क्या इस वर्ष सर्वपितृ अमावस्या पर सूर्य ग्रहण लगेगा ?
हिन्दू पंचांग के अनुसार आश्विन माह की सर्वपितृ अमावस्या के दिन साल का दूसरा और आखिरी सूर्य ग्रहण लग रहा है | सर्वपितृ अमावस्या पर सूर्य ग्रहण रात 08.34 मिनट से अगले दिन प्रात: 02.25 मिनट तक रहेगा| किन्तु यह वलयाकार सूर्य ग्रहण होगा, जो भारत में दिखाई नहीं देगा और इसका सूतक काल भी मान्य नहीं रहेगा |
कब है सर्वपितृ अमावस्या ? सर्व पितृ अमावस्या के दिन क्या उपाय करना चाहिए की सुख समृद्धि बनी रहे ?
आश्विन माह की अमावस्या इस वर्ष 14 अक्टूबर को है | सर्व पितृ अमावस्या को विसर्जनी अमावस्या भी कहा जाता है | पितरों का श्राद्ध कर पितृऋण से मुक्ति के लिए इस दिन को महत्वपूर्ण माना जाता है यह भी माना जाता है कि अगर किसी को अपने पितर की पुण्य तिथि याद नहीं है तो वह सर्व पितृ अमावस्या के दिन श्राद्ध कर्म कर के पितृऋण उतार सकते हैं | कहा जाता है कि इस दिन हमारे भूले-बिसरे पितरों की आत्मा की शांति के लिए विधि पूर्वक श्राद्ध किया जाता है| इस दिन अगर पूरे मन से और विधि-विधान से पितरों की आत्मा की शांतिके लिए श्राद्ध किया जाए तो न केवल पितरों की आत्मा शांत होती है बल्कि उनके आशीर्वाद से घर-परिवार में भी असीम सुख-शांति बनी रहती है| परिवार के सदस्यों की सेहत अच्छी रहने के साथ ही जीवन में चल रही परेशानियों से भी राहत मिलती है|
हिन्दू के धर्म ग्रंथों में सर्व पितृ अमावस्या का बहुत महत्व बताया गया है | ऐसी मान्यता है कि हर साल आने वाली 12 अमावस्या तिथियों में सबसे खास अमावस्या सर्व पितृ अमावस्या ही होती है| धर्म ग्रंथों में ऐसा बताया गया है कि इस तिथि पर पितरों के लिए जल दान, श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करने से वे पूरी तरह तृप्त हो जाते हैं| इस दिन सूर्य और चंद्रमा एक ही राशि में होते हैं और ये दोनों ग्रह हमारे पितरों से संबंधित माने जाते हैं | सर्व पितृ अमावस्या तिथि पर ही पितृ पुनः अपने लोक में चले जाते हैं | वे अपने वंशजों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देकर विदा होते हैं |
सर्वपितृ अमावस्या तिथि
हिंदू पंचांग के अनुसार इस वर्ष सर्वपितृ अमावस्या 14 अक्टूबर को पड़ रही है पंचांग के अनुसार आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 13 अक्टूबर रात्रि 09:50 मिनट से शुरू होगी और 14 अक्टूबर मध्य रात्रि 11:24 मिनट पर समाप्त हो जाएगी| जैसा कि सभी जानते हैं कि हिंदू पंचांग के अनुसार उदया तिथि के अनुसार ही पड़ने वाली तिथि की ही मान्यता होती है इसलिए 14 अक्टूबर को सर्व पितृ अमावस्या मनाई जाएगी | इस दिन श्राद्ध-तर्पण के लिए तीन मुहूर्त बताये गये हैं, जो सुबह 11:44 बजे से दोपहर 3:35 बजे तक रहेंगे| इस अवधि में किसी भी समय पूर्वजों के लिए पूजा, तर्पण, दान आदि किया जा सकता है|
इस विधि से करें पितरों को खुश
सर्वपितृ अमावस्या के दिन सुबह में पवित्र नदियों में स्नान करें अगर नदी में स्नान नहीं कर सकते तो नहाने के पानी मे थोड़ा गंगा जल और काली तिल को मिला लें और फिर सभी ज्ञात और अज्ञात पितरों को स्मरण कर जल अर्पित करें| अगर आपने तिथि के अनुसार पितरों का श्राद्ध किया भी हो तो इस दिन भी श्राद्ध अवश्य करें | घर में विशेष व्यंजन बनाकर पितरों के निमित्त निकाल लें और किसी ऐसे स्थान पर रखें जहां पर कौए अवश्य पहुंच सके|
सर्वपितृ अमावस्या के दिन कई प्रकार के भोजन बनाकर कौए, गाय और कुत्ते को निमित्त देकर ब्राह्राण को खिलाने के बाद उन्हें दक्षिणा देकर आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है| सर्वपितृ अमावस्या पर उन पितरों को तर्पण किया जाता है जिनकी मृत्यु की तिथि मालूम न हो या फिर किसी कारण से अपने पूर्वजों का श्राद्ध न कर पाएं तो इस तिथि पर श्राद्ध किया जाता है | इसके बाद पितरों को श्रद्धापूर्वक विधि-विधान से विदा करें और उन्हें स्मरण कर आशिर्वाद की प्रार्थना करें | इस दिन पितरों के निमित्त खीर बनाया जाता है और सिंदूर से नारियल पर स्वास्तिक बनाकर हनुमान मंदिर में चढ़ाया जाता है |