मकर संक्रांति पर्व का पुण्‍य काल मुहूर्त : 07:15:13 से 12:30:00 तक। 

महापुण्य काल मुहूर्त :07:15:13 से 09:15:13 तक|

सूर्योदय का समय : 15 जनवरी को सूर्यदेव उदय होंगे सुबह  07:15 पर।

सूर्यास्त का समय  : 15 जनवरी को सूर्यदेव शाम को 05:44 पर अस्त हो जाएंगे।

पर्वकाल मुहूर्त : सर्योदय से सूर्यास्त तक रहेगा। स्थानीय समयानुसार प्रात: 6:47 से शाम 5:40 तक रहेगा। 

15 जनवरी को प्रात: ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें जिसका समय 05:27 से प्रारंभ होकर 06:21 तक रहेगा।


मकर संक्रान्ति का महत्व –

14 दिसंबर के बाद 1 महीने तक सभी शुभ काम करने की मनाही होती है ,मकर संक्रान्ति के दिन से शुभ कार्यों का मुहूर्त शुरू हो जाता है और अगले छह महीने तक हिंदू विवाह, शुभ समारोह, मुंडन जैसे कई मांगलिक और शुभ कार्य किया जा सकता है।ऐसी मान्यता है कि हर साल मकर संक्रांति का त्योहार 14 जनवरी को मनाई जाती है परंतु इस बार 15 जनवरी 2023 रविवार के दिन यह पर्व मनाया जाएगा। मकर संक्रांति हम तभी  मनाते हैं जब सूर्य ग्रह मकर राशि में प्रवेश करता है। मकर में सूर्य के गोचर से सूर्य उत्तरायण होने लगता है, इसलिए इसे उत्तरायण का त्योहार भी कहा जाता है| दरअसल मकर संक्रांति को दान-पुण्य का  पर्व माना जाता हैं।कहा जाता है कि अगर इस दिन सुहाग सामग्री दान की जाए तो सुहाग की उम्र बढ़ती है। इतना ही नहीं इस दिन महिलाएं हल्दी-कुमकुम लगाकर सुहागिनों को तरह -तरह के उपहार बांटती हैं| 

मकर संक्रांति की कुछ ख़ास बातें -

  • गौमाता की पूजा करके इस दिन गाय को हरा चारा भी  खिलाते हैं।
  • सूर्य देव की पूजा खास प्रकार से तांबे के लोटे में गंगा जल में तिल और रक्त चन्दन को मिश्रित करके अर्घ्‍य अर्पित करके किया जाता है।
  • वैसे तो भक्तो के द्वारा हर दिन श्री हरि विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है, किन्तु मकर संक्रांति वाले दिन विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा पाठ बहुत ही श्रद्धा और भक्ति के साथ की जाती है।
  •  इस दिन की यह भी खासियत है की हम सूर्यदेव के साथ- साथ शनिदेव की पूजा भी करते हैं । तिल को  शनि और गुड़ को सूर्य माना जाता है।
  • इस दिन नदी में स्नान करने का बहुत ज्यादा  महत्व बताया गया  है,कहते हैं अगर आप गंगा स्नान नहीं कर सकते तो अपने नहाने के पानी में गंगा जल मिला कर नहाये यह गंगा स्नान के जैसा ही माना जाता है ।
  • इस दिन यथाशक्ति दान पुण्य किया जाता है।मकर संक्रान्ति पर दान करने से मनुष्य निरोगी होता है साथ ही  घर में सुख समृद्धि आती है।मकर संक्रान्ति के दिन किया गया दान को महादान माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन किया गया दान अन्य दिनों की अपेक्षा सबसे अधिक फलदायी होता है। इसलिए इस दिन दान देने का महत्व बहुत  ज्यादा है।
  •  मकर संक्रांति के मौके पर देश के कई शहरों में मेले का भी आयोजन किया जाता है | 
  •  इस दिन तिल गुड़ को मिला के तरह तरह की मिठाई बनाई जाती है ,इस मिठाई को सभी खाते ,खिलाते और दान के रूप में बाँटते हैं ।ठंड अधिक और कम तामपान रहने के कारण लोग बीमारियों की चपेट में जल्दी आ जाते हैं। इस दिन गुड़ और तिल से बने खाद्य पदार्थ खाने पर शरीर को पोषक तत्व और गर्मी मिलती है।
  • तिल गुड़ के अलावा इस दिन खिचड़ी का भोग लगाकर खाने की भी चलन है ,उड़द दाल की खिचड़ी बना कर खाए  जाते  हैं ,और दान स्वरूप दाल चावल नमक हल्दी घी पापड़ और भी कई प्रकार के अनाज को गरीबों में बांटा जाता है।
  • इस दिन पतंग उड़ाने की भी परिपाटी है ।

मकर संक्रान्ति का त्योहार भारतवर्ष के अलग अलग राज्यों में अलग अलग नामों से मनाया जाता है। उत्तर प्रदेश और बिहार में मकर संक्रान्ति को खिचड़ी के नाम से, गुजरात, उत्तराखंड और राजस्थान में उत्तरायण पर्व के नाम से, हरियाणा में माघी के नाम से, असम में भोगाली बिहु के नाम से, कर्नाटक में मकर संक्रमण के नाम से और पश्चिम बंगाल में पौष संक्रान्ति के नाम से जाना जाता है। जबकि तमिनलनाडु में इसे पोंगल के रूप में और पंजाब में एक दिन पूर्व इसे लोहड़ी के रूप में मनाया जाता है।