दिन-रात फ़ोन पर टिकी निगाहों से जो नुकसान होता है उससे कैसे मिलेगा छुटकारा?
कोविड -19 या कोरोना महामारी के दौरान लोगों के लिए समय बिताने के लिए मोबाइल फोन के अलावा बहुत ही कम जरिया रह गया था जिसका दुष्परिणाम यह हुआ की हर किसी का स्क्रीन टाइम काफी बढ़ गया | लोग लॉकडाउन के दौरान ज्यादा फोन या किसी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस के स्क्रीन को देखने लगे| कुछ समय तक के लिए तो यह ठीक था लेकिन मुश्किल तब आनी शुरू हुई जब महामारी खत्म होने के बाद भी व्यक्ति की ये आदत बरकरार ही रही| अब तो हर चीज पहले के जैसे सामान्य हो गए हैं ,लोगों के पास अब घर से बाहर निकल कर आपस में मिलने-जुलने के अलावा हर जगह घूमने के साथ और भी कई सारे विकल्प हैं लेकिन व्यक्ति को जो स्क्रीन देखने की आदत बन गई है उस से छुटकारा पाना मुश्किल हो रहा है |

स्क्रीन टाइम में बढ़ोतरी ने हमारे एक दूसरे से संपर्क में रहने के हमारे तौर तरीकों को भी बदल दिया है | केवल आम रिश्ते ही नहीं बल्कि खास रिश्तों में भी अब ज्यादा डिजिटाइज हो गए हैं| इसके पीछे कई कारण हैं , हमने वॉट्सऐप पर ग्रुप बना लिए हैं, पहले हम पारिवारिक भोज पर आपस में मिल कर बातें किया करते थे इसके के बदले अब हर हफ्ते कॉल पर बातचीत की जा रही है| कोविड-19 ने हमारे सारे संपर्कों को डिजिटल कर दिया है , ज्यादा लोग अब ग्रुप चैट और वीडियो कॉल पर ही बात करते हैं|
2022 में लीड्स यूनिवर्सिटी में एक स्टडी की गई जिस के मुताबिक़ ब्रिटेन के 54 फीसदी वयस्क नागरिक , महामारी से पहले के दौर की तुलना में अब ज्यादा स्क्रीन का इस्तेमाल कर रहे हैं | चौकाने वाली बात यह सामने आए कि जिन लोगों के बीच ये सर्वे कराया गया था उनमें से आधे लोग हर दिन 11 घंटे से ज्यादा का इस्तेमाल कर रहे थे| कोरोना काल से पहले के दिनों की तुलना में फुर्सत के दौरान स्क्रीन देखने वाले लोगों की तादाद 51 फीसदी थी, जबकि 27 फीसदी लोगों का काम के दौरान स्क्रीन इस्तेमाल का समय बढ़ गया था|

डिजिटल डिटॉक्सिंग का मुख्य मकसद क्या है ?
इन आदत को कम करने या छोड़ने के लिए आपको डिजिटल डिटॉक्स करना होगा | डिजिटल डिटॉक्स का मतलब सिर्फ अपने बॉस से डिजिटल डिवाइस से चैट से मुक्ति नहीं है| बल्कि आप अपने करीबियों से भी एक निर्धारित समय तक डिजिटल तौर पर संपर्क में नहीं रह पाएंगे |
कुछ लोगों के लिए डिवाइस से दूर रहने का अपना लक्ष्य तो पूरा करना संभव हो सकता है किन्तु अधिकतर लोगों के लिए ये लगभग असंभव होगा | डिजिटल डिटॉक्स होने का मतलब यह है कि टेक्नोलॉजी को पूरी तरह से छोड़ देना यानी आप कुछ दिनों तक पूरी तरह स्क्रीन से दूर हो जायेंगे , चाहे वो सोशल मीडिया हो या वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग या फिर ऐसा ही कोई डिजिटल प्लेटफॉर्म|
डिजिटल डिटॉक्सिंग का मुख्य मकसद व्यक्ति को तनाव या चिंता घटा कर उस को उनकी वास्तविक दुनिया से जोड़ना होता है| हालांकि टेक्नोलॉजी से दूर रहने के दौरान होने वाले फायदे वैज्ञानिक तौर पर साबित नहीं हो पाए हैं| लेकिन डिजिटल डिटॉक्सिंग एक बड़ी चुनौती बनती जा रही है| डिजिटल डिटॉक्स के लिए विशेषज्ञों का कहना है कि एक सप्ताह के लिए पूरी तरह फोन से नाता तोड़ने के बदले आप अपनी ज़िंदगी की जरूरत के हिसाब से स्क्रीन का इस्तेमाल करने की कोशिश करें , जब भी आपको जरूरत हो स्क्रीन से संपर्क में रहें और जब जरूरत न हों तो इससे दूर रहने की कोशिश करें |

आजकल पूरी दुनियाँ के लोग टेक्नोलॉजी पर इतने ज्यादा आश्रित हो चले हैं कि डिजिटल डिटॉक्सिंग वाजिब लक्ष्य नहीं माना जा सकता | इसके बजाय अब ज़्यादा यथार्थवादी लक्ष्य हासिल किए जा सकते हैं ताकि टेक्नोलॉजी के प्रति हमारी दीवानगी कम हो ,और हम अपने जरुरत के हिसाब से टेक्नोलॉजी से जुड़े भी रहें | ऐसा कोई पहलकदमी जरुरी है जिसमें हमें टेक्नोलॉजी से पूरी तरह कटने के लिए बाध्य न किया जाए |