Intermittent fasting ट्राई करने से पहले जान लें इसके फायदे और नुकसान :
बढ़ते हुए वजन को कम करने के लिए कई तरीकों में इन दिनों इंटरमिटेंट फास्टिंग का तरीका सबसे ज्यादा कारगर सिद्ध हो रहा है। कई जाने माने व्यक्ति से लेकर आम नागरिक भी इस तरीके को अपना कर इसका फायदा उठा रहे हैं | कई डायटिशन तो इसे वेट लॉस का सबसे उत्तम तरीका बता चुके हैं, लेकिन अगर इस फास्टिंग के फायदे हैं तो जरूर कई नुकसान भी हो सकते हैं, आप जाने इसके फायदे और नुकसान के बारे में।आपको यह जरूर पता होना चाहिए कि इंटरमिटेंट फास्टिंग किसी खास उम्र के हिसाब से न होकर आपके शरीर कि जरुरत के हिसाब से की जाती है। सर्वप्रथम यह जानना जरुरी है कि इंटरमिटेंट फास्टिंग बच्चों को नहीं करना चाहिए| इंटरमिटेंट फास्टिंग के कई प्रकार होते हैं, इस फास्टिंग में व्यक्ति खाना तो खाता है लेकिन दो मील के बीच में समय का बहुत ज्यादा अंतर रखने की सलाह दी जाती है। अगर आप रात को 7 बजे करीब खाना खाते हैं तो आपको अगले दिन सुबह करीब 10 बजे के बाद ही कुछ खाना चाहिए , जिससे शरीर की 13 घंटे की फास्टिंग हो जाती है। यह वजन को तेजी से कम करने में काफी मदद करती है।
इसे करने के तीन मुख्य तरीके होते है, जिनका वजन ज्यादा है ,और आसानी से कम नहीं हो पा रहा है तो वे किसी डाइटीशियन और डॉक्टर की देखरेख में इस प्रक्रिया को अंजाम दें।
- सर्वप्रथम तरीका - आपको दिन के 16 घंटे भूखे रहना है और आठ घंटे आप कुछ खा सकते हैं। सुबह 8 से शाम 4 बजे तक आप खाना खा सकते है ,शाम 4 से सुबह 8 बजे तक बिना खाए रहना पड़ता है।
- दूसरा तरीका - दूसरा तरीका यह है कि आप 10 घंटे कुछ खा सकते हैं , बाकी समय कुछ भी नहीं खाया जा सकता ।
- तीसरा तरीका - पांच दिन आप नार्मल खाना खा सकते हैं और बाकी दो दिन कम कैलोरी वाला भोजन खाने की सलाह दी जाती है।
इंटरमिटेंट फास्टिंग के फायदे के बारे में जानकर आप निश्चित ही अचंभित हो जायेंगे :
पाचन में सुधार है सबसे जरुरी - इंटरमिटेंट फास्टिंग का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसके कारण पेट को खाना पचाने का भरपूर समय मिलता है, जिससे वजन बढ़ने के समस्या से छुटकारा मिलने के साथ ही पाचन क्रिया भी हेल्दी बनी रहती है।
डायबीटीज का खतरा होता है कम - आजकल डायबीटीज के मरीजों की संख्या काफी मात्रा में बढ़ रहा है| इंटरमिटेंट फास्टिंग डायबीटीज होने के खतरा को भी कम करने में मददगार साबित हो रहा है| इंटरमिटेंट फास्टिंग से इंसुलिन लेवल को भी कंट्रोल करने में मदद मिलती है जिससे फैट जल्दी बर्न होता है।
स्किन के साथ ही यह दिल को भी स्वस्थ्य रखता है - इंटरमिटेंट फास्टिंग के दौरान ज्यादा से ज्यादा तरल पदार्थ लिया जाता है जिसके माध्यम से शरीर के टॉक्सिन्स बाहर आ जाते हैं , टॉक्सिन्स का न होना हमारे त्वचा के लिए बहुत ही अच्छा माना जाता है | फास्टिंग के कारण जब पाचन अच्छा हो जाता है तो शरीर के टॉक्सिन्स को बाहर निकालने में आसानी होती है।
इस तरह इंटरमिटेंट फास्टिंग ब्लड शुगर लेवल, कोलेस्ट्रॉल, फैट आदि को कंट्रोल करती है और इन पर कंट्रोल आपके दिल के स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा माना गया है|
इंटरमिटेंट फास्टिंग के कुछ नुकसान भी हो सकते हैं ,देखें क्या नुकसान है :
ओवरईटिंग के साथ ही आपको कमजोरी का भी एहसास हो सकता है - दो मील के बीच 12 या इससे ज्यादा घंटों के अंतर के कारण शरीर खाने को पूरी तरह पचा लेता है ऐसे में बहुत तेज भूख लगती है जिससे आप जरुरत से ज्यादा भी खा सकते हैं| जब आप शाम से लेकर सुबह तक कुछ नहीं खाएंगे तब शरीर में एनर्जी जनरेट करने के लिए जरूरी तत्वों की कमी हो जाती है, इस वजह से कमजोरी आने की संभावना सकती है|

नींद में कमी से मूड ख़राब हो सकता है -अगर आप भूखे रहेंगे आपका पेट ठीक से नहीं भरा रहेगा तो आपको ठीक से नींद नहीं आएगी। इंटरमिटेंट फास्टिंग करने के कारण आपको भूखे रहना पड़ता है , जिस वजह से सोने में दिक्कत होती है।साथ ही यह भी पाया जाता है कि जब हम खाना नहीं खाते तो अक्सर प्यास भी कम लगती है ऐसे में शरीर में पानी की कमी होने का खतरा बढ़ जाते हैं, जो किसी के लिए भी ठीक नहीं है।
आप अपने शरीर की ज़रूरत को अवश्य पहचानें - हम सभी जानते हैं कि हर किसी का शरीर एक दूसरे से अलग है। सबसे पहले यह पता करें कि आपका शरीर कितनी देर तक बिना खाए रह सकता है। अगर आप दिनभर में कम खाते है तो आपको अपने भोजन में कुछ जरुरी खाद्य पदार्थों को शामिल करना होता है , इन सब बातों से आप अपने शरीर की ज़रूरत को पहचान सकते हैं।
आप अपने इंटरमिटेंट डाइट की शुरुआत करने से पहले जरूर डॉक्टर या डाइटीशियन से सलाह लें अन्यथा यह आपके लिए परेशानी का कारण भी साबित हो सकती है।