आज के युग में लोगो को अपने घर से कभी पढ़ाई के लिए तो कभी अपने व्यापार के लिए या नौकरी के लिए घर को छोड़ कर एक शहर से दूसरे शहर में रहना पड़ता हैं,तो बिना घर के तो नहीं रहा जा सकता है।इसलिए किराए की घर लिया जाता है और तब उत्पन होता है मकान मालिक और किरायेदार का संबंध और इसके लिए जरूरी है इन दोनों के बीच अनुबंध का होना।इस अनुबंध का क्या मुख्य बिन्दु हो इस पर ही हम बात करेंगे।इस अनुबंध का मूल उद्देश्य है दोनो मकान मालिक और किरायेदार के बीच एक अच्छा संबंध बना रहे जिससे की दोनो पक्ष शान्ति पूर्ण जीवन जिएं।

             पर कभी कभी ना चाहते हुए भी विवाद हो जाते है मकान मालिक और किरायेदार के बीच होने वाले है या इनके बीच होने वाले विवाद का मुद्दा ये हो सकता हैं________

1.किराए की संपति के संबंध में अनुबंध 

2.किरायेदार के अधिकार

3.संपति की मरम्मत के लिए ज़िमेदारी

4. निष्काषन 

     इन सभी विवाद से बचने के लिए ज़रूरी ये की जब मकान मालिक और किरायेदार के बीच अनुबंध किया जाए तो  सब कुछ उस अनुबंध पर साफ हो जैसे की  संपति की किराया कितना होगा ,किरायेदार के सभी अधिकार और कर्तव्य,मकान मालिक के अधिकार  तथा संपति के मरम्मत कार्य को कौन करेगा ,अनुबंध का समय सीमा  भी निश्चित होना चाहिए ।

                अब प्रश्न यह उठता है कि ये अनुबंध कितने दिन का होगा अगर ये अनुबंध 11महीनो का होता है तो इसका नोटरी करवाना होता है । इसके अंतर्गत दोनो को अपने सभी डॉक्युमेंट्स के साथ नोटरी पब्लिक के पास जाना होता है और दोनो के सभी डॉक्युमेंट्स को अच्छे से देख कर नोटरी पब्लिक अपने सील पर उस दिन के तारीख देकर अपने हस्ताक्षर कर देता है या नोटिराइज्ड करता है।पर इस नोटरी को कोर्ट के अंदर केवल डॉक्यूमेंट के रूप में पेश कर सकते पर कोर्ट इसको ओर्जिनल डॉक्युमेंट्स जैसे नहीं लेती है ,और नोटरी पब्लिक भी केवल दोनो के हस्ताक्षर की पुष्टि करता है।

                        और जब रेंट एग्रीमेंट 11महीनो से अधिक समय के लिए होता है ,तो इसको रजिस्टर्ड करवाया जाता है ,अनुबंध हो जाने पर दोनो सब रजिस्टार ऑफिस में जाते है जहां पर सब रजिस्टार सभी कागज़ को ध्यान से चेक करता है और जब पेपर वर्क हो जाता है तो सब रजिस्टार आप से अनुबंध शुल्क और पंजीकरण शुल्क लेते है ,पंजीकरण शुल्क हर राज्य का अलग अलग होता है जो सभी राज्य अपने अपने स्टाम्प ड्यूटी एक्ट के तहत लगाती है।इन दोनो शुल्क को जमा करने के बाद रेन्ट एग्रीमेंट रजिस्टर कर दिया जाता है।

     भारत में किरायेदार और मकानमालिक को सुरक्षा या विवाद हो जाने पर उनको सुलझाने के लिए मध्यस्थता केन्द्र या रेंट कंट्रोल कोर्ट में अपनी याचिका दे सकते है।पर इन सब से बचने के लिए दोनो आपस में भी अपने विवाद को सुलझा सकते है।

           रेंट कंट्रोल एक्ट के तहत मकान मालिक को निम्न अधिकार दिए गए है_

1.एक किराए को बेदखल करने का अधिकार ____

       रेंट कंट्रोल एक्ट केवल १२महीनो के कार्यकाल के लिए लागू होने के साथ मकान मालिक अपने मकान को खाली करवा सकता है या अनुबंध के पूरा हो जाने पर खाली करवा सकता है।रेंट कंट्रोल एक्ट में कुछ संशोधन किया गया जिससे की अब मकान मालिक अब किरायेदार को असमय नहीं निकाल सकते है उनको अपने किरायेदार को एक महीना पहले ही इसकी सूचना देनी होगी और यदि किरायेदार अपने किराए के घर को छोड़ रहा है तो वो भी इसकी सूचना मकान मालिक को एक महीना पहले दे ।

