रक्षाबंधन का इतिहास
रक्षाबंधन हिन्दू धर्म का बहुत ही पावण पर्व माना गया है | महाभारत के समय की एक कथा प्रचलित है कि जब भगवान श्रीकृष्ण इंद्रप्रस्थ में शिशुपाल का वध करने के लिए सुदर्शन चक्र चलाये थे उस दौरान श्रीकृष्ण की उंगली में चोट आई थी उस समय द्रोपदी ने अपने साड़ी का पल्लू फाड़ के भगवान के उंगली पर बांध दिया| तभी श्रीकृष्ण ने द्रोपदी को वचन दिया था कि वह उसकी रक्षा करेंगे| और भगवान ने चीर हरण के वक्त द्रौपदी को दिया वचन निभाया और उनकी लाज बचाई| कहते हैं तब से हर बहन रक्षाबंधन के दिन भाई के कलाई पर धागा बांधती है और भाई अपनी बहन को उसकी रक्षा करने का वचन देता है |
एक ये भी पौराणिक कथा प्रचलित है कि भगवान विष्णु राजा बलि के साथ पाताल लोक में रहने चले गए तब देवी लक्ष्मी चिंतित हो उठी थी और अपने पति श्री हरि को वापस लाने के लिए नारद जी के द्वारा बताये गए उपाय के अनुसार देवी लक्ष्मी भेष बदलकर राजा बलि को राखी बांधकर अपना भाई बना ली थी और वरदान के रूप में भगवान विष्णु को मांग लिया था | संयोगवश वह सावन पूर्णिमा का दिन था | ऐसा माना जाता है कि तभी से भाई- बहन का पवित्र पर्व रक्षाबंधन मनाया जाने लगा | माना जाता है कि राखी बांधने की शुरुआत सबसे पहले देवी लक्ष्मी ने ही की थी|
इस वर्ष रक्षाबंधन पर रहेगी भद्रा, जानें 30 या 31 अगस्त, राखी बांधना कब रहेगा शुभ -
भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक रक्षाबंधन का त्योहार हर वर्ष श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाए जाने की परंपरा है। इस बार रक्षाबंधन का त्योहार 30 और 31 अगस्त यानि दो दिन मनाया जाएगा।शास्त्रों में यह साफतौर पर बताया गया है कि हमेशा रक्षाबंधन का पर्व भद्रा रहित काल में मनाया जाय , साथ ही शुभ मुहूर्त का भी ध्यान रखना जरुरी होता है ,हमेशा शुभ मुहूर्त देखकर ही भाई की कलाई पर राखी बांधी जानी चाहिए| इस वर्ष 30 अगस्त 2023 को भद्रा काल रात 09.02 मिनट तक रहेगी| इसके बाद ही राखी बाँधी जा सकेगी ,हिन्दू पंचांग के अनुसार 30 अगस्त को राखी बांधने के लिए रात 09.03 के बाद का समय शुभ है| कुछ पंडितों ने यह भी तर्क दिया है कि रात का समय राखी बांधने के लिए शुभ नहीं होता है। हिंदू पंचांग के अनुसार 31 अगस्त को श्रावण पूर्णिमा की तिथि 07 बजकर 05 मिनट तक रहेगी और इस दौरान भद्रा का साया नहीं रहेगा। इस कारण 31 अगस्त को सुबह-सुबह राखी बांधना ही ज्यादा शुभ होगा।
रक्षाबंधन का अति शुभ मुहूर्त वर्ष 2023 :
रक्षाबंधन श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि: 30 अगस्त 2023
राखी बांधने का सही समय: 30 अगस्त 2023 की रात को 9 बजकर 3 मिनट के बाद
रक्षाबंधन श्रावण पूर्णिमा तिथि समाप्ति- 31 अगस्त सुबह 7 बजकर 5 मिनट तक
रक्षाबंधन भद्रा समाप्ति का समय: 30 अगस्त 2023 की रात 9 बजकर 3 मिनट पर
रक्षाबंधन भद्रा पूंछ: 30 अगस्त की शाम 05:30 बजे से शाम 06:31 बजे तक
रक्षाबंधन भद्रा मुख: 30 अगस्त 2023 की शाम 06:31 बजे से रात 08:11 बजे तक
राखी का त्यौहार सभी नियम निष्ठा से मनाते हैं किन्तु कई लोगों के मन में यह जिज्ञाषा रहती है कि इस पावन त्यौहार में क्या करें और क्या न करें :
-राखी खरीदते वक्त आप यह ध्यान रखें कि राखी का धागा काला नही होना चाहिए साथ ही इस पर कोई भी अशुभ चिन्ह नहीं बना होना चाहिए| साथ ही देवी-देवता की तस्वीर वाली राखी भी नहीं खरीदनी चाहिए क्यूंकि रोजाना दिनचर्या के कामों में हम पवित्रता का ध्यान नहीं रख पाते, ऐसे में इस तरह की राखी बांधने से भगवान का अपमान होता है|
आप इस बात का ध्यान रखें कि रक्षाबंधन का त्योहार हमेशा भद्रारहित काल में ही मनाएं।
- इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करके पूरे घर में गंगाजल का छिड़काव अवश्य करें।स्नान के बाद सूर्यदेव को अर्घ्य देते समय आप अपने कुल देवी और देवताओं का स्मरण करके उनके आशीर्वाद लें।
- शुभ मुहूर्त को ध्यान में रखते हुए राखी की थाली को भलीभाँति से सजाएं।
- राखी की थाली में कुछ आवश्यक चीजों को अवश्य रखें जैसे -यह भी ध्यान रखें कि राखी की थाली तांबे या पीतल की ही हो ,उस थाली में अक्षत, सिंदूर,मिठाई और रोली जरूर रखें|
- राखी बांधते हुए इस बात का ध्यान रखें कि भाई का मुख पूर्व दिशीा में ही होना चाहिए|
- सबसे पहले भाई के माथे पर रोली की तिलक लगाएं ,उसके बाद चावल के अक्षत लगाकर भाई के कलाई पर राखी बांधें।
- भाई के दाहिने हाथ पर ही राखी बांधना शुभ होता है ।
- इसके बाद बहन-भाई एक दूसरे को मिठाई खिलाएं।
राखी बांधने की परंपरा बहुत पुरानी है भाई बहन के प्रेम का कोई मूल्य नहीं है | किन्तु आजकल हर त्यौहार को सभी बहुत ही धूमधाम से मानते हैं और अपने हिसाब से तोहफों की लेन देन करते हैं ,किन्तु वास्तु के हिसाब से कुछ ऐसे तोहफे हैं जो नहीं देने चाहिए | इससे भाई-बहन के रिश्ते पर बुरा असर भी पड़ता है -
शास्त्रों में काले रंगों को अशुभता का प्रतीक माना है इसलिए कहा जाता है कि राखी वाले दिन भाई या बहन काले रंग के वस्त्र न पहने और न ही इस रंग के कोई तोहफे एक दूसरे को प्रदान करें|
एवं भाई बहन एक दूसरे को उपहार में घड़ी कभी न दें कहते हैं घड़ी देने से विपत्ति का समय आने लगता है |
इन तोहफों के अलावा एक और तोहफा है जो हिंदू धर्म में नहीं दिया जाता है , वह है -जूते-चप्पल| कहते हैं उपहार में जूते और चप्पल देना अशुभ माना जाता है| आप यह भी ध्यान रखें कि इस दिन उपहार में शीशा, फोटो फ्रेम, नुकीली या धारदार चीजें भी नहीं दें , इससे रिश्ते बिगड़ जाते हैं