इस वर्ष 2024 मे सरस्वती पूजा कब है ?  

 

भारतीय हिंदू कलेंडर के मुताबिक माघ माह के शुक्ल पक्ष के पाचवें दिन सरस्वती पूजा की जाती है। दरअसल यह सरस्वती पूजा का त्यौहार हर साल जनवरी महीने के अंत में या फरवरी महीने के शुरुआत में आती है। पुरे भारत में सरस्वती पूजा मनाई जाती है पर इस दिन पश्चिम बंगाल और बिहार में अलग ही रौनक देखने को मिलती है। सरस्वती पूजा को वसंत पंचमी भी कहते है। वसंत पंचमी वसंत ऋतु  के पहले दिन पड़ती है। सरस्वती पूजा के दिन ज्ञान, कला और वाणी की देवी मां सरस्वती की बड़े ही धूमधाम से पूजा की जाती है। सभी विद्यार्थियों  के लिए ये दिन बड़ा ही खास होता है। गौरतलब  है कि छोटे बच्चे को पहली बार इसी दिन  पढ़ाई शुरु कराने या अक्षर ज्ञान शुरु कराने के लिए पेंसिल या कलम पकड़ाये जाने की  परंपरा का पालन भारत वर्ष में है।

 

 

इस वर्ष 2024 मे सरस्वती पूजा कब है ?  प्रकार माँ सरस्वती को प्रसन्न किया जा सकता है ?

 

हिन्दू पञ्चाङ्ग के अनुसार सरस्वती पूजा की सही तारीख को जानने के लिए हमें माघ शुक्ल पंचमी की तिथि के विषय में जानना होगा| वैदिक पंचांग की मदद हम यह जान सकते हैं कि माघ महीने की शुक्ल पंचमी की तिथि कब है|  वर्ष 2024 मे माघ शुक्ल पंचमी तिथि आज मंगलवार दोपहर 02:41 बजे से लेकर कल 14 फरवरी बुधवार को दोपहर 12:09 बजे तक है|  व्रत और पूजा के लिए सूर्योदय के समय की पंचमी तिथि को मानने की मान्यता है|  ऐसे में इस साल माघ शुक्ल पचंमी तिथि 14 फरवरी को है| इस वजह से सरस्वती पूजा कल 14 फरवरी बुधवार को है|  अर्थात 14 फ़रवरी 2024 के दिन ही वसंत पंचमी  मनाई जाएगी|

 

 

 

इस वर्ष 2024 मे सरस्वती पूजा कब है ?  प्रकार माँ सरस्वती को प्रसन्न किया जा सकता है ?

 

कुछ जरुरी काम जो आप सरस्वती पूजा के दिन अवश्य करें जिससे ज्ञान की देवी की कृपा आप पर बनी रहेगी :

 

 

  • आप सरस्वती पूजा के दिन सुबह जल्दी स्नान करने की कोशिश करें ,सुबह के स्नान के बाद से माता वीणापाणि का आशीष आप को प्राप्त होगा | आप सरस्वती पूजा के दिन माता सरस्वती की प्रतिमा या फोटो अवश्य लाएं | 
  • आप इस बात का ध्यान रखें की माता को प्रसन्न करने के लिए आपको पीला वस्त्र धारण करना है ,साथ ही इस दिन आप भूल कर भी काला ,गहरा हरा ,या गहरे रंग के वस्त्र को न पहनें | 
  • बसंतपंचमी के दिन सात्विक भोजन ग्रहण करें ,मांसाहार का कतई सेवन न करें | 

 

 

बसंतपंचमी के दिन सात्विक भोजन ग्रहण करें ,मांसाहार का कतई सेवन न करें | 

 

 

  • किसी के भी प्रति अपने मन में बुरा न सोचे ,न ही किसी का अपमान करें | माता की पूजा करने के बाद अपने से बड़ों का आशीर्वाद जरूर लें | 
  • आप बाग या बगीचे के पेड़ या पौधों की कटाई छंटाई का काम भी इस दिन नहीं करें | कोशिश यह भी करें की मोरपंखी के दो पौधे लाकर अपने बाग में लगाया जाएं  | 

 

 

सरस्वती पूजा का महत्व :

 

 

हमारे भारतवर्ष में ज्ञान की देवी माता सरस्वती पूजा का काफी  महत्व है | माँ सरस्वती की पूजा (सरस्वती वंदना)और अर्चना बसंत पंचमी वाले दिन लोग करते हैं|माघ माह के शुक्ल पक्ष के पंचमी को वसंत पंचमी या श्रीपंचमी कहा जाता है।शरद ऋतु की समाप्ति के पश्चात बसंत ऋतु का प्रारंभ होता है, बसंत को  ऋतुओं की रानी कहा जाता है क्योंकि इस ऋतु में मौसम समशीतोष्ण रहता है| अगर आप  किसी भी शुभ काम या नया काम को प्रारंभ  करना चाहते हो तो बसंत पंचमी का दिन सर्वोत्तम  माना जाता हैं| 

 

 

