शारदीय नवरात्री की पूजा विधि और विशेषता
इस साल शारदीय नवरात्री का महापर्व 15 अक्टूबर से शुरू हो रहा है. देवी मां के भक्त नवरात्रि के दौरान नौ दिनों तक देवी मां की विधि-विधान से पूजा करते हैं। अगर कुछ विशेष बातों का ध्यान रखकर माता रानी की पूजा कि जाए तो मां भक्तों की सेवा से प्रसन्न होकर शीध्र ही भक्तों पर अपने आशीर्वाद बरसाती हैं। नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की अलग-अलग विधि से पूजा की जाती है |
अगर आप घट स्थापना करते हैं तो अभिजीत मुहूर्त के दौरान कलश स्थापना करने की सलाह दी जाती है क्योंकि घटस्थापना के समय, चित्रा नक्षत्र और वैधृति योग हो रहा है और चित्रा नक्षत्र के तहत और वैधृति योग के समय घटस्थापना करना अशुभ माना जाता है, इसलिए भक्तों को कम समय मिलेगा। कलश स्थापना प्रारंभ 15 अक्टूबर 2023, प्रातः 11:09 बजे से प्रातः 11:56 बजे तक|
नवरात्रि में जितना महत्व पूजन का है, उतना ही पुष्प, भोग, मंत्रोच्चारण आदि का भी बताया गया है| देवी माँ के नौ रूपों की पूजा नौ दिनों में अलग-अलग पुष्प ,फल ,मिठाई अर्पण कर के किए जाते हैं | नौ दिनों तक माता रानी को अलग-अलग प्रकार के भोग लगाए जाते हैं| इतना ही नहीं , भक्तों द्वारा प्रत्येक दिन देवी के हर स्वरूप के अनुसार मंत्र का जाप भी किया जाता है | माता के भक्त माँ को मनाने के लिए तरह तरह के जतन करते हैं | यहाँ आपको यह भी बताया जा रहा है की किस दिन माँ के किन स्वरुप की पूजन करनी चाहिए और क्या भोग लगाना उत्तम होगा साथ ही कुछ विशेष रंग हैं जो माता को बहुत प्रिय हैं |
शारदीय नवरात्रि मे आप इस प्रकार घटस्थापना कर सकते हैं |
सुबह जल्दी उठकर नित्यक्रिया के बाद स्नान कर लें |
घर और मंदिर क्षेत्र को साफ करें जहां मां दुर्गा की मूर्ति रखी जाएगी।
एक लकड़ी चौकी लेकर उसे भलीभांति फूलों से सजाएं।
लाल कपडे पर अक्षत बिछाकर मां दुर्गा की मूर्ति रखें और माला, चुन्नी चढ़ाएं और तिलक लगाएं।
जल से भरे कलश मे सिक्का डालकर थोड़े से चावल बिछाकर उस पर नारियल रखें। कलश पर तिलक लगाएं और उस पर स्वास्तिक बनाएं।
एक मिट्टी का बर्तन लें और उसमें थोड़ी सी साफ मिट्टी डालें और उसमें ज्वार डालें, इसी बर्तन में कलश को सावधानी पूर्वक स्थापित करें |
शुद्ध देसी गाय के घी का दीया जलाकर देवी दुर्गा की पूजा करें।
माता को हर दिन सुपारी, मीठा पान, लौंग, इलाइची, फल, घर में बनी मिठाइयाँ अर्पित करें।
व्रत रखने वालों को देवी दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए देवी दुर्गा के 108 नामों का जाप और वैदिक मंत्रों का जाप करना चाहिए।
शाम के समय भी पूजा करनी चाहिए, दुर्गा सप्तशती का पाठ करना चाहिए और आरती करनी चाहिए।
यहाँ कुछ असरदार मंत्र बताया जा रहा है इस मंत्र के जाप करने से माता अतिशीघ्र प्रसन्न होती हैं |
1. सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके शरण्यै त्रयम्बिके गौरी नारायणी नमोस्तुये..!!
2. जयन्ती मंगला काली भद्र काली कपालिनी दुर्गा क्षमा शिवाधात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तुते..!!
3. सर्व बाधा विनिर्मुक्तो धन धान्ये सुतान्वितः मनुष्यो मत प्रसादेन भविष्यति न संशयः..!!
