हर साल बारिश के बाद डेंगू के मामले बढ़ने लगते हैं|

डेंगू बुखार बहुत ही पीड़ादायक बुखार है इसे आमतौर पर हड्डी तोड़ बुखार के रूप में जाना जाता है, यह एक फ्लू जैसी बीमारी है, जो डेंगू वायरस के कारण होती है। यह तब होता है, जब वायरस वाला एडीज मच्छर किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है। यह बुखार आम तौर पर उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में होता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार अनुमानतः 500,000 लोगों को हर साल डेंगू के कारण अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता पड़ती है। दुनिया के उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में डेंगू के सबसे ज्यादा मामले सामने आते हैं, जिनमें से भारतीय उपमहाद्वीप, दक्षिण-पूर्व एशिया, मेक्सिको, अफ्रीका, मध्य और दक्षिण अमेरिका के कुछ हिस्सों में तो बहुत बड़ी आबादी इस बुखार से प्रभावित होती है।

 

डेंगू कैसे फैलता है ? मच्छर के काटने से संक्रमण - डेंगू  का बुखार प्रमुखतः ऐसे मच्छरों के काटने से  प्रसारित होता है जो डेंगू वायरस को लेकर आते हैं, इस मच्छर का नाम एडीस एजिप्टी मच्छर है । वायरस मच्छर के शरीर में प्रवेश करता है और इसके मध्यगुटिका में वृद्धि करता है, और इसके बाद अन्य ऊतकों में, साथ ही थूकने वाले ग्रंथियों में भी फैल जाता है। इस प्रक्रिया को "एक्सट्रिंसिक इन्क्यूबेशन पीरियड" (EIP) कहा जाता है, जिसमें वायरस को प्रसारणशील बनने में लगभग 8-12 दिन लगते हैं। तापमान, वायरस के प्रकार और प्रारंभिक वायरल संघटन की धारावाहिकता जैसे एक्सट्रिंसिक इन्क्यूबेशन पीरियड की अवधि पर प्रभाव डाल सकते हैं। एक बार जब मच्छर संक्रामक हो जाता है, तो वह अपने पूरे जीवन के लिए वायरस को प्रसारित कर सकता है।

डेंगू बुखार के खिलाफ लड़ाई में सही ज्ञान होना और निवारक उपाय करना काफी महत्वपूर्ण माना गया है। डेंगू के लक्षणों को पहचानकर इसके कारणों को जानकर साथ ही जोखिम कारकों को भलीभांति समझकर उसका  निदान और उपचार के साथ ही साथ निवारक रणनीतियों को लागू करके ही हम इस घातक बीमारी से खुद को सुरक्षित रख सकते हैं।

अक्सर तेज बुखार हो जाता है डेंगू की जांच के लिए डॉक्टर एनएस1 टेस्ट करवाने की सलाह देते हैं पर बुखार यदि  5 दिनों से ज्यादा समय ले रहा हो तो एलाइजा टेस्ट की सलाह दी जाती है| यह बुखार सभी उम्र के लोगों को हो सकता है. डेंगू बुखार में मध्यम से तेज बुखार, त्वचा पर रैशेज मांसपेशियों में दर्द, आंतरिक रक्त स्त्राव और ब्लड प्रेशर में गिरावट जैसे लक्षण दिखते हैं|

डेंगू बुखार और उसकी रोकथाम

  • डेंगू बुखार में गिरते प्लेटलेट्स पर नजर रखें पर तुरंत घबराए नहीं घबराहट और बेचैनी में अक्सर लोग एक साथ कई चीजें करने लगते हैं जो  सही नहीं है|
  • एक स्वस्थ व्यक्ति में 1.5 से 4.5 लाख तक प्लेटलेट्स होते हैं पर कुछ कारणों जैसे उम्र कुछ खास दवाओं का सेवन तनाव या किसी बीमारी की वजह से प्लेटलेट्स काउंट में उतार-चढ़ाव हो सकता है डेंगू बुखार में प्लेटलेट्स की संख्या 50 हजार से नीचे जाने लगे तो फौरन सतर्क हो जाएं यह फैसला डॉक्टर ही लेते हैं कि मरीज  को भर्ती कराने की जरूरत है या नहीं अगर प्लेटलेट्स की संख्या 10000 से नीचे चली जाए तो इंटरनल ब्लीडिंग का कारण बन सकती है. अक्सर घबराहट में लोग तुरंत हॉस्पिटल जाने लगते हैं या फिर खुद से कई तरह के उपचार करने लगते हैं इससे बचना चाहिए| 
  • किसी दवा की मदद से प्लेटलेट्स बढ़ाना संभव नहीं है, हालांकि कुछ इंजेक्शन होते हैं जो इनके उत्पादन को बढ़ाने में मदद करते हैं पर डेंगू में यह मददगार नहीं होता ऐसे में डॉक्टरों की निगरानी ही सबसे ज्यादा जरूरी है|
  • कैसा हो आहार यह ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है|
  • डेंगू में कमजोरी बहुत आ जाती है. तेज बुखार से शरीर का जलस्तर बहुत कम होने लगता है इसलिए जरूरी है कि आप संतुलित आहार का सेवन करें एवं शरीर में जल की मात्रा संतुलित रखें|

