इस साल 19 सितंबर को गणेश चतुर्थी है :
प्रत्येक वर्ष भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी का पर्व मनाते हैं| श्रद्धालु इस दिन व्रत रखकर गणेश जी की विधि विधान से पूजा करते हैं| भगवान गणेश को ही प्रथम देव माना जाता है|किसी भी शुभ काम को आरम्भ करने से पहले लंबोदर की पूजा जरूर की जाती है| गणपति बप्पा के आशीर्वाद से भक्तों के बड़े से बड़ा संकट भी आसानी से दूर हो जाते हैं, भगवान गणेश का नाम विघ्नहर्ता भी है ,उनके कृपा से हमारे जीवन में आने वाली विघ्न-बाधाएं खत्म होती हैं|
इस साल 19 सितंबर दिन मंगलवार को शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि है अतः 19 सितंबर को ही गणेश चतुर्थी का उत्सव मनाया जाएगा, लेकिन उस दिन सुबह से भद्रा भी लग रही है| गणेश चतुर्थी के दिन से 10 दिनों का गणेश उत्सव मनाया जाता है|गणेश चतुर्थी तिथि से अनंत चतुर्दशी तक यानी लगातार 10 दिनों तक विधि-विधान के साथ गणेश जी की पूजा उपासना किया जाता है| ऐसी मान्यता है कि गणेश चतुर्थी के दिन चंद्रमा को नहीं देखना चाहिए, इससे श्राप लगता है, साथ ही गणेश चतुर्थी के दिन अगर भगवान गणेश की मूर्ति स्थापना करनी हो तो , शुभ मुहूर्त में ही करनी चाहिए|
19 सितंबर को गणेश चतुर्थी पर रवि योग सुबह 06 बजकर 08 मिनट से बन रहा है और यह दोपहर 01 बजकर 48 मिनट पर समाप्त होगा| गणेश चतुर्थी की पूजा रवि योग में करना परम शुभ माना गया है| रवि योग गणेश पूजन के लिए एक शुभ योग माना जाता है|
गणेश चतुर्थी 2023 के शुभ समय यहाँ बताए गए हैं :
भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी तिथि की शुरूआत: 18 सितंबर, 12:39 बजे दोपहर से
भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी तिथि की समाप्ति: 19 सितंबर, 01:43 बजे तक
स्वाती नक्षत्र: 19 सितंबर, सुबह से दोपहर 01:48 बजे तक, फिर विशाखा नक्षत्र
अभिजित मुहूर्त: 11:50 सुबह से देापहर 12:39 बजे तक
गणेश चतुर्थी पूजा विधि :
हालांकि पूजा पाठ सभी भक्त अपने श्रद्धा भक्ति के अनुसार करते हैं ,किन्तु कुछ खास विधि का यहाँ वर्णन किया जा रहा है आप इन विधियों से भी भगवान की पूजा कर सकते हैं :
गणेश चतुर्थी तिथि पर शुभ मुहूर्त को ध्यान मे रखकर सबसे पहले आप अपने घर के उत्तर भाग, पूर्व भाग अथवा पूर्वोत्तर भाग में गणेश जी की प्रतिमा रखें| अब पूजन की सामग्री लेकर शुद्ध आसन पर बैठें| पूजा सामग्री में दूर्वा और शमी पत्र अवश्य रखें ,साथ ही लड्डू, हल्दी, पुष्प और अक्षत से पूजन करके गणेश जी को प्रसन्न किया जा सकता है|
गणेश जी को एक चौकी पर विराजमान करें और यथासंभव नवग्रह, षोडश मातृका आदि भी बनाएं | चौकी के पूर्व भाग में कलश रखें और दक्षिण पूर्व में दीया जलाएं| ‘ॐ गं गणपतये नमः इसी मंत्र से सारी पूजा संपन्न करें | हाथ में धुप अक्षत और पुष्प लें और दिए गए मंत्र को पढ़कर गणेश जी का ध्यान करें| इसी मंत्र से उन्हें आवाहन और आसन भी प्रदान करें|
पूजा के आरंभ से लेकर अंत तक आप मन ही मन में अपने जिह्वा पर हमेशा ॐ श्रीगणेशाय नमः. ॐ गं गणपतये नमः. मंत्र का जाप करते रहें| आसन के बाद भगवान श्री गणेश जी को पंचामृत से स्नान कराएं | उसके बाद शुद्ध जल से भी स्नान कराएं|
स्नान के बाद वस्त्र, जनेऊ, चंदन, अक्षत, धूप, दीप, नैवेद्य, फल आदि जो भी संभव हो चढ़ाएं| पूजा के पश्चात इन्हीं मंत्रों से गणेश जी की आरती करें| पुनः पुष्पांजलि हेतु गंध अक्षत पुष्प से इन मंत्रों ॐ एकदन्ताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दन्ती प्रचोदयात्। से पुष्पांजलि करें| इसके बाद गणेश जी की तीन बार प्रदक्षिणा करें|
गणेश विसर्जन की तिथि 28 सितंबर 2023
शास्त्रों के अनुसार गणेश चतुर्थी पर्व का समापन अनंत चतुर्दशी के दिन करने का विधान है| इसी दिन गणपति बप्पा को श्रद्धापूर्वक विदा किया जाता है| पंचांग के अनुसार गणेश विसर्जन गुरुवार 28 सितंबर 2023 को किया जाएगा|
विसर्जन कैसे करें :
रोज की भांति गणेशजी की विधिपूर्वक पूजा करें।
गणपति की पूजा के बाद इनकी आरती भी जरूर करें और क्षमा प्रार्थना करें।
गणेशजी को चूड़ा, गुड़, गन्ना, मोदक, केला, नारियल, पान और सुपारी अर्पित करें।
गणेशजी को नया वस्त्र पहनाकर उसमें पंचमेवा, जीरा, सुपारी और कुछ धन बांध दें।
अगर हवन करना चाहें तो हवन सामग्री में जीरा और काली मिर्च डालकर हवन करें।
गणेशजी से श्रद्धा पूर्वक अपने स्थान को विदा होने की प्रार्थना करें।
गणेशजी की मूर्ति को पहले प्रणाम करें फिर चरण स्पर्श करें फिर आज्ञा लेकर श्रद्धापूर्वक मूर्ति उठाएं।
संभव हो तो गणपति मूर्ति को घर के आंगन में ही जल की व्यवस्था करके विसर्जित कर दें।विसर्जन के समय गणपति का मुख सामने की ओर होना चाहिए। आगे मुख करके विसर्जन न करें।गणपति विसर्जन के समय बप्पा के जयकारे लगाएं और बोलें गणपति मोरया अगले बरस तू जल्दी आ।