हिन्दू धर्म में यह मान्यता है कि पितृ पक्ष के दौरान हमारे पूर्वज धरती पर अपने वंशजों के देखरेख के लिए अवतरित होते हैं | ऐसे में पितरों के निमित्‍त श्राद्ध और तर्पण करके उन्‍हें भोजन  जल और  दक्षिणा समर्पित किया जाता है |आमतौर पर यह माना जाता है कि पितृ पक्ष के दौरान हम  हमारे पूर्वजों के कर्ज को चुकाने का एक प्रयास कर सकते हैं |   हमारी आज की तरक्की हमारे पूर्वजों के नेक कार्य के कारण ही संभव होता है | हिन्दू धर्म के अनुसार आज हम जो कुछ भी हैं, वो हमारे पूर्वजों की बदौलत ही हैं|  माना जाता है कि पितृ पक्ष के दौरान हमारे पूर्वज धरती पर अपने वंशजों से मिलने के लिए आते हैं |

 

पितृ पक्ष के दौरान हमारे पूर्वज धरती पर अपने वंशजों के देखरेख के लिए अवतरित होते हैं |

 

 

हमें जन्म देने वाले हमारे माता पिता हैं और हमारे माता पिता को जन्म देने वाले उनके माता पिता थे  ,उनकी मृत्यु के बाद हम उन्हें अपने पुरखों के रूप में जानते हैं उनकी आत्मा की शांति के लिए उपाय करते हैं | देवताओं को प्रसन्न करने से पहले हमें अपने पुरखों को प्रसन्न करने का विधान हिन्दू धर्म में है  | पितरों की शांति के लिए हर साल भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा से शुरू  होकर आश्विन मास के कृष्ण पक्ष के अमावस्या की तिथि तक पितृ पक्ष के  श्राद्ध की जाती है, जिस दिन व्‍यक्ति की मृत्‍यु होती है, उसी तिथि पर उनका श्राद्ध भी होता है|  किन्तु अगर कोई मनुष्य अपने पूर्वज के मृत्‍यु की तिथि भूल जाये तो श्राद्ध अमावस्‍या तिथि पर भी किया जा सकता है| पितरों के निमित्‍त श्राद्ध और तर्पण करने की भी कुछ खाश पद्धति है जिसका पालन करना आवश्यक माना गया है |

 

पितृ पक्ष के दौरान हमारे पूर्वज धरती पर अपने वंशजों के देखरेख के लिए अवतरित होते हैं |

 

१५ दिनों तक लगातार पितृ पक्ष के दौरान जल तर्पण करने की मान्यता है कहा गया है की चंद्र लोक के ऊपर और सूर्यलोक के पास पितृ लोक है वहां जल की मात्रा बहुत कम है | पितृ पक्ष के दौरान जल तर्पण करने से वही  जल हमारे पूर्वजों को मिलता है ,जिससे उनकी प्यास बुझती है अन्यथा पितृ प्यासे रहते हैं | अंगूठे की सहायता से जल तर्पण करने की परम्परा है | 

सफाई के साथ ही साथ शुद्धता पूर्ण भोजन बनाने चाहिए | भोजन बनाने से पहले महिलाओं को चाहिए की वे स्‍नान करके रसोई घर की भलीभाँति सफाई करने के उपरांत ही भोजन तैयार करें| भोजन बनाते समय भोजन में प्‍याज-लहसुन का इस्‍तेमाल बिलकुल  नहीं करना चाहिए | 

 

 

 

 

पितृ पक्ष के दौरान हमारे पूर्वज धरती पर अपने वंशजों के देखरेख के लिए अवतरित होते हैं |

 

श्राद्ध का भोजन ब्राह्मण को खिलाने  से पहले यह भी ध्यान रखने वाली बात है कि  आप यह कोशिश करें कि   ब्राह्मण को श्राद्ध का भोजन हमेशा सूरज चढ़ने के बाद करवाएं| यह माना जाता है की हमारे पूर्वज इस भोजन को सूर्य की किरणों के द्वारा ही ग्रहण कर पाते हैं | अर्थात जितना सूर्य प्रभावशाली होगा हमारे पितरों को भोजन उतने अच्‍छे से मिल पाएगा|माना जाता है कि सुबह और शाम का समय देव कार्य के लिए, घोर अंधेरे का समय आसुरी और नकारात्‍मक शक्तियों की प्रबलता का और दोपहर का समय पितरों के लिए उपयुक्त रहता है |  