 

 

डेंगू कैसे फैलता है ? मच्छर के काटने से संक्रमण - डेंगू  का बुखार प्रमुखतः ऐसे मच्छरों के काटने से  प्रसारित होता है जो डेंगू वायरस को लेकर आते हैं, इस मच्छर का नाम एडीस एजिप्टी मच्छर है । वायरस मच्छर के शरीर में प्रवेश करता है और इसके मध्यगुटिका में वृद्धि करता है, और इसके बाद अन्य ऊतकों में, साथ ही थूकने वाले ग्रंथियों में भी फैल जाता है। इस प्रक्रिया को "एक्सट्रिंसिक इन्क्यूबेशन पीरियड" (EIP) कहा जाता है, जिसमें वायरस को प्रसारणशील बनने में लगभग 8-12 दिन लगते हैं। तापमान, वायरस के प्रकार और प्रारंभिक वायरल संघटन की धारावाहिकता जैसे एक्सट्रिंसिक इन्क्यूबेशन पीरियड की अवधि पर प्रभाव डाल सकते हैं। एक बार जब मच्छर संक्रामक हो जाता है, तो वह अपने पूरे जीवन के लिए वायरस को प्रसारित कर सकता है।

 

 

  • पानी की कमी को रोकने और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए नारियल का पानी बहुत फायदेमंद होता है इसमें मौजूद पोषक तत्व कमजोरी दूर करने में मददगार  होता है|
  • पपीते के पत्तों के रस में मौजूद कायमू पेन और पपेन प्लेटलेट्स को बढ़ाते हैं और यह डेंगू बुखार को भी कम करता है| 
  • बकरी के दूध में मौजूद प्रोटीन गाय और भैंस के दूध की तरह जटिल नहीं होता यह सुपाच्य होता है और रेड ब्लड सेल्स को बढ़ाता है जो कि डेंगू के बुखार के लिए बहुत फायदेमंद साबित हुआ है|
  • गिलोय का रस दर्द और सूजन कम करने के साथ प्लेटलेट बढ़ाने में भी सहायक माना जाता है और गिलोय के रस से बुखार चढ़ना बंद हो जाता है|
  • हल्दी वाला दूध मेटाबोलिज्म तेज करता है जिसमें सूजन व संक्रमण को कम करने के गुण होते हैं साथ ही यह एंटीबैक्टीरियल भी है। 
  • कीवी और अनार पोटैशियम, फाइबर, विटामिन सी, विटामिन ई, जिंक, आयरन व फोस्फेट से भरपूर होते हैं. यह  प्लेटलेट को बढ़ाता है साथ में रक्त की कमी से भी बचाता है|
  • डेंगू बुखार चढ़ने के बाद कई चीजें नहीं खानी चाहिए जैसे मिर्च मसाले और तले भुने भोजन से परहेज करें. कैफीन युक्त पेय पदार्थ ना पिए चाय कॉफी से दूर रहें इसकी वजह नींबू पानी हर्बल चाय व ताजा फलों का रस लें.  डेंगू को हड्डी तोड़ बुखार के नाम से भी जाना जाता है या एक वायरस जनित बुखार है. लक्षणों के आधार पर डॉक्टर बुखार कम करने और दर्द निवारक दवाओं की सलाह देते हैं. तेज बुखार के साथ अगर उल्टी हो रही है तो मरीज को लगातार तरल पदार्थ ओआरएस का घोल दे सकते हैं|
  • यह ध्यान रखना बहुत आवश्यक है कि डेंगू के मच्छर सुबह और शाम के समय ज्यादा सक्रिय होते हैं ऐसे में शरीर का ज्यादा से ज्यादा हिस्सा ढक कर रखें मॉस्किटो रेपेलेंट का इस्तेमाल करें| अपने आसपास पानी जमा ना होने दें. ध्यान रखें डेंगू का मच्छर साफ और स्थिर पानी में ही पनपता है. अन्य वायरस या व्यक्ति  के संक्रमण से बचे रहने के लिए स्वच्छता का ध्यान रखें|

