शादी -शुदा या सिंगल स्त्री और सिंगल पुरुष बच्चा गोद ले सकते हैं।

*अगर कोई महिला किसी लड़के को गोद लेना चाहती है उन दोनो के बीच का उम्र का अंतर 21साल होना चाहिए।

*सिंगल महिला किसी भी बच्चे को गोद ले सकती हैं जबकि सिंगल पुरुष केवल लड़के को ही गोद के सकते हैं।

*मां या पिता दोनो में से किसी को भी ऐतराज होने पर बच्चा को गोद नहीं दिया जाता है।

*जब किसी बच्चे को गोद दिया जाता है तो उसकी आयु 15 साल से कम होनी चाहिए।

ये सारे नियम तो सरकार द्वारा फॉलो किया जाता है।

     हिन्दू दत्तक अधिनियम 1956ये कहता है अगर कोई हिन्दू पुरुष बच्चा गोद लेना चाहते है तो उनका दिमागी हालत सही हो और वह बालिग हो तो वो किसी भी बच्चे को गोद ले सकते है,अगर उस पुरुष की पत्नी जिंदा है तो गोद लेने की प्रक्रिया में उसकी सहमति आवशक है जब तक उसकी पत्नी को अदालत द्वारा दिमागी रूप से कमजोर करार नहीं कर दिया गए हो या उसकी वाइफ ने अपना धर्म परिवर्तन नहीं किया हो।

             वहीं जब कोई हिंदू महिला किसी बच्चे को गोद लेना चाहती है तो किसी  भी बच्चे को गोद ले सकती है,पर वह दिमागी तौर पर स्वस्थ होना चाहिए ,बालिग होना चाहिए ,वह विधवा हो ,अविवाहित हो ,तलाक शुदा हो,पर यदि उसका पति जिंदा है तो पति के सहमति से बच्चा गोद ले सकती है।

                हिन्दू दत्तक अधिनियम धारा 9 ये कहता है कौन  बच्चे को गोद दे सकता है बच्चे के माता पिता उसको गोद दे सकते है।

           बच्चे के पिता उसको गोद दे सकते है उसकी मां की सहमति स और मा के जिदा नहीं होने पर या कोर्ट द्वारा पागल घोषित होने पर ,पिता बच्चे को बिना उसकी मां की सहमति के गोद दे सकता हैं।

              बच्चे के मा बच्चे को गोद दे सकती है जब उसका पिता इस दुनिया म ना हो,या उसको कोर्ट द्वारा पागल घोषित किया गया हो,तब मा बच्चे को बिना पिता के सहमति के गोद दे सकती है।

        जब बच्चे के माता -पिता दोनो में से कोई भी जिंदा ना हो तो वो व्यक्ति बच्चा गोद दे सकता हैं जो उसका गार्जियन हो। या जब किसी बच्चे को अनाथ छोड़ दिया जाता है,और उस बच्चे को कोर्ट द्वारा ये घोषित किया जाता है इस बच्चे के माता पिता कौन है ये किसी को नहीं पता तो बच्चे के गार्जियन उसको गोद दे सकते है।

             अब सवाल ये किस को गोद लिया जा सकता है

 धारा 10 दत्तक अधिनियम 1956 ये कहता है कि वह हिन्दू हो,उसको कभी किसी ने गोद नहीं लिया हो, उसकी शादी नहीं हुई हो और उसने आयु 15साल से कम हो ऐसे बच्चे को गोद लिया जा सकता है।