जब किसी व्यक्ति को यह विश्वास हों की उसकी गिरफ्तारी किसी ऐसे अपराध के लिए हों सकती हों जो की गैर-जमानती है, तो वो अपना जमानत के लिए हाई –कोर्ट और सेशन कोर्ट में आवेदन कर सकता है ,कोर्ट निम्न बिंदु को धयान रखते हुए अपना निर्णय देती है -----

  1. अपराध की प्रकृति और गम्भीरता
  2. आवेदक ने इस अपराध से पहेले भी कोंई अन्य अपराध किया है ,व उसके उपर किसी अपराध का दोष –सिद्ध हुआ है और उसने सजा भुगती है |
  3. क्या आवेदक न्याय से भाग सकता है इसकी संभाव्यता|
  4. या आरोप लगाने वाले व्यक्ति ने आवेदक को इस प्रकार गिरफ्तार करवा कर उसका अपमान या क्षति पहुचाने के उद्देश्य से आरोप लगाया है |

       अदालत या तो तुरंत आवेदन स्वीकार करती है या अग्रिम जमानत देती है  |जब उच्च न्यायालय इस धारा के अधीन कोंई  अंतरिम आदेश नहीं देती है तो और  अग्रिम जमानत याचिका नामंजूर कर देती है तो किसी थाने का पुलिस अधिकारी  इस बात के लिए मुक्त रहेगा की ऐसे आवेदन में आशंकित आरोप के आधार पर आवेदक को बिना वारंट गिरफ्तार कर सकता है |

     और जब अदालत अग्रिम जमानत देते है तो इस उपधारा 1के अधीन आवेदक को सात दिन का नोटिस देने का प्रावधान है,साथ ही ऐसे आदेश की एक कॉपी न्यायालय द्वारा आवेदन की अंतिम रूप से सुनवाई अवसर देने की द्रष्टि से लोक  अभियोजक को और पुलिस अधिकारी को दिया जायेगा |

(2.) जब हाई –कोर्ट या सेशन कोर्ट (1)अधीन निदेश देते है तब वह उस विशिष्ट मामलो के तथ्यों को ध्यान में रखते हुए उन निदेशो में निम्न बातो  को शामिल कर आदेश कर सकता है ------

1 वह व्यक्ति अधिकारी द्वारा पूछे जाने वाले परिप्रश्नों का उत्तरदेने के लिए जैसे और जब अपेक्षित हों,उपलब्ध होगा |

2. वह व्यक्ति उस मामलो के तथ्यों से अवगत किसी व्यक्ति को न्यायालय या किसी पुलिस अधिकारी के समक्ष ऐसे तथ्यों को प्रकट न करने के लिए मनाने के वास्ते प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष उसे कोंई भी उत्प्रेरणा ,धमकी या वचन नहीं देगा |

3. वह व्यक्ति न्यायालय की आदेश के बिना देश को नहीं छोड़कर जायेगा |

4.वह व्यक्ति धारा ४३७कि उपधारा (3)के अधीन ऐसे अधिरोपित किया जा सकता है मानो उस धारा के अधीन जमानत मंजूर की गई हों |

(3.)  यदि इसके बाद ऐसे व्यक्ति को ऐसे आरोप पर पुलिस थाने के इन्वेस्टीगेशन ऑफिसर द्वारा गिरफ्तार किया जाता है तो गिरफ्तारी के समय या जब वह ऐसे अधिकारी की अभिरक्षा में है,तो उसे किसी समय जमानत देने लिए तैयार है ,तो उसे जमानत पर छोड़ दिया जायेगा,तथा यदि अदालत अपने आदेश में ये निश्चित करता है की उस व्यक्ति के विरूद्ध पहली बार ही वारंट जारी किया जाना चाहिए ,तो उपधारा (1)के अधीन न्यायालय के आदेशानुसार जमानतीय वारंट जारी होगा |