एंग्जायटी क्या है और एंग्जायटी के क्या कारण हो सकते हैं ?
एंग्जायटी कई प्रकार की हो सकती है यह इंसान के लिया बहुत घातक भी साबित हो सकती है | यह आमतौर पर एक मानसिक रोग है, जिसमें रोगी को तेज़ बैचेनी के साथ नकारात्मक विचार, चिंता और डर का आभास होता है । जैसे, अचानक हाथ कांपना, पसीने आना आदि| दरअसल यह मस्तिष्क को ही केवल चोट नहीं पहुँचाती अपितु शरीर को भी नुकसान पहुंचाती है। आजकल के रहन सहन में हमारी जिंदगी जैसी हो गई है उसमें एंग्जायटी का होना बहुत हीआम बात है। जैसे हमारे हर रिश्तों में विश्वास की कमी, एक दूसरे से आगे निकलने की दौड़ के साथ ही एक दूसरे को नीचा दिखाने की जिद , खुद को असुरक्षित महसूस करना, लड़ाई-झगड़ा, ग़लत व्यवहार, अनियमितता, समाज से दूर रहना, अपनी ही जिंदगी में लीन रहना यह सब बेचैनी के कारण हैं। एंग्जायटी से पीड़ित तो हर कोई है परन्तु इसे बीमारी के तौर पर पहचानना बहुत ही मुश्किल है।यह व्यक्ति में अवसाद, निराशा व दुःख से जन्म लेती है। जब हम अपनी भावनाओं को अनदेखा करते हैं तो वे हमारे दुःख का कारण बनती हैं। ठीक इसी प्रकार, नजरअंदाज किए जाने पर अवसाद एंग्जायटी का रूप ले लेता है। इस समस्या का सबसे बेहतर विकल्प रोकथाम है न कि इलाज । एंग्जाइटी डिसऑडर के विषय में सबसे गंभीर बात यह है कि एंग्जाइटी डिसऑर्डर का पता नहीं चल पाता है कि किस स्टेज पर है और कितने समय में गंभीर हो सकता है, इसलिए इसके लक्षणों को लेकर जागरुक रहें और अगर कुछ महसूस हो तो फौरन डॉक्टर को दिखाएं ।
जैसा कि हमारे रोज़मर्रा के जीवन में कुछ सामान्य चिंताएं ऐसी होती हैं जो आमतौर पर एंग्जाइटी और डिप्रैशन का कारण बनती हैं और कभी-कभी इसके नतीजे भंयकर भी हो सकते हैं| ये चिंता कई तरह की हो सकती हैं जैसे -हर महिने बिलों का भुगतान या किश्तें चुकाने की चिंता,
नौकरी या और परीक्षा से पहले की बेचैनी,
लोगों के बीच खड़े होने पर बोलने की घबराहट या चिंता ।
कई प्रकार के डर का फोबिया, जैसे ऊंचाई, या कुत्ते अथवा बिल्ली से काटे जाने का डर, दुर्घटना का डर आदि ।
किसी करीबी के निधन से होने वाला दुख या चिंता।भविष्य की ज्यादा चिंता इत्यादि |
इनमें से यदि कोई ऐसी चिंता है जो लंबे वक्त से बनी हुई है तो यह निश्चित है कि वह कोई बड़ा रुप ले सकती है। ऐसी स्थिति में जल्दी से जल्दी मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट का परामर्श लेना बहुत जरुरी होता है।जब भी कोई विचार अपने निश्चित स्तर से आगे बढ़ जाता है तो उसे एंग्जायटी कहते हैं।

एंग्जाइटी होने के अहम् कारण क्या हैं ?
अगर परिवार में पहले से ही किसी को मानसिक स्वास्थ्य संबंधी इतिहास रहा है, संभावना है कि उनके परिवार में कभी भी किसी और को एंग्जाइटी डिसऑर्डर हो सकता है|
अगर व्यक्ति किसी अन्य रोग से ग्रस्त है और वह तनाव में हैं तो वह भी इसकी चपेट में आ सकते हैं। थॉयराइड, दमा, शुगर या हृदय संबंधी रोग से पीड़ित व्यक्ति को भी एंग्जाइटी डिसऑर्डर हो सकता है।
घटनाएं जो आपको तनाव में रखती हैं एंग्जाइटी होने के कारण हो सकते हैं फिर चाहे वो आपके ऑफिस का तनाव हो , या अपने किसी करीबी के मृत्यु का गम, यहाँ तक कि कई मामले में गर्लफ्रैंड से ब्रेकअप आदि भी एंग्जाइटी डिसऑर्डर के कारण हो सकते हैं।
दुख भुलाने या उसे कम करने के लिए लोग अक्सर नशे ( शराब, गांजा, अफीम या दूसरे नशे )का सहारा लेने लगते हैं। जो कभी भी एंग्जाइटी को दूर नहीं कर सकता |बल्कि यह समस्या को बढ़ाने का काम करेगा। जैसे ही नशे का असर खत्म होगा, समस्या पहले से ज्यादा महसूस होगी।
कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिन्हे हर चीज सही तरीके की पसंद आती है | वो चाहते हैं कि हर चीजें उनके हिसाब से ही हों ,किन्तु जब ऐसा नहीं होता तो वह दिमागी तौर पर चिंता पाल लेते हैं। यह एक बहुत बड़ी समस्या बन सकती है|