प्रथम दिन माता शैलपुत्री की पूजा की जाती है |
माता शैलपुत्री की पूजा पीला रंग या नारंगी रंग का वस्त्र पहनकर करें| प्रसाद में माँ शैलपुत्री को घी से बने कोई भी पकवान अर्पित कर सकते हैं | इस दौरान गुड़हल या कोई भी सफेद फूल माता को अर्पित करें |साथ ही बीज मंत्र ‘ॐ हीं शेलपुत्री देवयों नमः’ का जाप भी करें |
नवरात्रि के दूसरे दिन माता ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है|
माता के दूसरे स्वरुप ब्रह्मचारिणी देवी को शक्कर या पंचामृत का भोग अतिपसंद है | माता की पूजा आप हरे रंग के वस्त्र धारण कर करें | माता को इस रंग का वस्त्र अर्पण भी कर सकते हैं| वट वृक्ष का फूल चढ़ाने से माता ब्रह्मचारिणी का आशीर्वाद सदैव मिलता रहेगा | साथ ही माता का बीज मंत्र ‘ॐ ह्रीं श्री अंबिकाय नमः’ का जाप करें|
नवरात्रि के तीसरे दिन माता चंद्रघंटा की पूजा की जाती है| इन्हें दूध से बनी किसी भी चीज का भोग लगाया जा सकता है | लाल रंग माता को पसंद है इसलिए माँ की पूजा लाल वस्त्र पहनकर ही करें | अगर हो सके तो माँ को लाल चुन्नी भी अर्पित करें | माता को कमल का पुष्प पसंद है| नवरात्रि में कमल का पुष्प माता चंद्रघंटा को चढ़ाया जाता है | इससे सुख समृद्धि बनी रहती है| साथ ही मां के बीज मंत्र ‘ॐ एं शक्तिए नमः’ का जाप अवश्य करें|
दुर्गा पूजा के चौथे दिन माता कुष्मांडा की पूजा की जाती है| माता कुष्मांडा को मालपुआ का भोग लगाएं| इन माता को चमेली या कोई भी पीला पुष्प पसंद है | इनकी पूजा नारंगी रंग का वस्त्र पहन कर करें| साथ ही इसी रंग का वस्त्र अर्पण भी कर सकते हैं | कुष्मांडा देवी के बीज मंत्र ‘ॐ एं हीं देवये नमः’ का जाप करें|
नवरात्रि के पांचवें दिन स्कंदमाता माता की पूजा होती है | स्कंदमाता को केले और काजू का भोग लगाएं| इनकी पूजा में सफेद रंग का वस्त्र धारण कर करना चाहिए | साथ ही माता को पीला पुष्प अर्पण करें| इससे स्कंदमाता का आशीर्वाद सदैव मिलता रहेग| मां के बीज मंत्र ‘ॐ हीं क्लीं स्वामिनये नमः’ का जाप भी करना चाहिए |
नवरात्रि के छठे दिन माता कात्यायनी की पूजा की जाती है| माता कात्यायनी को भी लाल रंग के वस्त्र बेहद पसंद है| साथ ही इस रंग का वस्त्र अर्पण भी कर सकते हैं| माता को नारियल या पंचमेवा का भोग लगाएं| वहीं गेंदाफूल की माला अर्पण करने से माँ शीघ्र प्रसन्न होती हैं | माता के बीज मंत्र ‘ॐ क्लीं श्री त्रिनेत्राएं नमः’ का जाप करें|
नवरात्रि के दौरान सातवें दिन माता कालरात्रि की पूजा की जाती है | माता कालरात्रि को गुड़ से बने पकवान का भोग लगाएं| माता की पूजा ग्रे या गुलाबी वस्त्र पहनकर करें , इसी रंग का वस्त्र अर्पित भी कर सकते हैं| माता को गुड़हल या कमल का पुष्प अर्पित करें| इससे मां प्रसन्न होती हैं| वहीं, माता के बीज मंत्र ‘ॐ क्लीं हीं कलीकाये नमः’ का जाप अवश्य करें|
नवरात्रि के दौरान आठवें दिन माता महागौरी की पूजा की जाती है| मां महागौरी को गाय के दूध से बनी खीर, साबूदाना बेहद प्रिय है| इसके भोग लगाने से माता प्रसन्न होती हैं| गुलाबी रंग का वस्त्र धारण कर माता की पूजा करें | माता को गुडहल और मोगरा का पुष्प जरूर चढ़ाएं | साथ ही मां के बीज मंत्र ‘ॐ क्लीं हीं वरदाये नमः’ का जाप करें|
नवरात्रि के नौवे दिन में माता सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है| इनकी पूजा बैंगनी या जामुन रंग का वस्त्र पहनकर करें| माता को घी से बने हलवा और चने का भोग लगाएं| वहीं नवरात्रि में माता सिद्धिदात्री को गुडहल और चंपा का फूल चढ़ाएं इनकी कृपा से घर में सुख समृद्धि बनी रहती है और नकारात्मक शक्तियां समाप्त हो जाती हैं | माता के बीज मंत्र ‘हीं क्लीं ऐं सिद्धये नम:’ का जाप करना भी उत्तम रहता है |