नीतीश कुमार का जन्म 1 मार्च 1951 को हरनौत पटना, बिहार में हुआ था. नीतीश कुमार ने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और बिहार बिजली बोर्ड में शामिल भी हुए पर राजनीति को पहली पसंद माननेवाले नीतीश कुमार को नौकरी में मन नही लगा और राजनीति में चले आए. जे पी आन्दोलन में नीतीश कुमार ने सक्रिय भूमिका निभाई. लालू प्रसाद यादव एवं नीतीश कुमार जे पी आंदोलन की उपज माने जा सकते हैं.
नीतीश कुमार 1985 में पहली बार बिहार विधानसभा का चुनाव जीते. 1987 को नीतीश कुमार को युवा लोकदल का अध्यक्ष बनाया गया. दो साल बाद 1989 में उन्हें बिहार में जनता दल का सचिव चुना गया इसी साल श्री कुमार लोकसभा सदस्य भी बने.
नीतीश कुमार से सुशासन बाबू का सफ़र
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1990 में नीतीश कुमार पहली बार कृषि राज्य मंत्री बनाए गए.
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1991 में नीतीश कुमार दूसरी बार लोकसभा चुनाव जीते. इस बार उन्हें जनता दल का राष्ट्रीय सचिव चुना गया.
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1998-1999 में नीतीश कुमार केंद्रीय रेल मंत्री भी रहे. मंत्री रहते हुए गैसाल में हुई रेल दुर्घटना से ये काफी आहत हुए और मंत्री पद से इस्तीफ़ा दे दिया.
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2000 में नीतीश कुमार ने पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और इनका कार्यकाल केवल सात दिन का रहा तत्कालीन राज्यपाल बूटा सिंह ने बहुमत पेश करने को भी नहीं कहा और विधानसभा भंग कर दी.
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2000 में ही नीतीश कुमार को वाजपेयी सरकार में केंद्रीय कृषि मंत्री बनाया गया.
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2001 से 2004 तक नीतीश कुमार केंद्रीय रेल मंत्री रहे.
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2005 में बूटा सिंह द्वारा विधानसभा के भंग किये जाने के विरोध में नीतीश कुमार एवं एनडीए को स्पष्ट बहुमत मिला. नीतीश कुमार पहली बार 5 साल के लिए मुख्यमंत्री बने.
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यही दौर था जब नीतीश कुमार सुशासन बाबू के नाम से जाने गए. इनका 5 वर्षों का कार्यकाल किसी सपने से कम नहीं था. 15 साल से बिहार का विकास अवरुद्ध था . नीतीश कुमार ने एक बेहतर बिहार के सपने को लगभग जमीन दी.
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2010 में एनडीए के विरुद्ध कोई टिक न सका सारे विपक्षी दल मिलकर भी दशांश सीट नहीं जीत पाए.
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दूसरे कार्यकाल तक नीतीश कुमार को सबने प्रधानमंत्री के लिए सबसे योग्य उम्मीदवार माना, नीतीश कुमार की महत्वाकांक्षा भी प्रधानमंत्री बनने की थी. एनडीए की सबसे बड़ी पार्टी भाजपा ने नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री का उम्मीदवार बनाया.
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नीतीश कुमार ने एनडीए से अलग चुनाव लड़ने का मन बना लिया. ये फैसला गलत सिद्ध हुआ. 2014 के चुनाव में नीतीश की पार्टी जदयू का प्रदर्शन काफी ख़राब रहा और नीतीश कुमार ने इस्तीफ़ा दे दिया.
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2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में समीकरण बदल चुका था. नीतीश का एनडीए से मोहभंग हो चुका था. नीतीश कुमार ने राजद के साथ गठबंधन किया और विधानसभा का चुनाव जीत भी गए.
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20 नवम्बर 2015 को नीतीश कुमार फिर से बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ले चुके थे.
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राजद के साथ नीतीश सहज नहीं थे इसलिए राजद जो तत्कालीन सबसे बड़ी पार्टी थी उसका साथ छोड़ अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया.
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सबसे बड़ी पार्टी होते हुए भी राजद के पास सरकार बनाने का आंकड़ा नहीं था. इस्तीफे के अगले ही दिन नीतीश कुमार ने भाजपा के साथ मिलकर फिर से मुख्यमंत्री पद की शपथ ली.
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2020 में हुए विधानसभा में जदयू एनडीए का हिस्सा थी चुनाव हुआ और एनडीए को बहुमत मिला. दो-दो उपमुख्यमंत्री के साथ नीतीश कुमार बिहार के 37 वें मुख्यमंत्री के रूप में 16 नवम्बर 2020 को चुने गए.
नीतीश कुमार को मिले महत्वपूर्ण सम्मान
2008- सीएनएन-आईबीएन “ग्रेट इंडियन ऑफ़ दि इयर”
2009- पोलियो उन्मूलन चैंपियनशिप अवार्ड- रोटरी इंटरनेशनल
2009- बिज़नस रिफॉर्मर ऑफ़ दि इयर- इकनोमिक टाइम्स
2009- एनडीटीवी इंडियन ऑफ़ द इयर (राजनीति)
2010 - सीएनएन-आईबीएन “इंडियन ऑफ़ दि इयर” (राजनीति)
2010- इन्डियन पर्सन ऑफ़ द इयर- फोर्ब्स
2010- एनडीटीवी इंडियन ऑफ़ द इयर (राजनीति)
2010- "एमएसएन इंडियन ऑफ दि इयर"
2011- "सर जहाँगीर गांधी मेडल" XLRI
2012- फॉरेन पॉलिसी मैगजीन के टॉप 100 बैश्विक चिंतक लोगों में 77वें स्थान पर
2013- जेपी स्मारक पुरस्कार, नागपुर मानव मंदिर
2017- अणुव्रत सम्मान- श्वेतांबर तेरापंथ महासभा (जैन संस्था) द्वारा, बिहार में शराबबंदी लागू करने के लिए
नीतीश कुमार का राजनीतिक जीवन उठापटक वाला रहा. 2005 के प्रथम कार्यकाल में अपने सुशासन बाबू के नाम को चरितार्थ करते रहे. बाद में नीतीश कुमार को कुर्सी कुमार की संज्ञा भी मिली जो इस बात की तरफ इशारा करती है कि अपने शासनकाल में मुख्यमंत्री बने रहने के लिए इनको कई समझौते भी करने पड़े.