रक्षाबंधन का त्योहार भाई-बहन के प्यार और सुरक्षा के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। जानते हैं कि इन्हें कैसे मनाया जाता है?
सावन के पावन महीने के पूर्णिमा तिथि को हिन्दू धर्म के दो महत्वपूर्ण त्योहार के रूप में मनाये हैं, रक्षाबंधन का शुभ त्यौहार जो भाई-बहन के रिश्ते और भक्तिमय आस्था के प्रतीक हैं ,रक्षाबंधन पूर्णिमा तिथि को ही मनाया जाता है। रक्षाबंधन की सबसे पहली कहानी जो सबसे ज्यादा प्रचलित है| वह महाभारत के समय की है| एक बार भगवान श्री कृष्ण की अंगुली में चोट लग गई थी और उसमें से खून बहने लगा था| ये देखकर द्रौपदी जो कृष्ण जी की सखी भी थी और भगवान को अपना भाई भी मानती थी ,उन्होंने आंचल का पल्लू फाड़कर उनकी कटी अंगुली में बांध दिया था | बाद में महाभारत में दुर्योधन और दुःशाशन के द्वारा द्रोपदी के चीरहरण के समय भगवान श्रीकृष्ण ने द्रोपदी की रक्षा की थी ,तभी से बहनें अपने भाई को राखी का धागा बांध कर अपने रक्षा का वचन लेती हैं |
सावन की पूर्णिमा को बहुत ही खाश माना गया है : -
-**धार्मिक महत्व:** सावन की पूर्णिमा का विशेष धार्मिक महत्व है। इसे कई स्थानों पर रक्षा बंधन के साथ भी जोड़ा जाता है। इस दिन को "श्रावणी पूर्णिमा" भी कहा जाता है।
- **अनुष्ठान और पूजा:** इस दिन भगवान शिव और विष्णु की पूजा का विशेष महत्व होता है। कुछ लोग इस दिन व्रत रखते हैं और मंदिरों में जाकर पूजा-अर्चना करते हैं।
- **जल का महत्व:** इस दिन गंगा स्नान या अन्य पवित्र नदियों में स्नान करना भी शुभ माना जाता है।
- **कृषि संबंधी गतिविधियाँ:** इस समय कई ग्रामीण क्षेत्रों में किसान नई फसल की बुवाई या अन्य कृषि कार्यों के लिए शुभ मुहूर्त का उपयोग करते हैं।
रक्षाबंधन शब्द में ही इस का अर्थ छुपा है : रक्षाबंधन भाई बहन के रिश्ते का प्रसिद्ध त्योहार है, रक्षा का मतलब सुरक्षा और बंधन का मतलब बाध्य है।
- **त्योहार का अर्थ:** रक्षाबंधन का अर्थ है "रक्षा का बंधन।" यह त्योहार भाई-बहन के प्यार और सुरक्षा के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है।
रक्षाबंधन या राखी पंचांग के अनुसार सावन के पूर्णिमा पर मनाई जाती है| लेकिन इस बार तिथि को लेकर लोगों के बीच असंमजस की स्थिति है कि रक्षाबंधन 18 को है या 19 अगस्त को | बता दें कि पंचांग के अनुसार पूर्णिमा तिथि 19 अगस्त सुबह 3:04 पर लगेगी, जिसका समापन रात 11:55 पर होगा | ऐसे में 19 अगस्त दिन सोमवार को दोपहर 1:30 से लेकर रात 09:07 तक भाई को राखी बांधने का शुभ मुहूर्त माना गया है | क्योंकि इस समय भद्रा का साया नहीं रहेगा | मान्यता है कि राखी हमेशा भद्रा रहित मुहूर्त में ही बांधनी चाहिए, इसलिए भद्रा काल में कभी भी राखी न बांधें और ना ही कोई शुभ कार्य करें|
- **राखी बांधने की रस्म:** बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं, जो रक्षा का प्रतीक होती है।केवल गली मोहल्ले में ही नहीं अपितु शहर में भी सुबह से ही बहने अपने भाइयों की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधना प्रारंभ कर देती हैं । परंपरा, संस्कार व भाई-बहन के त्योहार का उल्लास हर गली-मुहल्लों में नजर आती है । इस दिन सुबह होते ही रंग-विरंगे परिधानों में नन्हें-मुन्ने बच्चों की खुशियां देखते बनती। सर्वप्रथम बहनें पूजाघर में भगवान की पूजा करके अपने भाइयों की कलाई पर रक्षा सूत्र बांध कर मंगल कामनाएं करती हैं।
- **तिलक और मिठाई:**इस त्यौहार में बहनों के द्वारा , सबसे पहले भाई को तिलक लगा के उनकी आरती उतारी जाती है । कलाई पर राखी बांधकर भाई के लंबी उम्र की कामना के साथ ही भाई की तरक्की के साथ ही शुभकामना की दुआ मांगती है तथा मिठाई खिला कर भाई का मुँह मीठा करने की परंपरा है । भाइ इस मौके पर बहनों को उपहार के साथ ही सुरक्षा का वचन देते हैं। इस दिन मिठाई और दूध की दुकानों पर भीड़ लगी रहती है । जगह-जगह खोवा, छेना तथा बेसन के लड्डू सहित अन्य प्रकार की मिठाइयां दुकानों में खाश तौर पर बनाई जाती है। इस रस्म को परिवार के सभी सदस्य मिलकर हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं।
- **उपहार और आशीर्वाद:** भाई अपनी बहन को उपहार देते हैं और अपनी बड़ी बहनों से आशीर्वाद लेते हैं। भाई अपनी बहन को रक्षाबंधन पर उसकी पसंद नापसंद को ध्यान में रखते हुए कुछ भी दे सकता है। अपनी बहन को उसकी पसंद के अनुसार कपड़े ,गहने ,या घर में काम में आने वाली कोई भी चीज हो सकती है।
कई परिवार में इस अवसर पर विशेष भोजन भी बनाते हैं।
सांस्कृतिक विविधता:
- **क्षेत्रीय भिन्नताएँ:** भारत के विभिन्न हिस्सों में रक्षाबंधन की रस्में और तरीका थोड़ा अलग हो सकता है। उदाहरण के लिए, राजस्थान में इस दिन “लूण-लणोटी” का त्योहार मनाया जाता है, जिसमें बहनें अपने भाई की लंबी उम्र के लिए कामना करती हैं।
ये दोनों त्योहार मिलकर भारतीय संस्कृति और रिश्तों के महत्व को और अधिक मजबूत बनाते हैं।