हिन्दू धर्म मे बच्चो की पढाई की शुरुआत करने का अच्छा दिन माना जाता है |

 

 

 

माँ सरस्वती को ज्ञान की देवी माना जाता है इसलिए  लोग उनकी पूजा करते हैं ताकि उन्हे ज्ञान प्राप्ति हो सके और माँ सरस्वती का आशीर्वाद  उन्हें हमेशा मिलता रहे | हमारे भारतवर्ष में  सभी विद्यालयों मे सुबह से शाम तक पूजा - पाठ होती है ताकि माँ सरस्वती का आशीर्वाद हर विद्यार्थी पर सदैव बना रहे| हिन्दू धर्म मे बच्चो की पढाई की शुरुआत करने का अच्छा दिन माना जाता है |बसंत पंचमी का त्यौहार बहुत पुराने समय से होता आ रहा है| कई लोगों का सरस्वती पूजा करने का उद्देश्य यह भी होता है कि वह परीक्षाओं में अच्छे नंबर लाकर सफलता प्राप्त कर सकें। सरस्वती पूजा करने के  लिए सूर्योदय से पहले नहाने की परम्परा है| इसी दिन छोटे बच्चों के द्वारा सबसे पहले पट्टी और पेन्सिल की पूजा करवाई जाती है | आजकल लकड़ी की पट्टी  की जगह पर  कॉपी और कलम की पूजन करवाई जाने लगी है | बच्चों से सरस्वती पूजन कराने के बाद  उन्हें पहला अक्षर लिखना सिखाया जाता है एवं विद्यालय में प्रवेश भी दिलाया जाता है जिससे उन्हें मां सरस्वती का आशीर्वाद प्राप्त हो सके| 

 

 

 

सरस्वती माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को ही ब्रह्माजी के मुख से प्रकट हुई थीं।

 

 

माना जाता है कि  सरस्वती मां की पूजा करने से विद्या देवी स्वयं ही उस व्यक्ति की जिह्वा पर विराजमान रहती हैं |बसंत पंचमी का महत्व इस प्रकार से समझा जा सकता है कि ,जो महत्व सैनिकों के लिए विजयादशमी का है,  विद्वानों के लिए व्यास पूर्णिमा का है, व्यापारियों के लिए दीपावली का है, वही महत्व कलाकारों के लिए वसंत पंचमी का भी  है।चाहे वे कवि हों या लेखक, गायक हों या वादक, नाटककार हों या नृत्यकार, सभी इस दिन का प्रारम्भ अपने उपकरणों की पूजा और मां सरस्वती की वंदना से करते हैं।

 

 

वसंत पंचमी पूजन की विधि:

 

 

 इस दिन पूजा करने वाले व्यक्ति को  स्नान करने का भी एक नियम का पालन करना  होता हैं| ऐसा माना जाता है कि पूजा करने वाले व्यक्ति नीम अथवा हल्दी के पानी से स्नान करे  जिससे शरीर की शुद्धि होती हैं| स्नान करने के बाद भगवान् श्री गणेश का नमन करके ,माता सरस्वती की पूजा की जाती है| माता सरस्वती की पूजा में सफ़ेद पुष्प, श्वेत वस्त्र(अथवा पीला ),चन्दन आदि का उपयोग किया जाता है |

 

 

सरस्वती माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को ही ब्रह्माजी के मुख से प्रकट हुई थीं।

 

 

 

माता सरस्वती को पीले रंग की मिठाई या खीर जरूर चढ़ाना चाहिए। उनको केसर या पीले चंदन का टीका अवश्य लगाएं और पीला या सफ़ेद वस्त्र भेंट करें। पूजा के दौरान माँ सरस्वती के नाम का जाप करना होता हैं|

 मां सरस्वती की बारह नाम का यहाँ उलेख्य किया जा रहा है |

प्रथमं भारती नाम द्वितीयं च सरस्वती। 

तृतीयं शारदा देवी चतुर्थं हंसवाहिनी।। 

पंचमं जगती ख्याता षष्ठं वागीश्वरी तथा 

सप्तमं कुमुदी प्रोक्ता अष्टमं ब्रह्मचारिणी।। 

नवमं बद्धिदात्री च दशमं वरदायिनी।

 एकादशं चंद्रकान्ति द्वादशं भुवनेश्वरी।। 

द्वादशैतानि नामानि त्रिसन्ध्यं यः पठेन्नर। 

जिहृाग्रे वसते नित्यं ब्रह्मरूपा सरस्वती।।

 

 

सरस्वती माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को ही ब्रह्माजी के मुख से प्रकट हुई थीं।

 

 

ज्ञान और वाणी की देवी माता सरस्वती माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को ही ब्रह्माजी के मुख से प्रकट हुई थीं। यही कारण है कि इस तिथि को सरस्वती पूजा की जाती है। मान्यता यह भी है कि वसंत पंचमी के दिन सरस्वती माता की पूजा करने से वो बहुत जल्दी प्रसन्न होती हैं और उनकी कृपा भक्तों  पर बरसती है।