 

 

डेंगू कैसे फैलता है ? मच्छर के काटने से संक्रमण - डेंगू  का बुखार प्रमुखतः ऐसे मच्छरों के काटने से  प्रसारित होता है जो डेंगू वायरस को लेकर आते हैं, इस मच्छर का नाम एडीस एजिप्टी मच्छर है । वायरस मच्छर के शरीर में प्रवेश करता है और इसके मध्यगुटिका में वृद्धि करता है, और इसके बाद अन्य ऊतकों में, साथ ही थूकने वाले ग्रंथियों में भी फैल जाता है। इस प्रक्रिया को "एक्सट्रिंसिक इन्क्यूबेशन पीरियड" (EIP) कहा जाता है, जिसमें वायरस को प्रसारणशील बनने में लगभग 8-12 दिन लगते हैं। तापमान, वायरस के प्रकार और प्रारंभिक वायरल संघटन की धारावाहिकता जैसे एक्सट्रिंसिक इन्क्यूबेशन पीरियड की अवधि पर प्रभाव डाल सकते हैं। एक बार जब मच्छर संक्रामक हो जाता है, तो वह अपने पूरे जीवन के लिए वायरस को प्रसारित कर सकता है।

 

डेंगू कैसे फैलता है ?

मच्छर के काटने से संक्रमण - डेंगू  का बुखार प्रमुखतः ऐसे मच्छरों के काटने से  प्रसारित होता है जो डेंगू वायरस को लेकर आते हैं, इस मच्छर का नाम एडीस एजिप्टी मच्छर है ।वायरस मच्छर के शरीर में प्रवेश करता है और इसके मध्यगुटिका में वृद्धि करता है, और इसके बाद अन्य ऊतकों में, साथ ही थूकने वाले ग्रंथियों में भी फैल जाता है।इस प्रक्रिया को "एक्सट्रिंसिक इन्क्यूबेशन पीरियड" (EIP) कहा जाता है, जिसमें वायरस को प्रसारणशील बनने में लगभग 8-12 दिन लगते हैं।तापमान, वायरस के प्रकार और प्रारंभिक वायरल संघटन की धारावाहिकता जैसे एक्सट्रिंसिक इन्क्यूबेशन पीरियड की अवधि पर प्रभाव डाल सकते हैं।एक बार जब मच्छर संक्रामक हो जाता है, तो वह अपने पूरे जीवन के लिए वायरस को प्रसारित कर सकता है।

डेंगू बुखार में यह ज्ञात होना सबसे आवश्यक है कि एक बार जब कोई व्यक्ति डेंगू बुखार से ठीक हो जाता है, तो वह विशिष्ट वायरस से प्रतिरक्षित होता है, लेकिन जो और अन्य तीन प्रकार के वायरस हैं उस से प्रतिरक्षित नहीं रहता है। यानि यदि आप दूसरी, तीसरी या चौथी बार संक्रमित होते हैं तो गंभीर डेंगू बुखार, जिसे डेंगू रक्तस्रावी बुखार के रूप में भी जाना जाता है, के विकसित होने की संभावना बढ़ सकती है।डेंगू तीन प्रकार के बुखार होते हैं, जिनसे व्यक्ति को खतरा होता है, जो इस प्रकार हैं – हल्का डेंगू बुखार, डेंगू रक्तस्रावी बुखार और डेंगू शॉक सिंड्रोम। आगे हम जानते हैं कि ,क्या अंतर है डेंगू के इन अलग -अलग बुखार में और कितना खतरनाक है ये बुखार 

 

 

