अब कानून प्रक्रिया को डिजिटल बनाने की कोशिश किया जायेगा - 

 

मानसून सत्र के अंतिम दिन शुक्रवार को केंद्र सरकार के तरफ से तीन महत्वपूर्ण विधेयक पेश किया गया है | ये नए बिल इंडियन पीनल कोड (IPC), कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसिजर (CrPC) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लेंगे| ऐसा बताया गया है कि IPC की जगह भारतीय न्याय संहिता लेगी|  और दंड प्रक्रिया संहिता की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता को प्राप्त है |  भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह भारतीय साक्ष्य लेगा|  विधेयकों को अब प्रवर समिति को भेजा जाएगा, जिन्हें प्रभावी होने में कुछ समय लग सकता है| 

 

राज्य के खिलाफ अपराधों पर कुछ  धाराएं शामिल हुईं -

 

 

अब भारत की संप्रभुता एकता को खतरा पहुंचाने वालों को कड़ी सजा का प्रावधान होगा - 

 

जैसा कि नए विधेयक में यह साफ तौर पर कहा गया है कि भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कृत्यों और धाराओं में उल्लिखित युद्ध या विनाश द्वारा ली गई संपत्ति प्राप्त करने के लिए कड़ी से कड़ी सजा का प्रावधान है| अर्थात अगर  कोई लोक सेवक युद्ध बंदी को भागने की अनुमति देने की कोशिश करता है, तो उसे कड़ी सजा दी जाएगी| लोक सेवकों द्वारा स्वेच्छा से राज्य या युद्ध कैदी को भागने की अनुमति देने पर, ऐसे कैदी को भागने में मदद करना, छुड़ाना या शरण देना नए विधेयक में शामिल किया गया है जो आईपीसी की जगह लेगा| 

 

 

राज्य के खिलाफ अपराधों पर कुछ  धाराएं शामिल हुईं -

 

 

राज्य के खिलाफ अपराधों पर कुछ  धाराएं शामिल हुईं - 

 

केंद्र सरकार ने राज्य के खिलाफ अपराधों से संबंधित धारा 145 से 156 तक की धाराएं पेश की हैं|  इसमें भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ना, या युद्ध छेड़ने का प्रयास करना, या युद्ध छेड़ने के लिए उकसाना, भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने के इरादे से धारा 145 के तहत दंडनीय अपराध करने की साजिश रचना, हथियार इकट्ठा करना आदि शामिल किया गया है|  इसी तरह, धारा 148 युद्ध छेड़ने के इरादे से छिपाने के बारे में बात करती है|  धारा 149 राष्ट्रपति, राज्यपाल आदि पर हमला करने के बारे में है, जो किसी भी कानूनी शक्ति के प्रयोग को मजबूर करने या रोकने का इरादा है| 

 

 

राज्य के खिलाफ अपराधों पर कुछ  धाराएं शामिल हुईं -

 

 

अब कानून प्रक्रिया को डिजिटल बनाने की कोशिश किया जायेगा - 


 

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने साफ किया है कि  पुराने कानून गुलामी की निशानियों से ओत प्रोत थे, जिसे ब्रिटेन की संसद ने पारित किया था, कुल 475 जगह ग़ुलामी की इन निशानियों को समाप्त कर हम अब नए कानून लाए हैं। कानून में दस्तावेज़ों की परिभाषा का विस्तार कर इलेक्ट्रॉनिक या डिजिटल रिकॉर्ड्स, ई-मेल, सर्वर लॉग्स, कम्प्यूटर, स्मार्ट फोन, लैपटॉप्स, एसएमएस, वेबसाइट, लोकेशनल साक्ष्य, डिवाइस पर उपलब्ध मेल, मैसेजेस को कानूनी वैधता प्रदान की गई है। FIR से केस डायरी, केस डायरी से चार्जशीट और चार्जशीट से जजमेंट तक की सारी प्रक्रिया को डिजिटलाइज़ करने का प्रावधान इस कानून में किया गया है।

 

 

अब कानून प्रक्रिया को डिजिटल बनाने की कोशिश किया जायेगा -

 

 

किस कानून में कितनी धाराएं हैं  - 


 

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता CrPC को रिप्लेस करेगी। इसमें अब 533 धाराएं रहेंगी। 160 धाराओं को बदल दिया गया है , 9 नई धाराएं और जोड़ी गई हैं और 9 धाराओं को हटाया  गया है।

भारतीय न्याय संहिता IPC को रिप्लेस करेगी। इसमें पहले की 511 धाराओं के स्थान पर अब 356 धाराएं होंगी। 175 धाराओं में बदलाव किया गया है, 8 नई धाराएं जोड़ी गई हैं और 22 धाराओं को निरस्त किया गया है।

 

किस कानून में कितनी धाराएं हैं  -

 

भारतीय साक्ष्य विधेयक Evidence Act को रिप्लेस करेगा। इसमें पहले की 167 के स्थान पर अब 170 धाराएं होंगी, 23 धाराओं में बदलाव किया गया है, 1 नई धारा जोड़ी गई है और 5 धाराएं निरस्त की गई हैं।