आइए जानते हैं एंग्जाइटी डिसऑर्डर के इलाज के विषय में : -
एंग्जाइटी डिसऑर्डर से बचा जा सकता है।अगर कोई एंग्जाइटी डिसऑर्डर से ग्रस्त है तो उनको इस परेशानी को हल्के में नहीं लेना चाहिए। रोगी को चाहिए की वे यथाशीघ्र डॉक्टरी सलाह लें और इलाज के लिए किसी जाने माने डॉक्टर को ही दिखाएं । डिप्रैशन या एंग्जाइटी का इलाज दवा, काउंसलिंग या मिले-जुले इस्तेमाल से बेहद आसानी से किया जा सकता है।आप भरोसा रखें कि यह लाइलाज बीमारी नहीं है |
- अगर आपके परिवार में कोई व्यक्ति एंग्जाइटी या डिप्रैशन से जूझ रहा है तो आपकी कोशिश होनी चाहिए कि आप उसे कभी भी अकेला न छोड़ें। अकेलेपन में रोगी अपनी बीमारी के विषय में ज्यादा सोच कर और बीमार हो सकता है ,साथ ही उनकी नींद भी पूरी हों ,यह भी ध्यान रखना चाहिए क्योंकि आधी-अधूरी नींद भी एंग्जाइटी का कारण बन सकती है।
- अगर खाने और सोने का कोई नियत समय नहीं है तो यह आदत जितनी जल्दी हो बदल देने चाहिए | अनियमित समय पर भोजन करने का असर सीधा मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है । एंग्जाइटी भी इन्हीं में से एक है, जिन्हे आपके द्वारा अपनाये गए खाने और सोने के उचित आदत को अपना कर ठीक किया जा सकता है |
- खाने में हमेशा भरेपूरे और ताजे फल, सब्जियां, साबुत अनाज और फैट वाले आहार का सेवन करना चाहिए। बाजार का डिब्बाबंद खाना ,वैसे तो सभी बहुत चाव से खाते हैं किन्तु एंग्जाइटी या डिप्रैशन की परेशानी से जूझ रहे व्यक्ति को जंक फूड या तले हुए भोजन के साथ बाहर का खाना भी नहीं खाना चाहिए।
- साइकोथेरेपी की मदद लेकर एंग्जाइटी को दूर किया जा सकता है। एंग्जाइटी से बचने में साइकोथैरेपी बहुत ही कारगर साबित हुई है । इस थैरेपी के द्वारा मन पर नियंत्रण कायम करना सिखाया जाता है । समय की पाबन्दी और हर काम के प्रति रुझान आपको एंग्जाइटी से निजात दिलाएगा|
- संगीत ऐसी कला है जो आपको बड़े से बड़े दुःख और तकलीफ को भुलाने में सहायक है | ऐसा पाया गया है कि संगीत से ब्लड़ प्रेशर, हार्ट रेट और तनाव दूर हो जाता है इसलिए जब भी किसी को एंग्जाइटी या डिप्रैशन महसूस हो, उन्हें अपने पसंद का संगीत सुनना चाहिए।
- कुछ ख़ास योगासन और प्रतिदिन 30 मिनट के व्यायाम की आदत डालें । सुबह और शाम की सैर करने की आदत बनाएं ,सुबह की ताजी हवा कई बिमारियों को हवा कर देती हैं साथ ही अपनी दिनचर्या में योग को जरूर शामिल करें ।

सबसे जरुरी बात आप खुद को कभी भी बेहतर बना सकते हैं ,जिन्दगी में हमेशा अच्छे बुरे समय आते रहेंगे आप हर तरह के समय का खुश होकर स्वागत करें |