डेंगू बुखार में यह ज्ञात होना सबसे आवश्यक है कि एक बार जब कोई व्यक्ति डेंगू बुखार से ठीक हो जाता है, तो वह विशिष्ट वायरस से प्रतिरक्षित होता है, लेकिन जो और अन्य तीन प्रकार के वायरस हैं उस से प्रतिरक्षित नहीं रहता है। यानि यदि आप दूसरी, तीसरी या चौथी बार संक्रमित होते हैं तो गंभीर डेंगू बुखार, जिसे डेंगू रक्तस्रावी बुखार के रूप में भी जाना जाता है, के विकसित होने की संभावना बढ़ सकती है।डेंगू तीन प्रकार के बुखार होते हैं, जिनसे व्यक्ति को खतरा होता है, जो इस प्रकार हैं – हल्का डेंगू बुखार, डेंगू रक्तस्रावी बुखार और डेंगू शॉक सिंड्रोम। आगे हम जानते हैं कि ,क्या अंतर है डेंगू के इन अलग -अलग बुखार में और कितना खतरनाक है ये बुखार  हल्का डेंगू बुखार - जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है कि यह थोड़ी कम जटिलताओं वाला बुखार होगा | इस बुखार के लक्षण मच्छर के काटने के एक हफ्ते के बाद देखने को मिलते हैं किन्तु कई बार इसमें भी गंभीर या घातक जटिलताएं शामिल हो सकते हैं। डेंगू रक्तस्रावी बुखार - इस बुखार में शुरुआत के लक्षण हल्के ही होते हैं, लेकिन धीरे-धीरे कुछ दिनों में यह बहुत ही गंभीर हो सकते हैं। डेंगू शॉक सिंड्रोम - यह डेंगू बुखार का सबसे गंभीर रूप है और यहां तक कि यह मौत का कारण भी बन सकता है।
  • हल्का डेंगू बुखार - जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है कि यह थोड़ी कम जटिलताओं वाला बुखार होगा | इस बुखार के लक्षण मच्छर के काटने के एक हफ्ते के बाद देखने को मिलते हैं किन्तु कई बार इसमें भी गंभीर या घातक जटिलताएं शामिल हो सकते हैं।
  • डेंगू रक्तस्रावी बुखार - इस बुखार में शुरुआत के लक्षण हल्के ही होते हैं, लेकिन धीरे-धीरे कुछ दिनों में यह बहुत ही गंभीर हो सकते हैं।
  • डेंगू शॉक सिंड्रोम - यह डेंगू बुखार का सबसे गंभीर रूप है और यहां तक कि यह मौत का कारण भी बन सकता है|

 

डेंगू बुखार होने के कुछ अहम् लक्षण :

आमतौर पर डेंगू बुखार के शुरुआत के लक्षणों में एक साधारण बुखार जैसा ही होता है , किशोरों एवं बच्चों में इसकी आसानी से पहचान नहीं की जा सकती। डेंगू में 104 फारेनहाइट डिग्री का बुखार होता है, जिसके साथ इनमें से कम से कम निम्नलिखित दो लक्षण अवश्य होते हैं:

सिर दर्द

मांसपेशियों, हड्डियों और जोड़ों में दर्द

जी मिचलाना

उल्टी लगना

आंखों के पीछे दर्द

ग्रंथियों में सूजन

त्वचा पर लाल चकत्ते होना|

 

है

 

 

डेंगू बुखार का उपचार कैसे करें :

 

अभी तक डेंगू बुखार का कोई विशिष्ट उपचार नहीं है, क्योंकि डेंगू एक वायरस है। यथासमय देखभाल से मदद मिल सकती है, जो कि इस बात पर निर्भर करता है कि बीमारी कितनी गंभीर है। अगर समय से इस बुखार की पहचान हो जाय तो ,डेंगू बुखार के कुछ बुनियादी उपचार इस प्रकार हो सकते हैं :


 