 

श्राद्ध पक्ष के दौरान आप अपने सामर्थ्य  के अनुसार जरूरतमंद लोगों में कपड़े और खाना भी बांटें |

 

 

श्राद्ध के भोजन में किसी प्रकार की कोई कमी नहीं निकलना चाहिए ,क्यूंकि यह भोजन प्रसाद माना  जाता है | ब्राह्मण को खिलाने  के बाद ही घर के अन्य सदस्य को भोजन ग्रहण करने की मान्यता है | ब्राह्मण को भोजन करवाते समय ज्यादा बातचीत न करके उन्हें पूर्ण श्रद्धा के साथ भोजन कराएं,उनसे ये न पूछें कि भोजन कैसा बना है ? ब्राह्मण भोज के उपरांत ही सभी प्रसाद के रूप में भोजन को ग्रहण करें | 

 

पितृ पक्ष के दौरान हमारे पूर्वज धरती पर अपने वंशजों के देखरेख के लिए अवतरित होते हैं |

 

ब्राह्मण को श्राद्ध का भोजन कभी भी कांच या मिटटी के बर्तन में नहीं करवाए , पत्‍तल में करवाया गया ब्राह्मण भोज को  सबसे अच्छा माना गया है,आप चाहे तो चांदी या कांसे के बर्तन का भी उपयोग कर सकते हैं | भोजन के उपरांत ब्राह्मण को अपनी सामर्थ्य के हिसाब से दक्षिणा भी जरूर दें ,साथ ही  चलते समय पैर छूकर उनका आशीर्वाद लें|अपने  पितरों को मन में याद करें और उनसे भूल चूक के लिए मन ही मन माफ़ी मांग लें | इन सभी  जरुरी बातों को ध्यान में रखकर श्रद्धा पूर्वक अपने पूर्वजों को नमन करें |  रात के समय दक्षिण दिशा में पितरों के नाम का सरसों के तेल का दीपक जलाएं | 

 

 

श्राद्ध पक्ष के दौरान आप अपने सामर्थ्य  के अनुसार जरूरतमंद लोगों में कपड़े और खाना भी बांटें |

 

श्राद्ध पक्ष के दौरान आप अपने सामर्थ्य  के अनुसार जरूरतमंद लोगों में कपड़े और खाना भी बांटें |  इससे पितरों को शान्ति मिलती है|  जिन पूर्वजों ने हमें इतना कुछ दिया, वही आज हमारे बीच नहीं हैं, इस बात का शोक व्‍यक्‍त करने के लिए  और पितरों के किए हर उपकार को सम्‍मान देने के लिए पितृ पक्ष के दौरान किसी भी तरह के शुभ कार्य नहीं करने की सलाह दी जाती है |  यह भी मान्‍यता है कि श्राद्ध पक्ष के दौरान पितरों के निमित्‍त जो भी तर्पण और श्राद्ध किया जाता है, वो सीधे पूर्वजों तक पहुचता है|  जिससे  उन्‍हें अत्यंत संतुष्टि मिलती है और वे प्रसन्‍न होकर अपने बच्‍चों को आशीष देकर जाते हैं| 

 

श्राद्ध पक्ष के दौरान आप अपने सामर्थ्य  के अनुसार जरूरतमंद लोगों में कपड़े और खाना भी बांटें |

 

पितरों का आशीर्वाद बहुत फलित होता है और परिवार में सुख-समृद्धि और शांति बनी रहती है |  हालांकि इस बीच की गईं तमाम गलतियां कई बार पितृ दोष की वजह बन सकती हैं| इस लिए इस दौरान खाश एहतियात बरतें और अपने पूर्वजों से क्षमायाचना करके अपने हर भूल चूक की माफ़ी मांग लें |