क्या है बेनामी संपत्ति ? क्या यह करप्शन को मिटाने में बन सकता है कारगर हथियार!

 

बेनामी संपत्ति  जैसा की नाम से ही पता चल जाता है कि  संपत्ति जो असली मालिक नाम पर नहीं है | आमतौर पर लोग अपने काले धन का उपयोग करने या टैक्स से बचने, या दोनों के लिए बेनामी संपत्ति खरीदते हैं| ताकि किसी और के नाम पर कोई संपत्ति खरीदकर उसका उपयोग अपने सुबिधानुसार कर सकें|  कुछ मामलों में, फर्जी नामों और पहचान के कारण बेनामी संपत्ति के असली मालिक (या खरीदार) के बारे में पता लगाना जांच एजेंसियों के लिए मुश्किल हो जाता है| इस धांधली से निपटना कानून के लिए मुश्किल होता है| 

 

 

बेनामी कानून पर किताब भी लिखा गया है -

 

 

क्या हैं कानूनी प्रावधान-

 

यह साफ पता चलता है कि बेनामी संपत्ति भ्रष्टाचार का एक ऐसा तरीका है जिसके जरिए न सिर्फ गलत स्त्रोतों से कमाए गए पैसे को ठिकाने लगाया जाता है बल्कि उसके जरिए बड़ी अवैध संपत्ति भी इकट्ठी कर ली जाती है| काला धन का बहुत ज्यादा मात्रा में उपयोग करके किसी रिश्तेदार के नाम पर यह संपत्ति खरीदी जाती है|  इस पर लगाम लगाने लिए कानूनी प्रावधान किए गए हैं| 

 

 

बेनामी कानून पर किताब भी लिखा गया है -

 

 

बेनामी संपत्ति रखना गैरकानूनी होता है -

 

केंद्र सरकार के द्वारा बेनामी संपत्ति पर कई बार संशोधन किया जा चूका है | ठीक नोटबंदी के पहले केंद्र सरकार ने 1 नवंबर 2016 को बेनामी संपत्ति का कानून लागू कर दिया था। इसके पहले सरकार ने बेनामी संपत्ति निरोधक कानून-1988 में भी संशोधन किया था।इस कानून के तहत केंद्र सरकार ने यह भी साफ तौर पर कहा है कि सरकार के पास ऐसी संपत्ति को जब्त या कुर्क करने का अधिकार रहेगा।  साथ ही यह भी कानून है कि बेनामी संपत्ति के लिए दोषी पाए गए व्यक्ति को सात साल तक की सजा हो सकती है।साथ ही संपत्ति की मार्केट वैल्यू के एक चौथाई के बराबर जुर्माना भी लगाया जा सकता है। 

 

 

बेनामी संपत्ति रखना गैरकानूनी होता है -

 

 

बेनामी कानून पर किताब भी लिखा गया है -

 

बेनामी कानून और भारत में इसके न्यायशास्त्र के आसपास की जटिलताओं पर एक व्यापक गाइड Comprehensive Guide on Benami Law के नाम से प्रकाशित है , जो बेनामी लेनदेन से संबंधित प्रत्येक पहलू का गहन विश्लेषणात्मक और महत्वपूर्ण विश्लेषण प्रदान करता है|  इस किताब के जरिए बेनामी कानून की उत्पत्ति, इतिहास और विकास का पता लगाया जाता है|  साथ ही इसमें प्रिवी काउंसिल और विभिन्न अन्य न्यायालयों के निर्णयों से उकेरे गए दोनों पक्षों के विचारों को शामिल करके एक निष्पक्ष तस्वीर पेश की गई है| 

 

 

बेनामी कानून पर किताब भी लिखा गया है -

 

कई किताब और अन्य स्रोत के जरिए यह बताया गया है कि किस प्रकार से कानून इस करप्शन से बचा  सकता है| जब कोई व्यक्ति बेनामी संपत्ति को खरीदता है तो उसमें शामिल लेनदेन को बेनामी लेनदेन कहा जाता है|  बेनामी लेनदेन के माध्यम से लोग विभिन्न प्रकार की संपत्तियां खरीदते हैं, जिनमें चल, अचल, मूर्त, अमूर्त, कोई अधिकार या हित या कानूनी दस्तावेज शामिल होते हैं| बेनामी संपत्ति जिस  व्यक्ति के नाम से है कानूनी तौर पर वह संपत्ति का मालिक नहीं होता है लेकिन संपत्ति पर कब्जा उसी व्यक्ति का होता है। जिस शख्स के नाम पर ऐसी संपत्त‍ि खरीदी गई है, उसे बेनामदार कहा जाता है।