  • औषधि : आमतौर पर रोगियों को टायलेनोल या पैरासिटामोल जैसी दर्द निवारक दवाएं दी जाती हैं। अगर बहुत ज्यादा डिहाइड्रेशन हो तो रोगी को आईवी ड्रिप्स भी दी जाती हैं।
  • हाइड्रेटेड रहें : यह सबसे महत्वपूर्ण है कि रोगी को हाइड्रेटेड रखा जाय , क्योंकि डेंगू बुखार में रोगी के शरीर के अधिकांश तरल पदार्थों का उल्टी और तेज बुखार के दौरान ह्रास हो जाता है। तरल पदार्थों के लगातार सेवन से यह सुनिश्चित हो जाता है कि शरीर आसानी से डिहाइड्रेट नहीं होगा।
  • स्वच्छता : स्वच्छता का महत्व हमेशा ही रहा है, किन्तु स्वच्छता का महत्व तब और भी ज्यादा माना जाता है जब आप स्वस्थ नहीं होते हैं। मरीज यदि नियमित स्नान नहीं कर सकता तो स्पंज से स्नान का विकल्प चुन सकता है। नहाने के लिए उपयोग किए जा रहे पानी में डेटॉल या सेवलॉन जैसे कीटाणुनाशक तरल की कुछ बूंदेंअवश्य  मिलाएं। यह भी सलाह दी जाती है कि मरीज को देखने से पहले और बाद में हैंड सैनिटाइजर से आप अपने हाथ को हमेशा साफ करें। 

 

डेंगू बुखार का उपचार कैसे करें :  अभी तक डेंगू बुखार का कोई विशिष्ट उपचार नहीं है, क्योंकि डेंगू एक वायरस है। यथासमय देखभाल से मदद मिल सकती है, जो कि इस बात पर निर्भर करता है कि बीमारी कितनी गंभीर है। अगर समय से इस बुखार की पहचान हो जाय तो ,डेंगू बुखार के कुछ बुनियादी उपचार इस प्रकार हो सकते हैं :   औषधि : आमतौर पर रोगियों को टायलेनोल या पैरासिटामोल जैसी दर्द निवारक दवाएं दी जाती हैं। अगर बहुत ज्यादा डिहाइड्रेशन हो तो रोगी को आईवी ड्रिप्स भी दी जाती हैं। हाइड्रेटेड रहें : यह सबसे महत्वपूर्ण है कि रोगी को हाइड्रेटेड रखा जाय , क्योंकि डेंगू बुखार में रोगी के शरीर के अधिकांश तरल पदार्थों का उल्टी और तेज बुखार के दौरान ह्रास हो जाता है। तरल पदार्थों के लगातार सेवन से यह सुनिश्चित हो जाता है कि शरीर आसानी से डिहाइड्रेट नहीं होगा। स्वच्छता : स्वच्छता का महत्व हमेशा ही रहा है, किन्तु स्वच्छता का महत्व तब और भी ज्यादा माना जाता है जब आप स्वस्थ नहीं होते हैं। मरीज यदि नियमित स्नान नहीं कर सकता तो स्पंज से स्नान का विकल्प चुन सकता है। नहाने के लिए उपयोग किए जा रहे पानी में डेटॉल या सेवलॉन जैसे कीटाणुनाशक तरल की कुछ बूंदेंअवश्य  मिलाएं। यह भी सलाह दी जाती है कि मरीज को देखने से पहले और बाद में हैंड सैनिटाइजर से आप अपने हाथ को हमेशा साफ करें।

 

 

डेंगू बुखार की रोकथाम के विषय में जानकारी होना भी बहुत जरुरी है | आप कुछ बातों का ध्यान रखकर इस खतरनाक बुखार से अपनेआप और अपने परिवार के अन्य सदस्यों को सुरक्षित रख सकते हैं | 

मच्छर पर नियंत्रण रखें : आप अपने घर के आस-पास जमे हुए पानी और संभावित प्रजनन स्थलों को नष्ट कर दें। अपने घर की खिड़कियों और दरवाजों पर मच्छरदानी और स्क्रीन का प्रयोग करें।

सुरक्षात्मक कपड़ों का उपयोग करें : आप यह कोशिश करें कि बाहर जाते समय लंबी बाजू के कपड़े, पैंट और मोज़े पहनें। हल्के रंग के कपड़े भी मच्छरों को आपसे दूर रखने में मदद कर सकते हैं।

 

 