             एक मकान मालिक किरायेदार को बेदखल कर सकती हैं जब किरायेदार द्वारा बिना मालिक के अनुमति उसके किराए पर लिया परिसर या उसका एक हिस्सा निर्दिष्ट उपयोग करता है या किराए का भुगतान समय पर नहीं करता है।

           संपत्ति का  दुरुपयोग :_______

     यदि किरायेदार किराए के परिसर में अवैध गतिविधि करता हैया उसका संचालन करता है तो मकान  मालिक अपने घर को खाली करवा सकता है 

              अगर मकान मालिक को अपने ज़रूरत को पूर्ण करने के लिए मकान की आवश्यकता होती है तो वह अपने मकान को किरायेदार से खाली करवा सकता है।

        किरायेदार को जब एक मकान में अनुबंध से अधिक समय तक रह रहा हो तो मकान मालिक किराया बढ़ा सकता है ,इसको वह अपने अनुबंध में लिख सकता है कि यदि अनुबंध के पूरा हो जाने पर भी किरायेदार मक्खन को खाली नहीं करता है तो मक्खन मालिक अपने मकान का किराया बढ़ा सकता है। आवासीय संपत्तियों पर किराया वृद्धि दर लगभग  10 प्रतिशत है ।

   कब्जे का स्थाई वसूली का अधिकार  यदि मक्खन मालिक मकान मालिक मकान का मरम्मत चाहता है तो वह भी वोह किरायदार से मकान खाली करवा सकता है। 

        उचित समय में मरम्मत करवाना जमींदार का कर्तव्य

  और अधिकार दोनो है ,अगर किरायेदार किसी भी प्रकार का मरम्मत करवाता है तो वह मकान मालिक से अपनी द्वारा खर्च की गई रकम पा सकता है।

         जिस तरह मकान मालिक को अधिकार दिए गए है ठीक उसी प्रकार किरायेदार को भी कुछ अधिकार तथा कर्तव्य दिए गए है ,घर का अधिकार जो अंदर रहन  के लिए उपयुक्त हो  ,जैसे मकान छत बारिश में टपकना ,छत नीचे आना या प्लास्टर का गिरना ,खराब बिजली की फिटिंग नहीं होनी चाहिए यदि ऐसा होता है तो किरायेदार मकान मालिक को बोल सकता है ठीक करवाने को ,या ये मकान मालिक का परम कर्तव्य होता है वह उसको ठीक करवाए ,किरायेदार को अनुबंध के सभी शर्त से अवगत कराया जाना चाहिए और जब दोनो की  रजामंदी होने पर ही अनुबंध पर हस्ताक्षर होने चाहिए ।

               मकान मालिक घर का किराया नहीं देने पर ,उसकी उसूली के लिए किरायेदार का पानी और बिजली नहीं काट सकते है ।कोई भी मकान मालिक बिना किसी वैध कारण के किरायेदार को मकान खाली करने के लिए  परेशान करता है और किराया नहीं लेता है तो किरायेदार किराया उसके बैंक अकाउंट में जमा करवा सकता है , मनीआर्डर कर सकता है,यदि वह ऐसा नहीं कर पाता है तो पैसा देने के लिए रेंट कंट्रोल कोर्ट में याचिका दायर कर सकता है ।

                    यदि मकान मालिक अपने घर को खाली करवाना चाहते हैं तो या किरायेदार को बहुत कहने के बाद भी मकान खाली नहीं कर रहा है तो वकील द्वारा नोटिस भेजना होगा फिर रेंट कंट्रोल एक्ट के तहत केश करना होगा।

            किरायेदार यदि मकान को कोई मरम्मत करवाता है तो वह उसका क्षतिपूर्ति पाने का हकदार है ,किरायेदार छोटे 

समय के लिए अपने घर आने वाले गेस्ट को रख सकता है,पर वो गेस्ट घर अधिक दिनों तक रहेगा तो इसकी जानकारी मकान मालिक को दी जानी चाहिए।

              इन बातो को ध्यान मे रखते हुए यदि अनुबंध बनाते है तो मकान मालिक और किराएदार के बीच विवाद की संभावना कम होती है।