इस वर्ष महाशिवरात्रि का व्रत बहुत सारे शुभ योग के साथ मनाया जायेगा , आप भी जाने क्या है शनि प्रदोष और सर्वार्थ सिद्धि योग ?

भारतवर्ष में महाशिवरात्रि का त्यौहार बहुत ही श्रद्धा भक्ति और धूमधाम से मनाया जाने वाला धार्मिक पर्व है | इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है| इस दिन भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा करने से भक्तों के जीवन के सभी परेशानी दूर हो जाते हैं | फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है| इस दिन व्रत रखने और भागवान भोलेनाथ की पूजा माता पार्वती के साथ करने से सभी मनोकानाए पूरी होती है| इस साल 18 फ़रवरी को महाशिवरात्रि पर शाम 5 बजकर 42 मिनट से 19 फरवरी सूर्योदय तक सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है। सर्वार्थ सिद्धि योग में शिवजी की पूजा करने से और व्रत रखने से साधक को परमसिद्धि की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही सर्वार्थ सिद्धि योग धन लाभ और कार्य सिद्धि के लिए विशेष रूप से शुभ माना जाता है। इस शुभ योग में कोई भी नया कार्य, बिजनेस या फिर नौकरी में नई शुरुआत करना अच्छा परिणाम देने वाली मानी जाती है। 

महाशिवरात्रि व्रत और पूजन विधि :

किसी भी व्रत या पूजन को आरम्भ करने के लिए भक्तों को एक खाश नियम का पालन करता होता है | महाशिवरात्रि के दिन व्रत रखने की परंपरा है | इस दिन प्रातःकाल जागने और नित्य कर्म से निवृत्त हो स्नानादि के बाद किसी भी शिव मंदिर जाकर या घर पर ही गौरी-शंकर जी की पूजा की जाती है| शिव ही एकमात्र ऐसे भगवान हैं, जिनकी मूर्ति और शिवलिंग दोनों ही रूप में ही पूजा की  जाती है| ऐसी मान्यता है कि पहली बार शिवलिंग की पूजा श्री विष्णु और ब्रह्माजी द्वारा की गई थी, इसलिए यदि संभव हो तो शुद्ध मिट्टी से शिवलिंग बना लीजिए|  इसके बाद दुग्ध स्नान कराएं| दही, घी, शहद से अभिषेक करने के बाद गंगा जल से स्नान कराना चाहिए इसके बाद कमलगट्टा, धतूरा, बेलपत्र, मिष्ठान आदि का प्रसाद शिवजी को अर्पित करके पूजा करनी चाहिए| इस दिन शिवलिंग की पूजा करके शमी के पत्ते को अर्पित किया जाता है ,माना जाता है कि शमी के पत्ते को चढाने से भोले भंडारी बहुत प्रसन्न होते हैं |महाशिवरात्रि के दिन गंगा जल में काले तिल डालकर शिवजी का अभिषेक करने से आपको शनि की महादशा से भी राहत मिलेगी। महाशिवरात्रि पर जो भी भक्त उच्च स्वर में और भक्तिभाव से शिव रूद्राष्टक स्तोत्रम् का पाठ करता है, उससे भगवान प्रसन्न होकर शीघ्र ही भक्तों की मनोकामना पूर्ण करते हैं| और महामृत्युंजय या शिव के 5 अक्षर वाले मंत्र ओम नमः शिवाय का जाप भी किया जाता है| साथ ही ॐ नमो भगवते रूद्राय, ॐ नमः शिवाय रूद्राय् शम्भवाय् भवानीपतये नमो नमः मंत्रों का जाप करें। महाशिवरात्रि के दिन रात्रि जागरण भी किया जाता है, रात्रि जागरण से साधक को परम सिद्धि की प्राप्ति होती हैl 

कुछ चीजें जो भोले शंकर को नापसंद है माना जाता है की उन चीजों का प्रयोग महाशिवरात्रि की पूजन में नहीं करना चाहिए ,आप भी उन वर्जित चीजों की जानकारी यहाँ से प्राप्त  हैं :

  • हल्दी - हल्दी स्त्री से संबंधित वस्तु होती है और शिवलिंग को पुरुष तत्व का प्रतीक माना जाता है। इसीलिए हल्दी शिवलिंग पर नहीं चढ़ाना चाहिए। 
  • सिंदूर, कुमकुम या रोली - सिंदूर, कुमकुम और रोली भी शिवलिंग पर नहीं लगाई जाती है। भगवान शिव को संहार का देवता माना जाता है और सिंदूर महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए लगाती हैं। इसलिए भगवान शिव पर सिंदूर चढ़ाना अशुभ माना जाता है। इसके स्थान पर शिव जी को चंदन का तिलक लगाना शुभ माना जाता है।
  • तुलसी दल - शिव जी की पूजा में तुलसी भी अर्पित नहीं की जाती है। शिवपुराण  के अनुसार, तुलसी पहले वृंदा के रूप में जालंधर की पत्नी थी, जिसका शिवजी ने वध किया था। वृंदा इससे दुखी होकर बाद में तुलसी का पौधा बन गई और भगवान शिव को अपने आलौकिक और देवीय गुणों वाले तत्वों से वंचित कर दिया। इसलिए शिवलिंग पर तुलसी नहीं चढ़ाई जाती है।
  • शंख या शंख से जल - पौराणिक कथा के अनुसार भगवान शिव शंकर ने शंखचूर नामक असुर का वध किया था। शंख को उसी असुर का प्रतीक माना जाता है, जो भगवान विष्णु का भक्त था। इसलिए शंख भगवान शिव की पूजा में वर्जित माना गया है। 
  • केतकी के फूल - शास्त्रों के अनुसार, शिवलिंग पर केतकी के फूल अर्पित नहीं करने चाहिए। इसके अलावा कनेर और कमल भी नहीं अर्पित करना चाहिए। शिवलिंग पर लाल रंग के फूल भी नहीं चढ़ाए जाते हैं। शिवजी को केवल सफेद रंग के फूल चढ़ाने चाहिए।