डेंगू बुखार की रोकथाम के विषय में जानकारी होना भी बहुत जरुरी है | आप कुछ बातों का ध्यान रखकर इस खतरनाक बुखार से अपनेआप और अपने परिवार के अन्य सदस्यों को सुरक्षित रख सकते हैं |  मच्छर पर नियंत्रण रखें : आप अपने घर के आस-पास जमे हुए पानी और संभावित प्रजनन स्थलों को नष्ट कर दें। अपने घर की खिड़कियों और दरवाजों पर मच्छरदानी और स्क्रीन का प्रयोग करें। सुरक्षात्मक कपड़ों का उपयोग करें : आप यह कोशिश करें कि बाहर जाते समय लंबी बाजू के कपड़े, पैंट और मोज़े पहनें। हल्के रंग के कपड़े भी मच्छरों को आपसे दूर रखने में मदद कर सकते हैं। कीट विकर्षक का उपयोग करें : खुली हुई  त्वचा और कपड़ों पर आप बाजार में उपलब्ध कई प्रकार के मच्छर विकर्षक क्रीम का उपयोग करें | आप DEET, पिकारिडिन, या लेमन यूकेलिप्टस के तेल के साथ भी मच्छर विकर्षक लगा सकते हैं। पीक एक्टिविटी से बचें: सुबह जल्दी और देर दोपहर को  मच्छर सबसे अधिक सक्रिय होते हैं इस समय आप बाहरी गतिविधियों को कम करें |  स्वच्छ परिवेश है आवश्यक : अपने रहने की जगह को आप साफ रखें और कूड़ा एवं  कचरे को  उचित तरीके से नष्ट करें। मच्छरों के आराम करने वाले क्षेत्रों को कम करने के लिए झाड़ियों की कटाई समय - समय से करवाते रहें।

कीट विकर्षक का उपयोग करें : खुली हुई  त्वचा और कपड़ों पर आप बाजार में उपलब्ध कई प्रकार के मच्छर विकर्षक क्रीम का उपयोग करें | आप DEET, पिकारिडिन, या लेमन यूकेलिप्टस के तेल के साथ भी मच्छर विकर्षक लगा सकते हैं।

पीक एक्टिविटी से बचें: सुबह जल्दी और देर दोपहर को  मच्छर सबसे अधिक सक्रिय होते हैं इस समय आप बाहरी गतिविधियों को कम करें | 

स्वच्छ परिवेश है आवश्यक : अपने रहने की जगह को आप साफ रखें और कूड़ा एवं  कचरे को  उचित तरीके से नष्ट करें। मच्छरों के आराम करने वाले क्षेत्रों को कम करने के लिए झाड़ियों की कटाई समय - समय से करवाते रहें।

 

 

डेंगू बुखार की रोकथाम के विषय में जानकारी होना भी बहुत जरुरी है | आप कुछ बातों का ध्यान रखकर इस खतरनाक बुखार से अपनेआप और अपने परिवार के अन्य सदस्यों को सुरक्षित रख सकते हैं |  मच्छर पर नियंत्रण रखें : आप अपने घर के आस-पास जमे हुए पानी और संभावित प्रजनन स्थलों को नष्ट कर दें। अपने घर की खिड़कियों और दरवाजों पर मच्छरदानी और स्क्रीन का प्रयोग करें। सुरक्षात्मक कपड़ों का उपयोग करें : आप यह कोशिश करें कि बाहर जाते समय लंबी बाजू के कपड़े, पैंट और मोज़े पहनें। हल्के रंग के कपड़े भी मच्छरों को आपसे दूर रखने में मदद कर सकते हैं। कीट विकर्षक का उपयोग करें : खुली हुई  त्वचा और कपड़ों पर आप बाजार में उपलब्ध कई प्रकार के मच्छर विकर्षक क्रीम का उपयोग करें | आप DEET, पिकारिडिन, या लेमन यूकेलिप्टस के तेल के साथ भी मच्छर विकर्षक लगा सकते हैं। पीक एक्टिविटी से बचें: सुबह जल्दी और देर दोपहर को  मच्छर सबसे अधिक सक्रिय होते हैं इस समय आप बाहरी गतिविधियों को कम करें |  स्वच्छ परिवेश है आवश्यक : अपने रहने की जगह को आप साफ रखें और कूड़ा एवं  कचरे को  उचित तरीके से नष्ट करें। मच्छरों के आराम करने वाले क्षेत्रों को कम करने के लिए झाड़ियों की कटाई समय - समय से करवाते रहें।

 

 

सामुदायिक प्रयास भी है जरुरी : मच्छरों को नियंत्रित करने के लिए आप सामुदायिक पहलों में शामिल होंकर आप अपने परिवार के सदस्यों के साथ ही अपने पड़ोसियों को भी इस बुखार से बचा सकते हैं|