विज्ञान ने आशातीत प्रगति की है. हर क्षेत्र में आविष्कार हुए हैं. विज्ञान ने दुनिया के कई अनसुलझे रहस्यों से पर्दा उठाया है. ऐसे ही रहस्यों में एक रहस्य है- बरमूडा ट्रायंगल. इसे डेविल ट्रायंगल भी कहा जाता है. उत्तरी अटलांटिक महासागर का पश्चिमी भाग में स्थित बरमूडा ट्रायंगल के बारे कई रहस्य बताए जाते हैं.
वास्तव में देखा जाए तो समुद्री जहाजों का यह व्यस्ततम रूट है. यह क्षेत्र व्यापारिक एवं निजी विमानों का हवाई रूट भी है. इतिहास में यह रहस्यों से भरे त्रिभुज के रूप में दर्शाया जाता रहा है. अदृश्य शक्तियों एवं असामान्य घटनाओं का यह क्षेत्र संभवतः एक रहस्यमय क्षेत्र के रूप में दर्शाया गया है. विद्वानों का मानना है कि अधिकांश घटनाओं को लेखकों ने अपनी इच्छानुसार रहस्यमयी बनाया है.
आइये जानते हैं बरमूडा ट्रायंगल के रहस्य की कुछ घटनाओं को:
- बरमूडा ट्रायंगल के रहस्य की पहली घटना 17 सितम्बर 1950 को द मियामी हेराल्ड में छपे एक लेख जिसे एडवर्ड वान विंकल जोन्स द्वारा लिखा गया था. इस लेख में विमानों और जहाजों के रहस्यमय ढंग से गायब होने के बारे में लिखा गया था.
- बरमूडा ट्रायंगल में एक अनुमानित आंकड़ो के अनुसार 2000 से अधिक जलपोत एवं 75 से अधिक वायुयान गायब हुए हैं.
- बरमूडा ट्रायंगल के बारे में कोलंबस ने जिक्र किया था कि विश्व भ्रमण के दौरान इस क्षेत्र में जब उनका जहाज आया था तो कम्पास ने काम करना बंद कर दिया था. कोलंबस को बरमूडा ट्रायंगल के क्षेत्र में आकाश में आग का गोला दिखा था. कोलंबस के अनुसार बरमूडा ट्रायंगल एक रहस्यमयी स्थान था.
- इस क्षेत्र में गायब हुए जलपोतों एवं वायुयानों का मलबा भी नहीं मिला जो लोगों की आशंकाओं को बल डेटा था.
- बरमूडा ट्रायंगल के क्षेत्रफल को लेकर भी लेखकों में एकमत नहीं है जिस से सबके लेखों में घटनाओं की संख्या में काफी अंतर है. इसके क्षेत्रफल को एक लाख तीस हजार वर्ग किलोमीटर से लेकर 3 लाख नब्बे हजार वर्ग किलोमीटर तक बताया जाता है. क्षेत्रफल में इतना अंतर आने से घटना का क्षेत्र भी बदल जात है है एवं दुर्घटनाओं की संख्या भी.
- 4 मार्च 1918 को अमेरिकी जहाज साइक्लोप्स जो मैंगनीज से लदी हुई थी इस क्षेत्र से लापता हो गई. इसके बारे में अलग-अलग कारण बताए गए. किसी ने भयंकर तूफ़ान को इसका कारण माना, किसी ने दुश्मनों का हमला बताया. दूसरे विश्व युद्ध के दौरान प्रोटियस और नेरेस नाम की दो जहाज प्रशांत महासागर से लापता हो गई. इन तीनों ही मामलो में विशेषज्ञ की यह राय है कि ख़राब संरचना और ओवरलोडिंग इसके लापता होने की असली वजह थी.
- 31 जनवरी 1921 में एक और घटना हुई जिसमें पांच लोग सहित जलपोत गायब हो गया. इस घटना के पीछे भी विद्वानों का मत है कि यह कोई रहस्य नहीं बल्कि समुद्री लुटेरों के द्वारा लूट की घटना थी.
बरमूडा ट्रायंगल अब कोई रहस्य नहीं है. बरमूडा एक ब्रिटिश उपनिवेश है. यहां का मुख्य कारोबार टूरिज्म है. इसके समुद्री किनारे और मूंगे की चट्टानें दुनिया भर से लोगों को लुभाती हैं. बरमूडा के आस-पास के इलाक़ों में लोग समंदर में डुबकी लगाकर इन मलबों और मूंगे की चट्टानों को देखने के लिए आते हैं. वैज्ञानिकों ने बरमूडा ट्रायंगल की वास्तविकता लोगों के सामने पेश करने की कोशिश की है. वैज्ञानिक मलबों की त्रिविमीय नकल बनाकर लोगों के समक्ष प्रस्तुत किया है. जो बरमूडा नहीं जा सकते वो भी ऑनलाइन इन्हें देख सकते हैं.
भूत-प्रेत और एलियन जैसे अंधविश्वास को वैज्ञानिकों ने दूर करने की कोशिश की है. वैज्ञानिकों के अनुसार बरमूडा ट्रायंगल के रहस्य के पीछे समुद्री लहरें जिम्मेदार हैं जिस 'रॉग वेव' नाम दिया गया है. अटलांटिक उष्ण कटिबंधीय तूफ़ान का अधिकांश हिस्सा बरमूडा ट्रायंगल से गुजरता है और यह खतरनाक तूफ़ान या चक्रवात का निर्माण करता है. चुकि बरमूडा ट्रायंगल विश्व के व्यस्ततम समुद्री और हवाई मार्ग का क्षेत्र है इसलिए यहाँ होनेवाले हादसों की संख्या भी अधिक है.