तीज का त्योहार मनाने की प्रथा और विधि :
तीज का त्यौहार हिंदू संस्कृति में एक महत्वपूर्ण त्यौहार के रूप में मनाया जाता है, यह मुख्य रूप से नेपाल और भारत में महिलाओं द्वारा मनाया जाता है, खासकर उत्तरी और पश्चिमी राज्यों जैसे राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार और महाराष्ट्र में। यह त्यौहार देवी पार्वती के भगवान शिव के साथ पुनर्मिलन का सम्मान करता है और विभिन्न रीति-रिवाजों और अनुष्ठानों द्वारा चिह्नित किया जाता है जो सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व को दर्शाते हैं। इस वर्ष हरियाली तीज 7 अगस्त को मनाई जाएगी| तृतीया तिथि 6 अगस्त को प्रारम्भ हो जाएगी, जो 6 अगस्त शाम 7:52 से दूसरे दिन 7 अगस्त को रात 10:5 बजे तक रहेगी | इसलिए हरियाली तीज व्रत 7 अगस्त को किया जाएगा|
यहाँ तीज मनाने के रीति-रिवाजों और तरीकों का विस्तृत विवरण दिया गया है:
1. तीज के प्रकार:
• हरियाली तीज: मानसून के मौसम की शुरुआत के साथ ही श्रावण (जुलाई-अगस्त) के महीने में हरियाली तीज मनाई जाती है।
• कजरी तीज: कजरी तीज भाद्रपद (अगस्त-सितंबर) के महीने में मनाई जाती है, खासकर उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश में।
• हरतालिका तीज: गणेश चतुर्थी से एक दिन पहले मनाई जाती है, खासकर महाराष्ट्र और उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में।
2. तैयारियाँ:
• घरों की सफाई और सजावट: घरों को अच्छी तरह से साफ किया जाता है और पारंपरिक रूपांकनों और रंगीन रंगोली से सजाया जाता है।
• नए कपड़े और आभूषणों की खरीदारी: इस दिन विवाहित सोलह श्रृंगार करती हैं साथ ही महिलाएँ नए कपड़े, खास तौर पर हरी साड़ियाँ या लहंगे खरीदती हैं और खुद को आभूषण, चूड़ियाँ और मेहंदी से सजाती हैं।
3. उपवास:
• निर्जला व्रत: महिलाएँ अपने पति की लंबी उम्र और खुशहाली के लिए बिना पानी या भोजन के कठोर उपवास रखती हैं। अविवाहित महिलाएँ भी अच्छे पति की कामना के लिए उपवास रख सकती हैं।
• संकल्प: व्रत की शुरुआत समर्पण और ईमानदारी के साथ इसे मनाने की प्रतिज्ञा से होती है, जो अक्सर एक विशेष प्रार्थना समारोह के दौरान की जाती है।
4. प्रार्थना और अनुष्ठान:
• देवी पार्वती की पूजा: इस दिन माता पार्वती की आराधना की जाती है ,महिलाएँ देवी पार्वती की मूर्ति या छवि स्थापित करती हैं और प्रार्थना, फूल, फल और मिठाई चढ़ाती हैं।
• पूजा की थाली: पूजा के लिए फल, फूल, मिठाई (आज के दिन घेवर का भोग लगाना बहुत ही शुभ माना गया है) और सिंदूर जैसी चीज़ों से भरी एक थाली तैयार की जाती है।
• तीज कथा का वाचन: पूजा के दौरान देवी पार्वती और भगवान शिव के पुनर्मिलन की कहानी सुनाई जाती है।
5. सांस्कृतिक गतिविधियाँ:
• गायन और नृत्य: महिलाएँ पारंपरिक तीज गीत गाने और लोक नृत्य करने के लिए एकत्रित होती हैं, अक्सर ढोलक (ड्रम) की थाप के साथ।
• झूला झूलना: पेड़ों पर सजाए गए झूले लटकाए जाते हैं, और महिलाएँ त्यौहार से संबंधित गीत गाते हुए झूलने का आनंद लेती हैं। सावन के महीने में झूला झूलने की पुरानी प्रथा है|
6. भोज:
• सत्तू और मिठाइयाँ: सत्तू (भुने हुए बेसन और चीनी का मिश्रण) जैसे विशेष व्यंजन और घेवर जैसी मिठाइयाँ तैयार की जाती हैं और खाई जाती हैं।
• व्रत तोड़ना: अगले दिन परिवार द्वारा तैयार किए गए विशेष भोजन के साथ व्रत तोड़ा जाता है।
7. सामुदायिक उत्सव:
• सभाएँ और जुलूस: सामुदायिक सभाएँ और जुलूस आम हैं, जहाँ महिलाएँ उत्सव मनाने और विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए एक साथ आती हैं।
• दान और सामाजिक सेवा: कुछ महिलाएँ और समुदाय दान के काम में लगे रहते हैं, ज़रूरतमंदों को भोजन और ज़रूरी चीज़ें वितरित करते हैं।
8. पोशाक और सजावट:
• पारंपरिक पहनावा: महिलाएँ आमतौर पर हरे, लाल या पीले रंग के चमकीले, पारंपरिक परिधान पहनती हैं।
• मेहंदी और चूड़ियाँ: हाथों पर मेहंदी लगाना और रंग-बिरंगी चूड़ियाँ पहनना उत्सव का एक अभिन्न अंग है।
9. क्षेत्रीय विविधताएँ:
• नेपाल: नेपाल में, उत्सव में दार खाने दिन नामक एक विशेष दावत शामिल होती है, जहाँ महिलाएँ उपवास के दिन से पहले कई तरह के स्वादिष्ट खाद्य पदार्थ खाती हैं।
• राजस्थान: राजस्थान में महिलाएँ फूलों और पत्तियों से झूलों पर सुंदर डिज़ाइन बनाती हैं और इस क्षेत्र के लिए अनोखे लोकगीत गाती हैं।
तीज सिर्फ़ एक धार्मिक त्यौहार ही नहीं है, बल्कि एक सांस्कृतिक उत्सव भी है जो सामाजिक बंधनों को मज़बूत करता है और महिलाओं को अपने दैनिक दिनचर्या से एक ब्रेक लेकर एक साथ मिलकर जश्न मनाने का मौक़ा देता है।